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शिव 'राज' को मुंह चिढ़ाती एमपी की सड़कें-सावधानी हटी और दुर्घटना घटी

Gagan D Mishra
Published on: 26 Oct 2017 11:02 AM GMT
शिव राज को मुंह चिढ़ाती एमपी की सड़कें-सावधानी हटी और दुर्घटना घटी
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भोपाल: मध्य प्रदेश की राजधानी के कोलार इलाके की सड़क के गड्ढ़े में पूर्व सेना अधिकार जॉय तिर्की का दुपहिया वाहन ऐसे गिरा कि उन्हें कई दिन तक होश नहीं आया। वे सड़क पर बने गड्ढ़े से हुए नुकसान के खिलाफ लड़ाई लड़ रहे हैं। यह घटना राज्य की सड़कों की हालत बयां करने के लिए काफी है। वहीं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान राज्य की सड़कों के अमेरिका से बेहतर होने का दावा कर रहे हैं।

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तिर्की बताते हैं, "वे कोलार क्षेत्र में नगर निगम के दफ्तर से आगे निकल रहे थे, तभी उनका वाहन सड़क के गड्ढ़े में गिर गया और वह बुरी तरह घायल हो गए। कई दिन बाद होश आया, अब वे कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उस अफसर, विभाग व ठेकेदार को सजा दिलाने की उनकी मुहिम है, जिसके चलते वे हादसे का शिकार हुए।"

राजधानी की ही बात करें तो पिपलानी क्षेत्र को भारत टॉकीज से जोड़ने वाले मार्ग में बड़ा हिस्सा ऐसा है, जहां जगह-जगह गड्ढे हैं। अयोध्या नगर से करौंद के रास्ते की हालत भी ठीक नहीं है। यही हाल करौंद से भोपाल टॉकीज की ओर जाने वाले रास्ते का है। गड्ढ़े और उस पर उड़ती धूल लोगों का बुरा हाल कर देती है।

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वहीं मुख्यमंत्री चौहान ने अमेरिका दौरे के दौरान मंगलवार को वाशिंगटन में यूएस-इंडिया स्ट्रेटेजिक फोरम द्वारा निवेशकों के साथ चर्चा के दौरान कहा, "जब मैं वाशिंगटन के हवाई अड्डे पर उतरने के बाद सड़क मार्ग से गया, तो मुझे महसूस हुआ कि मध्य प्रदेश की सड़कें अमेरिका से कहीं बेहतर हैं।"

मुख्यमंत्री ने जो वाशिंगटन में कहा, उससे राज्य के कई हिस्सों की सड़कें मेल नहीं खाती हैं। राजधानी से सागर, होशंगाबाद, विदिशा सहित कई अन्य रास्ते ऐसे हैं जहां सड़कों पर वाहन चलाना आसान नहीं है। छतरपुर से पन्ना, कटनी से जबलपुर, कटनी से दमोह, शिवपुरी से ग्वालियर जाने वाली सड़कों का बुरा हाल है।

केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय की राज्यसभा में पेश वर्ष 2015 रिपोर्ट के मुताबिक, राज्य के कई हिस्सों में सड़कों के खराब होने के कारण दुर्घटनाएं आम हैं। बीते वर्ष राज्य में कुल 3070 हादसे हुए। यह देश में हुए कुल हादसों का लगभग 10़ 7 फीसदी है। इतना ही नहीं प्रतिदिन नौ से 10 लोग मौत का शिकार होते हैं।

राज्य के कई शहरों के भीतरी हिस्से की सड़कों का हाल तो और भी बुरा है। संभवत: राज्य का शायद ही कोई ऐसा नगर निगम, नगर पालिका या नगर पंचायत क्षेत्र हो, जहां सभी सड़कें अच्छी हों और उन पर आवागमन सुगमता से चल रहा हो। बरसात में तो आलम यह हो जाता है कि सड़क और गड्ढ़े में फर्क नजर नहीं आता।

सरकार का दावा है कि, राज्य में पौने दो लाख किलोमीटर सड़कें बनाई गई हैं, राज्य के लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह ने विभागीय अधिकारियों की बैठक में यह माना कि कुछ सड़कों की हालत अच्छी नहीं है। प्रदेश के विकास में सड़कों की अहम भूमिका है लिहाजा सड़कों को बेहतर बनाया जाए। चौहान के अमेरिका में दिए गए बयान को रामपाल सिंह ने सही ठहराया है।

राज्य के सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग कहते हैं कि भोपाल के हवाई अड्डे से उतर कर वीआईपी रोड से आएं तो पता चलता है कि राज्य की सड़कें कैसी है। यह दुनिया की बेहतर सड़कों में से है। यही कारण है कि मुख्यमंत्री ने अमेरिका में राज्य की सड़कों की चर्चा की है।

वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता के.के. मिश्रा का कहना है, "मुख्यमंत्री के गृह जिले सीहोर और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के संसदीय क्षेत्र विदिशा की सड़कों का हाल देख लें तो सारे राज्य का हाल पता चल जाएगा। यहां की सड़कों में गड्ढ़ों की भरमार है तो एक वाहन से उड़ती धूल दूसरे वाहन की रफ्तार को रोकने को मजबूर कर देती है। वास्तविकता यह है कि मुख्यमंत्री राज्य की वीआईपी सड़कों पर चले हैं, इसलिए उन्हें सड़कों का हाल पता नहीं है।"

मुख्यमंत्री भले ही यह कहें कि राज्य की सड़कें अमेरिका से बेहतर हैं, मगर यह बात भी उतनी ही सही है कि राज्य के कई इलाकों की सड़कों पर चलना आसान नहीं है। आलम यह है कि यहां जरा से सावधानी हटी और दुर्घटना घटी।

--आईएएनएस

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