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दत्तक पुत्र-पुत्री भी बालिग होने पर तोड़ नहीं सकते मां-बाप से रिश्ता

यूनीसेफ (UNICEF) की रिपोर्ट को माने तो दुनिया भर में 140 मिलियन बच्चे अनाथ है जिसमें से 2.7 मिलियन बच्चे अपना जीवन सड़कों पर बिताने को मजबूर हैं।

Newstrack
Published on: 16 Dec 2020 7:38 AM GMT
दत्तक पुत्र-पुत्री भी बालिग होने पर तोड़ नहीं सकते मां-बाप से रिश्ता
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दत्तक पुत्र-पुत्री पर वरिष्ठ अधिवक्ता दिल्ली हाईकोर्ट नंदिता झा का लेख (PC: Social media)

लखनऊ: लक्ष्मी कांत पांडेय बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में वकील द्वारा लिखे पत्र को जनहित याचिका मानते हुए विदेशी नागरिकों द्वारा अनाथ, त्यागे हुए बच्चों को गोद लिए जाने के बाद उनके साथ दुर्व्यवहार और भीख मांगने पर मजबूर करने के मामले उजागर होने पर सुप्रीम कोर्ट दत्तक नियमों में बदलाव के स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी को कहा कि "विदेशी नागरिकों का आवेदन उसके देश की चाइल्ड वेलफेयर एजेंसी की ओर से आना चाहिए। बच्चे के जैविक माता पिता को गोद लिए जाने वाले परिवार की जानकारी नहीं दी जानी चाहिए और गोद लेने वाले विदेशी दंपत्ति का पूरा ब्यौरा उनकी मेडिकल रिपोर्ट, उनकी आय ,सम्पत्ति ,आयकर का विवरण, तस्वीर इत्यादि आवेदन के साथ अनिवार्य तौर पर संलग्न किया जाना चाहिए।

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दत्तक प्रथा बहुत पुरानी है,कानून के शक्ल में इंग्लैंड में 1926 में आया

यूनीसेफ (UNICEF) की रिपोर्ट को माने तो दुनिया भर में 140 मिलियन बच्चे अनाथ है जिसमें से 2.7 मिलियन बच्चे अपना जीवन सड़कों पर बिताने को मजबूर हैं। दत्तक प्रथा बहुत पुरानी है,कानून के शक्ल में इंग्लैंड में 1926 में आया । ताकि गोद लिए हुए बच्चों के अधिकार की रक्षा की जा सके। भारत में ' एडॉप्शन' कानून पर्सनल लॉ के अंतर्गत आता है। हिन्दू एडॉप्शन एंड मैंटेनेंस एक्ट 1956 के तहत हिन्दू ,सिख,जैन, बुद्धिस्ट, के द्वारा बच्चे को गोद लेने के प्रावधान दिए गए वही मुसलमान ,क्रिस्चियन, पारसी,और यहूदियों पर गार्डियन एंड वार्ड एक्ट1890 के तहत गार्डियन बनने के प्रावधान दिए गए।

कानून की धारा 6 में विधिमान्य दत्तक कब माना जायेगा बताया गया

बहुत से विद्वानों का मत है कि इसके लिए एक यूनिफॉर्म सिविल कोड (समान नागरिक संहिता)होनी चाहिए। हिदू दत्तक और भरण पोषण कानून 1956 में हिंदू दंपत्ति द्वारा हिन्दू बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया और प्रावधान दिया गया । इस कानून की धारा 6 में विधिमान्य दत्तक कब माना जायेगा बताया गया ।

दत्तक लेते वक्त हिन्दू व्यक्ति दत्तक लेने के लिए सक्षम हो और अधिकार हो। दत्तक देने वाले को भी दत्तक देने का अधिकार हो साथ ही दत्तक बच्चा भी दत्तक देने योग्य हो तभी वैध दत्तक माना जायेगा। इस अधिनियम में हिन्दू पुरुष किसी भी हिन्दू बच्चे को दत्तक स्वस्थ चित,और पत्नी की सहमति पर ही ले सकता है। दत्तक लेते वक्त दत्तक बच्चे की उम्र 15 वर्ष के भीतर ही होनी चाहिए।

