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कॉन्डम ने फंसाया! देना पड़ा भारी चालान, आप भी रहें सतर्क
ट्रैफिक पुलिस की बात करें तो कानून में इसको लेकर किसी तरह का कोई नियम नहीं है। ऐसे में अगर किसी कैब ड्राइवर का कॉन्डम न रखने पर चालान होता है तो शिकायत अथॉरिटी से इसकी शिकायत करनी चाहिए, जबकि दिल्ली मोटर व्हीकल एक्ट- 1993 और सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट, 1989 में ऐसा कोई जिक्र नहीं है।
नई दिल्ली: नए मोटर व्हीकल एक्ट को लेकर अब एक नया बवाल सामने आया है। यह मामला काफी अजीबोगरीब है। दरअसल, नए मोटर व्हीकल एक्ट के तहत राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक कैब ड्राईवर को चालान भरना पड़ गया। यहां तक तो ठीक था लेकिन जब चालान कटने की वजह सामने आई तो सब हैरान रह गए। कैब ड्राईवर का चालान कॉन्डम न रखने की वजह से काट दिया गया।
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जी हां, हो गए न हैरान। ये बात 100 टका सच है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली के नेल्सन मंडेला मार्ग पर धर्मेंद्र नाम के एक कैब ड्राईवर एक ट्रैफिक पुलिस वाले ने दो दिन पहले रोककर उसका चालान काटा था, जबकि धर्मेंद्र के पास सारे कागजात मौजूद थे। इसके बाद जब फर्स्ट ऐड बॉक्स देखा गया तो उसमें कॉन्डम नहीं था।
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इस बात पर ट्रैफिक पुलिस ने धर्मेंद्र का चालान काट दिया। जानकारी के अनुसार, उसको जब चालान की रसीद मिली तो उसमें कॉन्डम का जिक्र न करते हुए ओवर स्पीड बताया गया, जबकि फर्स्ट ऐड बॉक्स में कॉन्डम रखने को लेकर कोई नियम नहीं है, लेकिन कैब ड्राईवर का मानना है कि चालान से बचने के लिए कॉन्डम रखना अनिवार्य है।
कॉन्डम खून रोकने में होता है मददगार
दिल्ली की सर्वोदय ड्राइवर एसोसिएशन के अध्यक्ष कमलजीत गिल का इस मामले में कहना है कि कम से कम तीन कॉन्डम सार्वजनिक वाहनों के लिए हर समय मौजूद होने चाहिए। हर सार्वजनिक वाहन को कम से कम तीन कॉन्डम अपने वाहन में रखने चाहिए क्योंकि ये खून रोकने में मददगार होता है।
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हालांकि, इस संबंध में ज़्यादातर कैब ड्राइवरों को इसकी जानकारी नहीं है क्योंकि उनको कभी भी ये बात बताई नहीं गयी, जबकि अगर आप किसी भी चोट पर कॉन्डम लगाएंगे तो उससे खून का प्रवाह रोका जा सकता है। इसी तरह अगर आप अस्पताल पहुंचने तक फ्रैक्चर होने पर कॉन्डम को उस चोट पर लगाएंगे तो इससे थोड़ी मदद मिलेगी।
कॉन्डम रखने का कोई जिक्र कानून में नहीं
ट्रैफिक पुलिस की बात करें तो कानून में इसको लेकर किसी तरह का कोई नियम नहीं है। ऐसे में अगर किसी कैब ड्राइवर का कॉन्डम न रखने पर चालान होता है तो शिकायत अथॉरिटी से इसकी शिकायत करनी चाहिए, जबकि दिल्ली मोटर व्हीकल एक्ट- 1993 और सेंट्रल मोटर व्हीकल एक्ट, 1989 में ऐसा कोई जिक्र नहीं है।