Hindi Diwas 2024: हिंदी दिवस: हिंदी का उत्सव या मातम?

Hindi Diwas 2024: 14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाया जाता है। यह दिन 1949 में संविधान सभा द्वारा हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार करने की याद दिलाता है।

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Published on: 14 Sep 2024 4:19 AM GMT
Hindi Diwas 2024
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Hindi Diwas 2024 (Pic: Social Media)

Hindi Diwas 2024: हिंदी की वर्तमान वास्तविक स्थिति को समझने के लिए मैं अपने दो अनुभव आपके साथ साझा करूंगा।

एक- मैं काफी हवाई यात्राएं करता हूं और किताबें पढ़ने का भी शौकीन हूं, यूं तो कई भाषाएं जानता समझता हूं, पर पढ़ने का आनंद मुझे हिंदी में ही आता है। निर्धारित समय से पूर्व एयरपोर्ट पहुंच जाने पर मेरा वह समय प्रायः वहां की किताब की दुकानों में गुजरता है। किंतु यह विडंबना ही है कि, चाहे देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट हैदराबाद (शमसाबाद) हो अथवा देश की आर्थिक राजधानी मुंबई का भव्य एयरपोर्ट हो, वहां कई किताब दुकानें होने के बावजूद मुझे कभी भी हिंदी की स्तरीय किताबें नहीं मिल पाती। इक्का-दुक्का किताबें, या एक दो हिंदी पत्रिकाएं गलती से कहीं दिख जाएं तो अलग बात है।

इन किताब की दुकानों में जब मैं हिंदी की किताब के बारे में पूछता हूं तो सेल्समैन इस तरह से मुंह बिचकाते हैं जानो मैं ने कोई मजाक की बात कह दी है। प्रायः जवाब देने की भी सहमत नहीं उठाते बस मुंडी हिला देते हैं। ऐसा भारत के लगभग अधिकांश एयरपोर्ट पर होता है, और मैं भी हर बार सेल्समैन को हिंदी की किताबें रखने का विनम्र निवेदन करता हूं। मैं यह गुनाह बेलज्जत बिना नागा किए पिछले 25 वर्षों से कर रहा हूं,। परंतु मुझे यह बताते हुए कोई शर्म नहीं है कि मेरे इन प्रयासों का कोई सकारात्मक परिणाम आज तक नहीं दिखाई दिया है, अलबत्ता एयरपोर्ट्स के सेल्समैन मुझे 'हिंदी वाले जहमत ' के नाम से पहचानने लगे हैं।

दूसरी बात- अपने लंबे पैरों के कारण मैं प्रायः हवाई जहाज में किनारे की सीट लेना चाहता हूं। एयरपोर्ट में बोर्डिंग डेस्क पर जब भी मैं अपने लिए किनारे वाली सीट की हिंदी में गुजारिश करता हूं, तो डेस्क पर अंग्रेजी में गिटपिट करती बालाएं मुझे इस नजर से घूरती हैं, मानो राजमहल में कोई भिखमंगा घुस आया हो। इन दो घटनाओं से आपको वर्तमान भारत के अंग्रेजी परस्त अभिजात्य वर्ग में हिंदी की हैसियत के बारे में पता चल गया होगा।

आज है हिंदी दिवस

14 सितंबर को भारत में हिंदी दिवस मनाया जाता है। यूं तो हिंदी सप्ताह एवं हिंदी पखवाड़ा भी मनाया जाता है। यह दिन 1949 में संविधान सभा द्वारा हिंदी को भारत की राजभाषा के रूप में स्वीकार करने की याद दिलाता है। हालांकि, इस दिन का सबसे बड़ा व्यंग्य यह है कि हिंदी को सम्मान देने के नाम पर इस दिन ही हिंदी की असल हालात का कटु एहसास भी होता। दरअसल हर मामले में अंग्रेजी से दिन प्रतिदिन पिछड़ती हिंदी का दिवस एक जश्न से ज्यादा,हिंदी की बदहाली का प्रतीक है।

