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परिवार का अर्थ है स्वस्थ व खुशहाल जीवन

आज 15 मई अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में विश्व में मनाया जाता है। मानव का जन्म ही परिवार के रूप में होता है। उसका लालन पालन परिवार में ही होता है।

rajeev gupta janasnehi
Written By rajeev gupta janasnehiPublished By Shweta
Published on: 14 May 2021 11:07 PM IST
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस
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अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस (फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

आज 15 मई अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में विश्व में मनाया जाता है। मानव का जन्म ही परिवार के रूप में होता है। उसका लालन पालन परिवार में ही होता है। परिवार के बिना उसका अस्तित्व नही होता है। यह बात अलग है उसकी परिवार में रहने की आयु कितनी है और परिवार का आकर कितना बड़ा है। एक परिवार में माता व पिता के मात्र होने से भी परिवार कहलाता है। परिवार की महत्ता कल भी थी और आज भी है और हमेशा रहेगी क्योंकि जो आनंद , महत्,सुरक्षा ,अनुभव ,संतोष ,भावात्मक लगाव के साथ निखार चरित्र का निर्माण परिवार में है। वो विश्व में किसी अन्य संगठन या अन्य रूप में नही होता है। विश्व के डॉक्टर प्रामाणिक तोर पर कहा है जो बच्चे दादा दादी के साथ परिवार में रहते है वो जीवन के मूल्य और हर तरह से मानसिक व शारीरिक मजबूत होने के साथ बोदिक प्रखर होते है।

वह समाज में हर स्थिति का सामना करने के लिए परिवार नाम के इकाई की ताकत से कर पाता है। भारत में तो परिवार परम्परा का बहुत अधिक महत्व है। परिवार को और मजबूत करने के हिंदू अंडिवायडेड परिवार का भी कानून है। आज वेश्विक प्रतिस्पर्धा व चकाचोंध के साथ अधिक आर्थिक मजबूती के लिए आदमी को परिवार से अलग होना पड़ता है साथ ही वह अपने खुद के बारे में (सेल्फीस) और आजादी की जब सोचने लगता है तो शादी होते ही वो सब से पहली परिवार की इकाई बनकर आने वाले अपने बच्चे की कल्पना करने लगता है। इससे हम भारतीय भी अब अछूते नहीं रह पाए है लेकिन आज भी परिवार का महत्व व सुख भारत में अन्य देशों से कही अधिक है। भारत के शहर की तुलना में गांव में आज भी परिवारों के बड़े आकर में ही रहने का प्रचलन है। विश्व में भारत की जनसंख्या का दबाव कम करने के लिए भारत में जनसंख्या नियंत्रण कानून तहत और अच्छी परिवरिश के लिए भी परिवार सीमित हो रहे है लेकिन भारत में आज भी परिवार में 8 से 10 सदस्य होना आम बात है लेकिन आर्थिक लाभ व रोज़गार के लिए परिवार से बिछड़ना पड रहा है।

आज बराबरी की होड़ और कैरीअर के लिए महिलाओं के पास भी परिवार के साथ सकून से बैठने का समय ही नहीं रहा। भाग दोड की जिंदगी में परिवार कब ,कहां खो जाता है पता ही नहीं चलता और याद ही नहीं रहता है कब एक साथ बैठ कर चाई पीते हुए या खाना खाते हुए एक दूसरे के मन में घुस जाते थे और एक दूसरे की ख़ुशी या गम का पता मस्ती मस्ती में पता चल जाता था ।आज बिजनेस टूर में परिवार के साथ सेर का आनंद भी गायब हो गया ।आज दादा दादी के अनुभव की कथाओं की जगह मोबाइल गेजेट ने ले ली है| यह परिवार में रहते हुए भी अलग रह रहे हैं। एक बात साफ़ समझ ले परिवार का अर्थ होता है प्यार समर्पण एक दूसरे का सहारा व त्याग अर्थात एक दूसरे के लिए जीना या मारना एक दूसरे की मन की बात सुनना। अपनी व्यस्तता के चलते आज अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस को परिवार के महत्व और परिवार की जरुरत के प्रति युवाओं में जागरुकता फैलाने व साथ में समय बिताने के लिए सेलिब्रेट किया जाने लगा है ।

पिछले साल 2020 कोरोना महामारी के चलते परिवार का मूल्य विश्व को समझ आ रहा है कि भारतीय परम्परा का ढाँचा और जीवन शैली और परिवार में रहना अमूल्य है। इस कारण आज इस महामारी में कोरोना से भारत अन्य देशों की तुलना में मजबूत स्थिति है साथ ही विश्व में जो लोग परिवार में रह रहे हैं वो तमाम समस्या से ना केवल कोरोना से लड़ पा रहे बल्कि परिवार के साथ सुख और मस्ती करते हुए एक दूसरे को प्यार लेते देते हुए लॉक्डाउन का समय आनंद से गुजारा है

इस वर्ष 2021 में दूसरी लहर ने परिवार की सार्थकता साबित की है |कोविड में परिवार के साथ रहने से मर्ज से लड़ना व मरीज को हौसला देकर उसकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रहती है जिससे वह कोरोना को हारने में सफल रहता है । इंटरनेशनल फैमिली डे यानि अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस बड़ी ही धूमधाम से पूरी दुनिया में 1993 में 15 मई को संयुक्त राष्ट्र महासभा की वैश्विक समुदाय परिवारों को जोड़ने वाली पहल के रूप में और परिवारों से संबंधित मुद्दों के बारे में जागरूकता करने के लिए की गई थी।

वर्ष 1996 के बाद से संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने

आधुनिक समाज में परिवारों का विघटन

समाज में घटती नैतिकता के दुष्परिणाम हम सबके सामने हैं ही| बच्चों का अनैतिक कार्यों में शामिल होना, सेक्स के प्रति उनकी हिंसात्मक प्रतिक्रिया, प्रेम का गलत मतलब, स्कूल में पढ़ने की जगह मोबाइल जैसी चीजों में समय बर्बाद करना, मां बाप का कहना ना मानना ऐसी कई घटनाएं है जिनकी वजह से यह साबित हो गया है कि गिरता नैतिक स्तर समाज को डुबो रहा है।

इंटरनेशनल फैमिली डे का मनाने का प्रमुख कारण हैं यानि स्वस्थ व कुशल जीवन जी हाँ इसके साथ सुरक्षा व सरांक्षद देता मानसिक अवसाद बाद से। युवा अपनी बुरी आदतों (धूम्रपान, जुआ) कामुकता को छोड़कर एक सफल जीवन की शुरुआत करते है। भौतिक तरक्की से पूंजी से कुबेर की सारी संपत्ति से तमाम सुख साधन खरीदे जा सकते हैं पर परिवार जैसी संस्थान का प्यार व समृद्धि कभी भी नहीं खरीदी जा सकती है। यह बात हमेशा हमको ध्यान रखना चाहिए। सभी को परिवार दिवस की बहुत बधाई व शुभकामनाएं।



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Shweta

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