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वोट देने से पहले जानिए राहुल गांधी की ‘न्याय स्कीम’ के बारे में, क्या है नफा-नुकसान

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मिनिमम इनकम गारंटी (न्याय स्कीम) का ऐलान कर सत्ताधारी दल में खलबली मचा दी है। बीजेपी अब इसकी काट के लिए हाथ पैर मारने में जुट गई होगी। बहरहाल हम क्यों टेंशन लें हम तो ज्ञान देंगे। तो मेहरबान कदरदान ध्यान दें .....

Rishi
Published on: 25 March 2019 4:42 PM IST
वोट देने से पहले जानिए राहुल गांधी की ‘न्याय स्कीम’ के बारे में, क्या है नफा-नुकसान
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फ़ाइल फोटो

नई दिल्ली : कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मिनिमम इनकम गारंटी (न्याय स्कीम) का ऐलान कर सत्ताधारी दल में खलबली मचा दी है। बीजेपी अब इसकी काट के लिए हाथ पैर मारने में जुट गई होगी। बहरहाल हम क्यों टेंशन लें हम तो ज्ञान देंगे। तो मेहरबान कदरदान ध्यान दें ..... ई जो राहुल कह रहे हैं ये कोई उनकी नई इजाद नहीं है, बल्कि यही तो है यूनिवर्सल बेसिक इनकम। जिसमें देश के हर एक व्यक्ति को बिना जात-पात, ऊँच-नीच देखे तयशुदा रकम दी जाती है। बेसिक इनकम का आइडिया लंदन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर गाय स्टैंडिंग का है।

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बहुत पहले की बात है, भारत देश में यूपीए की सरकार थी। जो चुपचाप अपना काम करती थी। उस समय के पीएम दस साल सिर्फ उतना ही बोले जितना इस समय के पीएम ने सदन में पहली बार बोला। (भैयाजी कुछ 100-200 शब्द ऊपर नीचे हो सकते हैं) तो बात ये है कि उस समय भी प्रोफ़ेसर साहेब ने सरकार को ये वाली स्कीम लागू करने को कहा था। लेकिन वो चुपचाप वाली सरकार हिम्मत नहीं जुटा पाई थी। तो क्या हुआ अब तो कांग्रेस अध्यक्ष ने यूपीए चेयरलेडी सोनिया गांधी से आज्ञा ले अपनी अगली सरकार में इसे लागु करने का ऐलान कर दिया है। लेकिन राहुल ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं। हम आपको वो बता रहे हैं जो हमें पता है...

अमा ई यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम है क्या बला

प्रोफेसर साहेब ने कई महीनों या साल भी हो सकते हैं (इस बात में ज्ञानीजनों में विरोधाभास हो सकता है), दिन रात मेहनत कर के यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम का फार्मेट तैयार किया। इसके जरिए देश से गरीबी हटाने के लिए सभी नागरिकों को निश्चित अंतराल पर तय रकम देने का विचार पेश किया। इसमें ये भी कहा गया कि स्कीम का लाभ लेने के लिए किसी को भी कमजोर सामाजिक-आर्थिक स्थिति या बेरोजगारी का सबूत नहीं देना पड़े।

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भारत में कभी कुछ हुआ या नहीं

वर्ष 2016-17 के आर्थिक सर्वे में केंद्र सरकार ने यूबीआई का जिक्र किया। 40 से अधिक पन्ने इस रिपोर्ट पर खर्च किए गए। मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन ने कहा, यूनिवर्सल बेसिक इनकम जैसी योजना हमें सामाजिक न्याय दिलाने के साथ मजबूत अर्थव्यवस्था बनने में मददगार साबित हो सकती है।

पायलट प्रॉजेक्ट भी चला

छोटी मुंबई कहे जाने वाले इंदौर के 8 गांवों की 6,000 की जनसंख्या के बीच 2010 से 2016 में पुरुषों और महिलाओं को 500 और बच्चों को हर महीने 150 रुपये दिए गए। इसके बाद उनके जीवन में काफी बदलाव देखने को मिला।

क्या हमारी अर्थव्यवस्था उठा सकती है इतना बोझ

देश में 'यूनिवर्सल बेसिक इनकम' स्कीम को लागू करने पर जीडीपी का 3 से 4 प्रतिशत खर्च आएगा। (टेंशन मत लो मेरे दोस्त आगे तो पढो) जबकि इस समय कुल जीडीपी का 4 से 5 प्रतिशत सरकार सब्सिडी में दे रही है। तो ऐसे में यदि सरकार बेसिक इनकम स्कीम लेकर आती है तो उसे सब्सिडी नहीं देनी होगी।

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कितनी आबादी को फायदा?

इस स्कीम को सबसे पहले देश की सबसे गरीब आबादी के लिए लागु करना चाहिए। इससे लगभग 20 करोड़ जरूरतमंदों को गरीबी से निकलने में मदद मिलेगी। यदि खाद्य सुरक्षा अधिनियम का लाभ लेने वालों को भी इसमें शामिल कर लिया जाता है तो तक़रीबन 97 करोड़ लोग इसके दायरे में आएंगे।

टेंशन कहां है

आकड़ों के मुताबिक देश की आबादी का कुछ हिस्सा बिना किसी परिचय पत्र के जीवन यापन कर रहा है। उसके पास आधार कार्ड और बैंक एकाउंट तक नहीं है। ऐसे में सभी को इस योजना का लाभ नहीं मिल सकता है। जानकारों के मुताबिक सरकार के पास जो अपना तंत्र है यही उसके मुताबिक देश के सभी नागरिकों को आधार से जोड़ना अनिवार्य कर दिया जाए और उनके कार्ड युध्स्तर पर बनाए जाएं तब भी इसको लागू करने में काफी समय लगेगा। हां! ये हो सकता है कि स्कीम को चरणों में बांट कर लागु किया जा सकता है।

किन देशों में लागू है ये स्कीम

फ्रांस

फ्रांस सरकार शर्तों के साथ बेरोजगारों को सालाना करीब 7 हजार यूरो (5.6 लाख के करीब) दे रही है।

जर्मनी

जर्मनी में कुछ शर्तों के साथ बेरोजगारों को 390 यूरो प्रति माह (करीब 30 हजार रुपए ) दिया जाता है।

इटली

इटली में कुछ शर्तों के साथ बेरोजगारो को 1,180 यूरो प्रति महीने (करीब 90 हजार रुपए ) मिलते हैं।

जापान

जापान में दिव्यांग बेरोजगारों को करीब 15 हजार रुपए दिया जाता है।

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स्कीम लागू करना क्यों है चुनौतीपूर्ण?

बेसिक इनकम स्कीम का सबसे बुरा पहलू ये है कि जब सभी को पैसे मिलने लगेंगे तो कोई भी मेहनत नहीं करेगा। उसे जब पैसा मिलेगा तो वो आगे बढ़ने की नहीं सोचेगा। इससे समाज और देश की तरक्की पर असर पड़ेगा। वहीँ सरकार भी बेलगाम होगी



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Rishi

Rishi

आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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