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Atul Subhash Suicide Case: कौन है दीपिका नारायण भारद्वाज? जो कर रहीं पुरुष आयोग की मांग
Atul Subhash Suicide Case Update: AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को सदमे में ढकेल दिया। अतुल की साथ हुई नाइंसाफी पर हर कोई गुस्से में है।
Atul Subhash Suicide Case Update: AI इंजीनियर अतुल सुभाष की आत्महत्या ने पूरे देश को गहरे सदमे में डाल दिया है। उनका दुखद निधन समाज में बढ़ते एक गंभीर मुद्दे की ओर इशारा करता है, जो महिलाओं के अधिकारों के नाम पर पुरुषों के साथ हो रही नाइंसाफी और अत्याचार से जुड़ा हुआ है। अतुल के मामले ने यह सवाल उठाया है कि क्या कुछ महिलाएं अब कानून का दुरुपयोग कर पुरुषों को गंभीर रूप से प्रताड़ित कर रही हैं। इस पर गुस्से और नाराजगी का एक बड़ा पैमाना सामने आया है।
इसी बीच, दीपिका नारायण भारद्वाज जैसी महिला ने अपनी आवाज़ उठाई है। वह लंबे समय से पुरुषों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं। उनका कहना है कि पुरुषों के खिलाफ झूठी और पक्षपाती कार्रवाई की घटनाएं अब बढ़ चुकी हैं और देश में पुरुष आयोग की स्थापना की सख्त आवश्यकता है। अतुल सुभाष के निधन के बाद, दीपिका ने इस मुद्दे पर लगातार अपनी राय जाहिर की है। उन्होंने प्रधानमंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश से अपील करते हुए कहा, "कृपया महिलाओं के अधिकारों से संबंधित कानूनों के दुरुपयोग की जांच के लिए एक समिति गठित करें और इस मुद्दे के समाधान के लिए ठोस उपायों पर विचार करें। लिंग आधारित पक्षपाती प्रावधानों के कारण आत्महत्या करने वाले पुरुषों के परिवारों को भी इस चर्चा में शामिल किया जाए और लिंग तटस्थ कानूनों का निर्माण किया जाए।" दीपिका ने यह भी कहा, "अतुल सुभाष को न्याय मिलना चाहिए, जिन्होंने अपनी जान दी ताकि समाज में बदलाव आ सके और पुरुषों के जीवन को भी समान सम्मान मिले। पुरुष आयोग की आवश्यकता अब पहले से कहीं ज्यादा महसूस होती है।"
कौन है दीपिका नारायण भारद्वाज?
दीपिक एक इंजीनियर रह चुकी हैं। उन्होंने इंफोसिस में सॉफ़्टवेयर इंजीनियर के तौर पर काम किया। इसके बाद, उन्होंने इंफोसिस की नौकरी छोड़ पत्रकारिता में कदम रखा और एक टीवी चैनल में एंकर के रूप में काम किया। बाद में, उन्होंने मर्दों के अधिकारों के लिए आवाज उठानी शुरू की। दीपिका लंबे समय से पुरुषों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रही हैं।
उनका मानना है कि जबकि महिलाओं के लिए बहुत से लोग काम कर रहे हैं, पुरुषों को भी समाज में महिलाओं द्वारा शोषित किया जा रहा है, लेकिन उनके लिए कोई आवाज नहीं उठा रहा है। दीपिका नारायण दहेज प्रताड़ना कानून के तहत फंसाए गए पुरुषों को कानूनी सहायता भी प्रदान करती हैं। उनका कहना है कि धारा 498A (दहेज कानून) का कुछ महिलाएं गलत तरीके से उपयोग कर रही हैं।
कैसे हुई शुरुआत
2011 में दीपिका के एक रिश्तेदार की शादी टूट गई थी, और उसकी पत्नी ने उसके पूरे परिवार के खिलाफ दहेज का मामला दर्ज कर दिया था। उनके खिलाफ भी शिकायत की गई थी। इस मामले को सुलझाने के लिए उनके परिवार ने बड़ी रकम दी, लेकिन तभी से दीपिका के मन में यह विचार घर कर गया कि दहेज कानून के दुरुपयोग को रोकना चाहिए।