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Arvind Kejriwal News: आम आदमी पार्टी की भविष्य की राह, काँटो से भरपूर
आज से लगभग 12 वर्ष 5 माह पूर्व समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जी के नेतृत्व में तत्कालीन सरकार की त्रुटिपूर्ण नीतियों के विरोध में एक जनआन्दोलन हुआ, उस आन्दोलन के अन्तर्गत आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ।
Arvind Kejriwal News (Photo Social Media)
Arvind Kejriwal News: आज से लगभग 12 वर्ष 5 माह पूर्व समाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे जी के नेतृत्व में तत्कालीन सरकार की त्रुटिपूर्ण नीतियों के विरोध में एक जनआन्दोलन हुआ, उस आन्दोलन के अन्तर्गत आम आदमी पार्टी का जन्म हुआ। यद्यपि यह आंदोलन गैरराजनैतिक था, परन्तु जनता के हितार्थ राजनैतिक उद्देश्य से परिपूर्ण था। अन्ना हजारे ने कांग्रेस सरकार के भ्रष्टाचार पर नियन्त्रण हेतु इस आन्दोलन का आयोजन किया, जिसे सफल बनाने के लिए कांग्रेस विरोधी सभी पार्टियां एकजुट हो गई। उस आंदोलन ने राजनैतिक भ्रष्टाचार को समाप्त करने में कितनी सफलता प्राप्त की, इसके विषय में कुछ टिप्पणी नहीं की जा सकती, परन्तु इस आन्दोलन के माध्यम से अन्ना हजारे की भावी राष्ट्रपति बनने की आकांक्षा पूर्ण न हो सकी।
इस आंदोलन के सहयोगकर्ता के रूप में केजरीवाल, किरणबेदी, कुमार विश्वास आदि सभी अपने-अपने राजनैतिक स्वप्नों को पूर्ण करने हेतु एकत्र हुए। इन सभी कार्यकर्ताओं में केजरीवाल की महत्वाकांक्षा सबसे अधिक थी और उन्होंने कुमार विश्वास के साथ मिलकर आम आदमी पार्टी का गठन किया। केजरीवाल जी के अतीत पर यदि दृष्टिपात करें तो वे राजनीति में आने पूर्व आयकर विभाग में उच्च अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। इस पार्टी के गठन के प्रारम्भ में ही उन्होंने जनता को अपनी योजनाओं से मंत्रमुग्ध कर दिया था और जनता के अपार समर्थन से दिल्ली की कांग्रेस सरकार को अपदस्थ कर, आम आदमी पार्टी की सरकार को स्थापित किया और स्वंय मुख्यमंत्री के पद पर शोभायमान हो गये। कुमार विश्वास एवम् किरणबेदी ने केजरीवाल के दिखावटी चेहरे के पीछे छिपे भाव को पहचानकर सर्वप्रथम कुमार विश्वास ने पार्टी से त्यागपत्र देकर राजनीतिक जीवन को पूर्णतया त्याग दिया और किरणबेदी ने भी भाजपा की सदस्यता गृहण की और पुडुचेरी की प्रथम उपराज्यपाल बनकर अपना भविष्य संवारा।
आम आदमी पार्टी के गठन के पश्चात प्रारम्भ से ही केजरीवाल ने ऊंचे स्वप्न देखने आरम्भ कर दिये थे। दिल्ली के चुनावों की सफलता ने उनके हृदय में यह अटूट विश्वास का भाव जागृत कर दिया था कि भारत के प्रधानमंत्री पद को प्राप्त करने में उन्हें कोई बाधा नहीं आएगी। इसी आशा से उन्होंने अपने निर्णय लेने प्रारम्भ कर दिए, जिससे वह सहजता से इस पद को प्राप्त कर सकें। इसी महत्वाकांक्षा की पूर्ति हेतु उन्होंने लोकसभा का चुनाव लड़ा जिसमें वह पूर्णतया पराजित हुए और भाजपा के समक्ष अन्य पार्टियों की भांति आम आदमी पार्टी भी असफल रहीं।
अब केन्द्र में सत्तासीन भाजपा पार्टी का सामना करने हेतु सभी विपक्षी पार्टियों ने मिलकर इण्डिया गठबंधन का निर्माण किया, उनमें आप पार्टी भी एक प्रमुख घटक दल था, परन्तु गठबंधन को संयत रूप से संचालित करने हेतु राजनीतिक धर्म का पालन करने में केजरीवाल पूर्णतयाः असफल रहे। तत्पश्चात उनपर भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप लगे, जिस कारण से उन्हें कारावास भी भुगतना पड़ा और भविष्य में भी ऐसी संभावना प्रतीत हो रही हैं।
एक नेता के सर्वौपरी गुण उसका धैर्य, वाणी में मधुरता, नेतृत्व की कुशलता निहित होती है परन्तु केजरीवाल जी में उपरोक्त सभी गुणों का आभाव है, उनका अपनी वाणी पर नियंत्रण कदापि नहीं है। वे किसी भी उच्च पदासीन नेता के विरूद्ध अभ्रद भाषा का प्रयोग करने में तनिक भी नहीं झिझकते। उनमें अहम की भावना अत्यधिक मात्रा में है, जिससे वे साधारण जनता को अपना गुलाम सदृश समझते हैं। वे अत्यधिक महत्वाकांक्षी हैं, इसलिए वे वर्ष 2050 तक सत्तासीन होने की उद्घोषणा भी करते रहे हैं।
चुनावी जीत हेतु वे जनता को अपने सादगीपूर्ण जीवन की चर्चा करके आकर्षित करते थे। परन्तु चुनावी जीत के पष्चात ऐष्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करने हेतु समस्त सुख संसाधनों पर वे अत्यधिक धन का व्यय करते रहे। उनके इस कृत्य ने जनता को यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी कथनी और करनी में अत्यधिक अंतर है। दिल्ली की जनता उनके मुखौटे के पीछे छिपे हुए वास्तविक चेहरे को पहचान गयी थी। इसलिए जनता ने न केवल आम आदमी पार्टी को हराया अपितु केजरीवाल को भी हराकर उनके प्रति अपना अविश्वास प्रदर्शित किया।
वर्तमान समय में दिल्ली में आप पार्टी की वापसी होना वास्तव में एक दिवास्वप्न हो गया है। परन्तु पंजाब में भगवंतमान के नेतृत्व में आप पार्टी अभी भी कार्यरत है। राजनैतिक पण्डितों की भविष्यवाणी के अनुसार, आगामी 3 माह में वह सरकार स्वयं ही गिर जायेगी, परिणामस्वरूप वहां पर राष्ट्रपति शासन लगने की पूर्ण सम्भावना है। तत्पश्चात चुनावी प्रक्रिया के समय वहाँ की आप पार्टी भी दिल्ली के समान स्वतः ही समाप्त हो जाएगी।
केजरीवाल की राजनीतिक पराजय तथा भविष्य में उनका कारावास में जाना यदि सम्भव हो गया तो आप पार्टी पूर्णतया नेतृत्व विहीन हो जाएगी। जिस प्रकार किसी जहाज के डूबने पर उसमें रहने वाले चूहें स्वयं को सुरक्षित करने हेतु सर्वप्रथम समुद्र में कूदना प्रारम्भ कर देते हैं, उसी प्रकार पार्टी के शेष नेतागण भी, आप पार्टी को छोड़कर अन्य किसी राष्टीय पार्टी से जुड़कर अपने राजनैतिक भविष्य को सुरक्षित करना चाहेंगे। इस प्रकार आम आदमी पार्टी का अस्तित्व स्वतः ही समाप्त हो जाएगा।