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Agneepath Scheme Protest: सैन्यपथ बन गया अग्निपथ!

Agneepath Scheme Protest: दर्जनों रेलगाड़ियों, स्टेशनों और पेट्रोल पंपों में आग लगा दी गई, बसों और अन्य वाहनों को जला दिया गया और घरों व सरकारी दफ्तरों को भी नहीं छोड़ा गया।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 20 Jun 2022 11:04 AM IST
Agneepath Scheme Protest
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अग्निपथ योजना के विरुद्ध चला आंदोलन (photo: social media ) 

Agneepath Scheme Protest: जैसा कि मैंने परसों लिखा था, अग्निपथ योजना के विरुद्ध चला आंदोलन (Agneepath Scheme Protest) पिछले सभी आंदोलन से भयंकर सिद्ध होगा। वही अब सारे देश में हो रहा है। पहले उत्तर भारत के कुछ शहरों में हुए प्रदर्शनों में नौजवानों ने थोड़ी-बहुत तोड़-फोड़ की थी लेकिन अब पिछले दो दिनों में हम जो दृश्य देख रहे हैं, वैसे भयानक दृश्य मेरी याददाश्त में पहले कभी नहीं देखे गए।

दर्जनों रेलगाड़ियों, स्टेशनों और पेट्रोल पंपों में आग लगा दी गई, कई बाजार लूट लिये गए, कई कारों, बसों और अन्य वाहनों को जला दिया गया और घरों व सरकारी दफ्तरों को भी नहीं छोड़ा गया। अभी तक पुलिस इन प्रदर्शनकारियों का मुकाबला बंदूकों से नहीं कर रही है लेकिन यही हिंसा विकराल होती गई तो पुलिस ही नहीं, सेना को भी बुलाना पड़ जाएगा। कोई आश्चर्य नहीं कि अगर सरकार का पारा गर्म हो गया तो भारत में चीन के त्येन आन मान स्कवेयर की तरह भयंकर हत्याकांड शुरु हो सकता है।

मुझे विश्वास है कि मोदी सरकार इस तरह का कोई बर्बर और हिंसक कदम नहीं उठाएगी। ऐसा कदम उठाते समय हो सकता है कि छात्रों और नौजवानों को भड़काने का दोष विपक्षी नेताओं के मत्थे मढ़ा जाए लेकिन मैं पहले ही कह चुका हूं कि नौजवानों का यह आंदोलन स्वतः स्फूर्त है। इसका कोई नेता नहीं है। यह किसी के उकसाने पर शुरु नहीं हुआ है। यह अलग बात है कि विरोधी दल अब इस आंदोलन का फायदा उठाने के लिए इसका डटकर समर्थन करने लगें, जैसा कि उन्होंने करना शुरु कर दिया है।

सरकार ने कई नई रियायतों की घोषणाएं

इस आंदोलन से डरकर सरकार ने कई नई रियायतों की घोषणाएं जरुर की हैं और वे अच्छी हैं। रक्षामंत्री राजनाथसिंह का रवैया काफी रचनात्मक है और भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय ने तो यहां तक कह दिया है कि चार साल तक फौज में रहनेवाले जवान को वे अपने दफ्तर में सबसे पहले मौका देंगे। चार साल का फौजी अनुभव रखनवाले जवानों को कहीं भी उपयुक्त रोजगार मिलना ज्यादा आसान होगा। इसके अलावा इस अग्निपथ योजना का लक्ष्य भारतीय सेना को आधुनिक और शक्तिशाली बनाना है और पेंशन पर खर्च होनेवाले पैसे को बचाकर उसे आधुनिक शास्त्रास्त्रों की खरीद में लगाना है। अमेरिका, इस्राइल तथा कई अन्य शक्तिशाली देशों में भी कमोबेश इसी प्रणाली को लागू किया जा रहा है लेकिन मोदी सरकार की यह स्थायी कमजोरी बन गई है कि वह कोई भी बड़ा देशहितकारी कदम उठाने के पहले उससे सीधे प्रभावित होनेवाले लोगों की प्रतिक्रिया जानने की कोशिश नहीं करती। जो गलती उसने भूमि अधिग्रहण अध्यादेश लाने, नोटबंदी करने और नागरिकता कानून लागू करते वक्त की वही गलती उसने अग्निपथ पर चलने की कर दी! यह सैन्य-पथ स्वयं सरकार का अग्निपथ बन गया है। अब वह भावी फौजियों के लिए कितनी ही रियायतें घोषित करती रहे, इस आंदोलन के रूकने के आसार दिखाई नहीं पड़ते। यह अत्यंत दुखद है कि जो नौजवान फौज में अपने लिए लंबी नौकरी चाहते हैं, उनके व्यवहार में आज हम घोर अनुशासनहीनता और अराजकता देख रहे हैं। क्या ये लोग फौज में भर्ती होकर भारत के लिए यश अर्जित कर सकेंगे? सच्चाई तो यह है कि हमारी सरकार और ये नौजवान, दोनों ही अपनी-अपनी मर्यादा का पालन नहीं कर रहे हैं।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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