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वायु प्रदूषण का कहर, बच्चा पैदा हो सकता है शुगर, रक्तचाप व सांस का बीमार

राम केवी
Published on: 8 Jan 2020 11:32 AM GMT
वायु प्रदूषण का कहर, बच्चा पैदा हो सकता है शुगर, रक्तचाप व सांस का बीमार
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रामकृष्ण वाजपेयी

पूरी दुनिया इस समय वायु प्रदूषण बढ़ाने वाले विभिन्न कारकों से परेशान है। संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि हमारा ग्रह जल रहा है, जलवायु संकट बढ़ता जा रहा है। वायु प्रदूषण न सिर्फ बड़ों को प्रभावित कर रहा है बल्कि अब इसकी चपेट में देश का भविष्य यानी भावी पीढ़ी भी आ गई है।

भारत में भी रिसर्च

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी एवं भारतीय सांख्यिकी संस्थान आईएसई के संयुक्त अध्ययन यह बात सामने आई है कि खतरनाक वायु प्रदूषण कोख में पल रहे अजन्मे शिशु के विकास पर भी असर डाल रहा है।

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अध्ययन में कहा गया है लगातार प्रदूषित वायु के दायरे में रहने वाली गर्भवती इससे बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं। उनके बच्चे कम वजन और कम लंबाई के हो रहे हैं। इसके साथ ही ऐसे बच्चों के जन्म लेने से पहले ही मानसिक स्वास्थ्य पर असर पड़ रहा है और जन्म सांस की बीमारियों के साथ होने की संभावना हो रही है। यह अध्ययन आईआईटी दिल्ली के कुणाल बाली साग्निक डे, सौगरांग चौधरी और आईएसआई की प्राची सिंह ने किया है। जिसके नतीजों में यह खतरनाक आशंकाएं जताई गई।

इजरायल में भी सतर्कता

इससे पहले तेल अवीव यूनिवर्सिटी के रिसर्चकर्ताओं ने अध्ययन किया था कि वायु प्रदूषण का गर्भ में पल रहे बच्चे पर बहुत बुरा असर पड़ता है और इसके कारण उन्हें जन्मजात विकृतियां पैदा हो सकती हैं। विश्वविद्यालय के प्राध्यापक लिएट लेर्नर गेवा ने कहा था कि शोध के नतीजे बताते हैं, वायु प्रदूषण जितना अधिक होगा गर्भस्थ शिशु के विकृति के साथ पैदा होने की आशंका उतनी ही ज्यादा होगी। इन शोधकर्ताओं ने 1997 से 2004 के बीच इजरायल में जन्मे 2,16,730 बच्चों पर अध्ययन किया था।

इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन मेडिकल एसोसिएशन ने जहरीले धुएं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले बुरे प्रभावों को लेकर ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को चेतावनी दी है। डॉक्टरों ने कहा है की प्रमुख शहरों में निकलने वाले जहरीले धुएं से स्वस्थ लोगों के गंभीर बीमारियों के चपेट में आने की संभावना है।

आस्ट्रेलिया में भी आगाह किया गया

गत सप्ताह जारी एक वक्तव्य में ऑस्ट्रेलियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष टोनी बाटोन ने कहा धुएं के दबाव से नए और घातक नतीजे सामने आ सकते हैं जो कि स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं। यह ऐसे नतीजे होंगे जिनकी हमने कल्पना नहीं की है। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक प्रदूषित वायु की चपेट में आने वाले लोगों के स्वास्थ्य के लिए उतने ही घातक नतीजे हो सकते हैं।

इस संबंध में संस्था के वाइस प्रेसिडेंट क्रिस जप्पाला ने कहा कि लंबे समय तक प्रदूषित हवा में रहने वाले लोगों को सांस लेने में तकलीफ की समस्या उत्पन्न हो जाती है। उन्होंने कहा कि साधारण बीमारी तो कुछ दिन में ठीक हो जाती है लेकिन जो लोग लगातार जहरीली हवा में रहते हैं उनके लिए बीमारी घातक हो सकती है।

गर्भवतियों को चेतावनी

रॉयल ऑस्ट्रेलियन और न्यूजीलैंड कॉलेज ऑफ ऑब्सटेट्रिशियन एंड गायनोकोलॉजिस्ट ने भी जहरीली हवा के गर्भवती महिलाओं पर पडने वाले दुष्परिणामों पर चेतावनी जारी की है। उन्होंने कहा कि इसके कारण बच्चे समय से पहले पैदा हो रहे हैं। उनमें वजन कम होना और उच्च रक्तचाप के लक्षण आ रहे हैं। गैस्टेशनल डायबिटीज की स्थिति हो रही है।

वायु प्रदूषण का बढ़ता खतरा

ताजा नतीजों के अनुसार दिल्ली वायु प्रदूषण अपने चरम पर है। इस हवा में सांस लेना भी धीमे जहर को लेने के समान हो गया है। या सिगरेट पीने जितना खतरनाक। दुनिया के 10 प्रमुख शहरों में प्रदूषित हवा के मामले में दिल्ली पहले नंबर पर है। दिल्ली में एयर क्वालिटी इंडेक्स 470 पर है, जो कि खतरनाक स्तर है. एयर विजुअल डॉट कॉम के अनुसार एक नवंबर 2019 को अन्य नौ शहरों में दूसरे नंबर पर पाकिस्तान का लाहौर (343), उसके बाद मंगोलिया का उलानबटार (168), बांग्लादेश का ढाका (164), भारत का कोलकाता (159), पोलैंड का क्राको (158), पोलैंड का रॉक्ला (155), चीन का वुहान (155), चीन का गुआंगझो (155) और चीन का चोंगकिंग (153) शहर शामिल है।

राम केवी

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