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अब क्या होगी भारत की नीति अफ़गानिस्तान पर

अफ़गान की पॉलिसी पर श्री मोदी जी द्वारा अफ़गानिस्तान के आज के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इस बैठक में जो श्री मोदी जी कर रहे हैं- उसकी प्रशंसा की गई और कोई भी विरोध का स्वर नहीं उभरा।

BL Gaur
Written By BL GaurPublished By Shashi kant gautam
Published on: 31 Aug 2021 3:52 PM GMT
Indias Policy on Afghanistan
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अफ़गानिस्तान पर भारत की नीति: डिजाईन फोटो- सोशल मीडिया

आज भारतीय सरकार और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की चहुँ ओर प्रशंसा हो रही है, उनकी अफ़गान की पॉलिसी पर और इसी सिलसिले में एक अच्छी ख़बर यह आई है कि श्री मोदी जी द्वारा अफ़गानिस्तान के आज के हालात पर एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई। इस बैठक में जो श्री मोदी जी कर रहे हैं- उसकी प्रशंसा की गई और कोई भी विरोध का स्वर नहीं उभरा। अब यह नहीं मालूम हो सका कि उस विपक्ष में श्री राहुल गांधी उपस्थित थे या नहीं। मुझे लगता है कि शायद वे उपस्थित नहीं थे। क्योंकि देखा गया है कि ऐसे अवसरों पर वे चुप रहते हैं। जो उन्हें संसद के भीतर कहना चाहिए, वे बाहर सड़क पर आकर कहते हैं।

इस मीटिंग में 31 राजनीतिक पार्टियों के 34 नेता मौजूद थे, सभी ने मोदी जी की हाँ में हाँ मिलाई और सरकार की अफ़गानिस्तान पर जो अब तक की नीति रही है उस पर किसी प्रकार का कोई विरोध नहीं हुआ। वह अलग बात है कि टी.वी. चैनलों पर कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता उस मीटिंग की धज्जियाँ उड़ा रहे हैं और एक प्रकार से उस मीटिंग के निर्णय की छीछालेदर कर रहे हैं। वैसे भी उस मीटिंग का उसमें लिए गए निर्णय का कोई भी अर्थ नहीं रहा। कारण रही काबुल हवाई अड्डे की पल-पल बदलती तस्वीर।

जान बचाने की जद्दोजहद में अफगानी

शायद दूसरे ही दिन 26 अगस्त को काबुल हवाई अड्डे में दो भयंकर विस्फोट हुए। जिस समय ये विस्फोट हुए उस समय हवाई अड्डे पर लगभग तीस हजार लोग इस मारामारी में लगे थे कि किसी भी प्रकार, किसी भी हवाई जहाज में उन्हें जान बचाने के लिए प्रवेश मिल जाए। दो विस्फोटो में एक अनुमान के अनुसार 75 लोग मारे गये और लगभग 200 लोग घायल हुए। कुछ समय के लिए लोग वहाँ से हटे भी लेकिन विस्फोटों के बाद वे तुरंत वहीं लौट आए।

यह दृश्य भी अब पुराना हुआ। हवाई अड्डे की दीवार के साथ बहते हुए पानी का रंग काले से लाल हो गया। बच्चों के जूते-आदमियों के सिर तथा अन्य अंग उस लाल पानी पर तैरते हुए नज़र आए। मरने वालों में अमेरीकी सेना के 13 कमांडो भी थे, उनके भी चीथड़े उड़ गए।

काबुल हवाई अड्डे पर विस्फोट: फोटो- सोशल मीडिया

अमेरिका ने अपनी कायरता का परिचय दिया

अब अमेरिका कह रहा है कि हम उन दहशतगर्दों को छोड़ेंगे नहीं, उनका शिकार करेंगे। लेकिन ऐसा करना शायद उसके लिए संभव न हो पाए। जिन तालिबानों से अमेरिका 20 साल तक युद्धरत रहा और फिर एक दिन आनन-फानन में अफ़गानिस्तान को तालिबानों के रहमो-करम पर छोड़कर अपनी सेनाओं को वापस बुला लिया।

जहाँ दुनिया के दारोगा (अमेरिका) ने अपनी कायरता का परिचय दिया, वहीं उसने मानवता के विरूद्ध एक जघन्य काम भी किया कि तमाम आधुनिक हथियार- टैंक, टैंक भेदी मिसाइलें, असाल्ट रायफलें, वर्दियाँ आदि एक बड़ी मात्रा में इनडाइरेक्टली तालिबानों को सौंप आया।

आज कोढ़ में खाज भी हो चुकी है। तालिबान आई.एस.आई.एस खुरसान, आई.एस.आई के तमाम आतंकी जो पाकिस्तान की जेलों में बन्द थे, सभी पाकिस्तान ने एक मुश्त रिहा कर दिए हैं। अब वे सब आतंकी तालिबानों के साथ मिलकर भारत के विरूद्ध एक छद्मयुद्ध की तैयारी में लग गये हैं। तालिबान ने ताल रोक कर पाकिस्तानी आतंकियों को आश्वासन दे दिया है कि हम तुम्हें कश्मीर दिलवाएंगे। इस मामले में पाकिस्तान पहले से ही तैयार है। उसे शायद यह सब नहीं मालूम कि भारत इस सबके लिए पहले से ही तैयार है।

भारत को इज़राइल पैटर्न अपनाना होगा

भारत के पहले दो दुश्मन थे- पाकिस्तान और चीन। लेकिन अब एक तीसरा मोर्चा भी तैयारी कर रहा है, भारत की सीमाओं के भीतर आकर कश्मीर में अपने अड्डे बनाकर उसमें अशांति फैला देने की। इन सब हालातों के मद्देनजर भारत को इज़राइल पैटर्न अपनाना होगा। पुनः पहले जैसी कई स्ट्राइकों को कार्यान्वित करना होगा।

चलते-चलतेः- अमेरीका ने अपने 13 ब्लैक सी कमांडोस के मारे जाने का बदला खुरासान के अड्डे को तबाह कर तथा कुछ आतंकियों को ऊपर पहुँचाकर ले लिया है। भारत के सामने इस बदले हुए परिदृश्य में अनेक चुनौतियाँ हैं, इसीलिए मोदी सरकार अभी तक वेट एंड वाच की पॉलिसी अपनाए हुए है।

Shashi kant gautam

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