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स्मृति को हटाकर मोदी ने उठाया बड़ा जोखिम, क्या अमेठी आती रहेंगी ?

suman
Published on: 7 July 2016 8:07 AM GMT
स्मृति को हटाकर मोदी ने उठाया बड़ा जोखिम, क्या अमेठी आती रहेंगी ?
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Biswajit Bhattacharya Biswajit Bhattacharya

लखनऊ: स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी) से हटाए जाने का फैसला लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने भले ही उनसे जुड़े तमाम विवादों को खत्म करने की कवायद की हो, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यूपी में अगले साल होने जा रहे विधानसभा चुनावों से पहले एक बड़ा जोखिम भी उठाया है। साथ ही मोदी के इस फैसले को लेकर संसद के मॉनसून सत्र में सरकार को विपक्ष के तंज का सामना भी करना पड़ सकता है।

दरअसल, स्मृति को राहुल के मुकाबले अमेठी में खड़ा किया जा रहा था। माना ये जा रहा था कि विधानसभा चुनावों के दौरान नेहरू-गांधी खानदान के खिलाफ रायबरेली और अमेठी में स्मृति को मैदान में उतारा जाएगा, लेकिन उनके पर कतरे जाने से सोनिया और राहुल को बैठे-बिठाए एक किस्म की राहत मिल सकती है। हालांकि, अब स्मृति के पास अहम मंत्रालय नहीं है और कपड़ा मंत्रालय को सिर्फ नाम का मंत्रालय माना जाता है। ऐसे में यूपी के चुनावी समर में अगर उन्हें प्रचार के काम में लगाया जाता है, तो उनके पास इसके लिए वक्त की कोई कमी नहीं होगी।

स्मृति को अहम मंत्रालय से हटाकर कम महत्व के मंत्रालय में भेजकर भले ही पीएम मोदी ये संकेत दे रहे हों कि वह अपने खास लोगों को भी परफॉर्म न करने पर बख्शते नहीं हैं, लेकिन जिस तरह अमेठी का लगातार दौरा करके स्मृति वहां के लोगों और खासकर महिलाओं के बीच अपनी पैठ बना रही थीं, उसे भी झटका लगने के आसार दिखने लगे हैं। देखना ये है कि क्या कद में कमी के बाद भी स्मृति अपनी उस अमेठी में आना-जाना बनाए रखती हैं या नहीं, जहां के लोगों को उन्होंने ये भरोसा दिया था कि चाहे कुछ हो जाए, अमेठी से उन्होंने नाता जोड़ा है तो उसे बरकरार जरूर रखेंगी। अगर स्मृति का अमेठी दौरा बंद होता है, तो निश्चित तौर पर जो कुछ भी बीजेपी ने वहां हासिल किया, उसे गंवाने में उसे तनिक भी देर नहीं लगेगी।

स्मृति को एचआरडी से रुख्सत करने का काम मोदी ने ऐसे मौके पर भी किया है, जब संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं। ऐसे में सरकार को इस मसले पर वहां भी विपक्ष की ठिठोली का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा। दरअसल, विपक्ष लगातार स्मृति की विदाई की मांग कर रहा था और उस वक्त सरकार उनके पीछे मजबूती से खड़ी हुई थी। यहां तक कि स्मृति ने जब मायावती को राज्यसभा में सीधी चुनौती दी थी तो पीएम मोदी ने ट्वीट कर उनकी हौसला अफजाई भी की थी। अब विपक्ष उनकी उस हौसला अफजाई को मुद्दा बनाकर सरकार पर तंज कसने की तैयारी भी जरूर कर रहा होगा।

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