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वेकैंया नायडू ने कहा- BJP विपक्षी दलों के संभावित गठबंधन से रत्ती भर परेशान नहीं
केंद्रीय मंत्री एम. वेकैंया नायडू का कहना है कि 17 विपक्षी पार्टियों के साथ आने से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) रत्ती भर भी परेशान नहीं है।
नई दिल्ली: केंद्रीय मंत्री एम. वेकैंया नायडू का कहना है कि 17 विपक्षी पार्टियों के साथ आने से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) रत्ती भर भी परेशान नहीं है। उन्होंने कहा कि इससे राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) को न अभी कोई खतरा है और न ही 2019 लोकसभा चुनावों में कोई खतरा होगा।
नायडू ने कहा कि विपक्षी दल अंतर्विरोधों से भरे हुए हैं और वे सिर्फ पीएम मोदी के भय की वजह से साथ आए हैं। जिन्होंने तीन सी यानि करप्शन (भ्रष्टाचार), कास्टिस्ट (जातिवादियों) और कम्युनल एलीमेंट्स (सांप्रदायिक तत्वों) को मिटा दिया है।
नायडू ने आईएएनएस से एक साक्षात्कार में कहा, "हमारे पास एक नेता, एक विचारधारा और स्पष्ट नीति है। विपक्ष में विरोधाभास है। कोई वैचारिक सामंजस्य नहीं है। उनके पास नरेंद्र मोदी के कद का कोई नेता नहीं है।"
उन्होंने कहा, "मैं उन्हें शुभकामनाएं देता हूं। उन्हें साथ आने दीजिए। वे द्वेष से भरे हुए और परेशान हैं क्योंकि मोदी ने भ्रष्टाचार, जाति और सांप्रदायिक तत्वों को मिटा दिया है। वे बहुत परेशान हैं। कम्युनिस्ट और कांग्रेस इन तत्वों के साथ सहानुभूति रखते हैं।"
सूचना एवं प्रसारण मंत्री ने कहा कि कांग्रेस और कम्युनिस्ट केरल में आमने-सामने हैं और कांग्रेस, वाममोर्चा और तृणमूल कांग्रेस पश्चिम बंगाल में एक दूसरे से लड़ाई कर रहे हैं।
दिल्ली में राष्ट्रपति चुनाव के लिए एक उम्मीदवार तय करने और 2019 चुनावों में संभावित बीजेपी विरोधी महागठबंधन बनाने के लिए विपक्षी दलों की शुक्रवार की बैठक को लेकर नायडू ने विपक्ष पर निशाना साधा।
उन्होंने कहा, "दिल्ली में सहयोग और पश्चिम बंगाल में एक-दूसरे के खिलाफ अभियान चल रहा है। इन सबके बीच कभी अलग हो जाते हैं और फिर दिल्ली में साथ फोटो खिंचवाते हैं।"
नायडू ने कहा, "हम विश्वास से लबरेज हैं और वे संदेह से भरे हैं। हम एकजुट हैं, वे विभाजित हैं।"
उन्होंने 1996 की युनाइटेड फ्रंट सरकार के प्रयोगों और तीसरा मोर्चा गठबंधन को याद किया और कहा कि युनाइटेड फ्रंट एक डिसयुनाइटेड फ्रंट बन गया और तीसरा मोर्चा बहुत पीछे तीसरे नंबर पर रह गया।
पूर्व बीजेपी अध्यक्ष नायडू ने राष्ट्रपति पद के लिए सर्वसम्मत उम्मीदवार के नाम पर सरकार से चर्चा करने से पहले ही विपक्ष द्वारा इस पद के लिए दावेदारों के नाम लेने पर भी निशाना साधा।
नायडू ने आईएएनएस से कहा, "उन्हें (विपक्षी दलों) राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का नाम नहीं घसीटना चाहिए था। इसके बाद शरद पवार और गोपालकृष्ण गांधी का नाम लिया गया। उन्हें सबसे पहले हमसे बात करनी चाहिए थी।"
उन्होंने कहा कि सरकार एक आम सहमति के उम्मीदवार के नाम पर विपक्ष से बात करेगी। उन्होंने कहा, "एक बेहतरीन राष्ट्रपति होगा। हम इन नामों पर अभी सार्वजनिक तौर पर चर्चा नहीं करना चाहते हैं।"
उन्होंने इस मुद्दे पर सत्तारूढ़ दल की सोच को जाहिर करने से इनकार किया।
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने के सवाल पर वेंकैया नायडू ने कहा, "इस तरह का सवाल ही पैदा नहीं होता। आरएसएस एक सामाजिक संगठन है और यह कभी सत्ता व पद के लिए प्रयासरत नहीं रहा है।"
--आईएएनएस