×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

गुस्ताखी माफ! लेकिन बीजेपी को हराने के सारे फर्जी दावे कर रहा है विपक्ष

विपक्ष के समर्थक वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बड़े चेहरे को देखने के तलबगार थे। उन्हें लगता था कि उनके दल एक महागठबंधन बना पीएम और बीजेपी को चुनौती देंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और दलों ने पीएम के लिए मैदान खाली छोड़ दिया।

Rishi
Published on: 25 April 2019 8:13 PM IST
गुस्ताखी माफ! लेकिन बीजेपी को हराने के सारे फर्जी दावे कर रहा है विपक्ष
X

नई दिल्ली : विपक्ष के समर्थक वाराणसी से पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ बड़े चेहरे को देखने के तलबगार थे। उन्हें लगता था कि उनके दल एक महागठबंधन बना पीएम और बीजेपी को चुनौती देंगे। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और दलों ने पीएम के लिए मैदान खाली छोड़ दिया। इसके बाद तो विपक्ष की मंशा पर शक होता है कि वो बीजेपी को हराना चाहता है।

ये भी देखें :TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने शारदा घोटाले के आरोपी मदन मित्रा को टिकट दिया

देश के सबसे बड़े राज्य यूपी में ही विपक्ष एकजुट नहीं है। सपा-बसपा और रालोद गठबंधन ने कांग्रेस को घास ही नहीं डाली। पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चा और टीएमसी भी कांग्रेस से दूरी बनाए है। दिल्ली में आम आदमी पार्टी से कांग्रेस का समझौता नहीं हुआ। लोकसभा चुनाव के ऐलान से पहले लग रहा था था कि एक तरफ संयुक्त विपक्ष होगा और दूसरी तरफ बीजेपी। लेकिन चुनावों के ऐलान के बाद सब ने अपनी राह तलाश ली। कांग्रेस को जिनसे उम्मीदें थीं उन्होंने अपने उम्मीदवार मैदान में उतार दिए।

इस सबके बाद भी विपक्ष के समर्थक उम्मीद बांधे हुए थे कि काशी में संयुक्त प्रत्याशी खड़ा होगा जो पीएम को टक्कर देगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

ये भी देखें : मितरों! अबकी बार मध्य प्रदेश में रियासतों की सियासत दांव पर

विपक्ष के दावे खोखले

सपा-बसपा-रालोद गठबंधन कांग्रेस के उम्मीदवारों के सामने आने के बाद साबित होता है कि विपक्ष के बीजेपी को हराने के दावे खोखले ही रहे हैं। सियासी गलियारे में भी संदेश यही गया है कि विपक्ष 2024 के चुनावों की तैयारी कर रहा है।

संयुक्त उम्मीदवार के क्या फायदे होते

संयुक्त उम्मीदवार क्या कमाल कर सकता था। इसे जानने के लिए जरा 2014 में उम्मीदवारों को मिले मतों पर नजर डालिए। देश के साथ ही काशी में भी मोदी लहर चल रही थी। तब बीजेपी उम्मीदवार मोदी को 5,81,022 वोट मिले। निकटतम प्रत्याशी आप के अरविंद केजरीवाल को 3,71,784 मतों से हराया। केजरीवाल को 2,09,238 वोट मिले। कांग्रेस उम्मीदवार अजय राय को 75,614 मत, बसपा प्रत्याशी विजय प्रकाश को 60,579 और सपा प्रत्याशी कैलाश चौरसिया 45,291 वोट मिले थे।

केजरीवाल को जिस तरह वोट मिले वो ये साबित करता है कि यदि मजबूत प्रत्याशी हो, तो बीजेपी को कहीं भी टक्कर दी जा सकती है।

कर्नाटक ने दिखाई थी आस

कर्नाटक की रैली में लगभग सारा विपक्ष एक मंच पर था सभी खुश नजर आ रहे थे। एकला चलो के मंत्र पर राजनीति करने वाली बसपा सुप्रीमो मायावती को यूपीए चेयरलेडी सोनिया गांधी ने गले लगाया, तो देश भर में विपक्ष के समर्थक गदगद हो गए। लेकिन ये ख़ुशी ज्यादा लंबी नहीं थी। आने वाले विधानसभा चुनावों में ये एकता बची नहीं रही और लोकसभा चुनाव में संयुक्त विपक्ष का सपना टूट गया। इसका के सबसे बड़ा कारण ये भी है कि छोटे दलों के नेता स्वयं को पीएम पद का उम्मीदवार मानते हैं वो राहुल को पीएम बनाने के लिए बैसाखी नहीं बनना चाहते।

यह भी पढ़ें…जनता ने भाजपा का नया अर्थ ‘भागती जनता पार्टी’ निकाला : अखिलेश

प्रियंका हार से नहीं करना चाहती राजनीति का आरंभ

बीजेपी के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी होंगे ये पहले से ही तय था। जब से प्रियंका गांधी को कांग्रेस का महासचिव और यूपी पूर्व का प्रभारी बनाया गया था। तब से चर्चा थी कि कांग्रेस उन्हें वाराणसी से उम्मीदवार बना सकती है। इसके बाद से सोशल मीडिया में उनकी दावेदारी का समर्थन और जीत का दावा करने वाले स्टेटस की बाढ़ आ गई थी। प्रियंका ने ये कह कर हवा दी कि ‘अगर पार्टी कहेगी, तो वह वाराणसी से चुनाव लड़ सकती हैं’।

लेकिन यदि आप कांग्रेस की राजनीति को पास से देखते हैं तो आपको पता होगा कि कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि गांधी परिवार का कोई वारिस पहला चुनाव हार जाए। और हुआ भी वही। कांग्रेस ने वाराणसी से अजय राय को टिकट थमा दिया और सपा ने कांग्रेस की आयातित शालिनी यादव को टिकट दे दिया। इस तरह विपक्ष ने मोदी की राह आसान बना दी।

यह भी पढ़ें…रायबरेली- प्रियंका गांधी भुएमऊ गेस्टहाउस से फुर्सतगंज एयरपोर्ट के लिए हुई रवाना

मोदी को मजबूत टक्कर देता संयुक्त उम्मीदवार

पिछले चुनाव का जब रिजल्ट आया तो उसमें मोदी भले ही विजेता बन कर उभरे लेकिन यदि विपक्ष को मिले सभी वोट जोड़ दिए जाए, तो संख्या लगभग उतनी होती है जितने वोट मोदी को मिले। इसके साथ ही इसबार मोदी के पक्ष में कोई लहर अभीतक नजर नहीं आती।

सपा-बसपा की एकजुटता से दलित-पिछड़ा और मुस्लिम वोट भी संयुक्त उम्मीदवार को जाता तो अंदाजा लगाइए कि रिजल्ट के समय कितनी पेशानियों पर पसीना होता। लेकिन सपने तो सपने होते हैं। अब तो विपक्ष के उन दावों पर गंभीर सवाल उठने लगेंगे जिसमें कहा जा रहा है कि चुनाव बाद सारा विपक्ष एकजुट हो जाएगा।



\
Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

Next Story