देश में सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा

हिंदी का परचम: हिंदी अपनी स्वयं की ताकत के दम पर भारत की सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। इतना ही नहीं समूचे विश्व में आज आज हिंदी अंग्रेजी और चीन की भाषा में मंदारिन के बाद तीसरे नंबर की सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषा है। 2021 की जनगणना के अनुसार, देश की 44% आबादी हिंदी बोलती है। सोशल मीडिया पर हिंदी का बोलबाला है, व्हाट्सएप से लेकर फेसबुक तक, हिंदी ही सबसे अधिक देखी और पढ़ी जाती है। बॉलीवुड भी हिंदी की ताकत समझता है और ज्यादातर फिल्में हिंदी में ही होती हैं। हिंदी फिल्मों ने देश के दक्षिणी राज्यों में भी हिंदी जानने समझने वालों का एक बड़ा वर्ग बनाया है। हिंदी दिवस पर सरकारी दफ्तरों, स्कूलों और कॉलेजों में औपचारिक कार्यक्रम होते हैं। मंचों पर हिंदी भाषा की का गुणगान करते हुए अपने आप को सबसे बड़ा हिंदी प्रेमी साबित करने की होड़ रहती है। बड़ी-बड़ी कंपनियां भी हिंदी में विज्ञापन करने में कोई कसर नहीं छोड़तीं।

मातम की स्थिति क्यों..?

हिंदी बोलने वालों की संख्या अधिक है, लेकिन अंग्रेजी का वर्चस्व शिक्षा, नौकरी और व्यापार, रोजगार में स्पष्ट है। उच्च शिक्षा और सरकारी नौकरियों में अंग्रेजी माध्यम के छात्रों को तरजीह मिलती है, और हिंदी माध्यम के छात्रों के लिए चुनौतियां बढ़ती जाती हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में हिंदी माध्यम के छात्रों की प्रतिस्पर्धा में अंग्रेजी हमेशा आगे रहती है। हिंदी दिवस पर भाषण दिए जाते हैं, लेकिन साल भर हिंदी को उपेक्षित किया जाता है। सरकारी दफ्तरों में हिंदी में काम का आग्रह किया जाता है, पर असल में काम तो अंग्रेजी में ही होता है।

महत्वपूर्ण तिथियां और आंकड़े

1949: 14 सितंबर को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया।

1950: भारतीय संविधान लागू हुआ।

1965: हिंदी को राजभाषा के रूप में लागू करने का अंतिम वर्ष।

1976: राजभाषा अधिनियम में संशोधन कर अंग्रेजी को भी राजभाषा बनाए रखा गया।

अस्तित्व बचाने को जूझ रही हिंदी

हिंदी अपनी विशिष्ट पहचान और अस्तित्व को बचाए रखने को जूझ रही है। अंग्रेजी की बढ़ती ताकत ने हिंदी को द्वितीयक भाषा बना दिया है। आज की शिक्षा व्यवस्था और रोजगार में अंग्रेजी के बिना काम नहीं चलता, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि हिंदी को पीछे छोड़ दिया जाए। हिंदी को भी तकनीकी रूप से अनुकूल और वैश्विक संदर्भ में मजबूत बनाना जरूरी है। अंततः, हिंदी दिवस पर हिंदी का असली सम्मान तभी होगा जब इसे केवल एक दिन नहीं, पूरे साल, कार्यों और जीवन का हिस्सा बनाया जाए, और यह रोजगार की मुख्य भाषा भाषा भी बन जाए।

(लेखक- डॉ राजाराम त्रिपाठी)

Sidheshwar Nath Pandey

Sidheshwar Nath Pandey

Content Writer

मेरा नाम सिद्धेश्वर नाथ पांडे है। मैंने इलाहाबाद विश्विद्यालय से मीडिया स्टडीज से स्नातक की पढ़ाई की है। फ्रीलांस राइटिंग में करीब एक साल के अनुभव के साथ अभी मैं NewsTrack में हिंदी कंटेंट राइटर के रूप में काम करता हूं। पत्रकारिता के अलावा किताबें पढ़ना और घूमना मेरी हॉबी हैं।

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