दत्तक बच्चे से दत्तक माता पिता के बीच कम से कम 21 वर्ष का अंतर होना अनिवार्य है

धारा 11 के तहत यह अधिनियम कहता है कि दत्तक बच्चे से दत्तक माता पिता के बीच कम से कम 21 वर्ष का अंतर होना अनिवार्य है। और ये भी प्रावधान दिए गए कि एक लिंग के बच्चे होने पर समान लिंग के बच्चे को दत्तक नहीं लिया जाएगा। धारा 15 इस कानून का दर्शाता है कि एक बार वैध दत्तक ग्रहण होने पर दत्तक रद्द नहीं किया जाएगा चाहे दत्तक माता पिता द्वारा या फिर दत्तक पुत्र या पुत्री द्वारा।

धर्म निरपेक्ष प्रावधान से गोद लेने के लिए जुविनाइल जस्टिस एक्ट 2000 के तहत प्रावधान किए गए

धर्म निरपेक्ष प्रावधान से गोद लेने के लिए जुविनाइल जस्टिस एक्ट 2000 के तहत प्रावधान किए गए। इस अधिनियम की धारा 2(2)में गोद लेने का मतलब यह दिया गया कि बच्चे का अपने जैविक माता पिता से हमेशा के लिए अलग होना और दत्तक माता पिता के सारे अधिकार और कर्तव्यों का हकदार होना। 1990 में स्थापित संस्था' सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स ऑथोरिटी(CARA) का नियमन भी इस अधिनियम की धारा 68 के तहत किया गया। इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति किसी भी धर्म का 18 वर्ष तक के बच्चों को गोद ले सकता है।धारा 56(1)कहा गया कि शादी शुदा जोड़े या फिर सिंगल पैरेंट भी बच्चे को गोद ले सकते है ,जो बच्चे अनाथ है।जिन्हें परिवार ने त्याग दिया हो, या बच्चे का समर्पण हुआ हो। साथ ही देश विदेश से बच्चे गोद लिए जाने के प्रावधान किए गए।

संभावित माता पिता (PAP) के लिए शर्ते तय की गई

संभावित माता पिता (PAP) के लिए शर्ते तय की गई। वे मानसिक ,शारिरिक स्वस्थ होने के साथ साथ आर्थिक रूप से सम्पन्न होने चाहिए ताकि बच्चों की देखभाल हो सके। कम से कम शादी के दो वर्ष पूरे हो चुके हों।सिंगल पैरेंट और तलाक शुदा व्यक्ति तय नियमों को पूरा कर चुके हो। अकेला पुरुष लड़की गोद नहीं ले सकता। अकेली महिला किसी भी लिंग के बच्चे गोद ले सकती है। बच्चे और माता पिता के बीच उम्र में कम से कम 25 साल का अंतर अनिवार्य। कोई भी व्यक्ति सरकारी संस्थानों जैसे सेंट्रल अडॉप्शन रिसोर्स ऑथरिटी या अडॉप्शन कुर्डिनेटिंग एजेंसी में आवेदन कर बच्चा गोद ले सकते है।

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दत्तक कानून समाज मे जरूरत मंद माता पिता के लिए और बच्चों के लिए बना है। इस कानून के द्वारा अनाथ बच्चों को गोद मिल जाता है। कानून में कई प्रावधान के साथ साथ कई निषेधात्मक बातें भी है। ताकि गोद लिए जाने वाले बच्चे और गोद लेने वाले माता पिता के अधिकारों की रक्षा की जा सके। एक वैध प्रक्रिया अपना कर दोनों पक्षों को सुरक्षित किया जा सके।

(लेखक वरिष्ठ अधिवक्ता दिल्ली हाईकोर्ट में है)

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