×

बिसाहड़ा कांड पर कोर्ट के फैसले के बाद अब बैकफुट पर अखिलेश सरकार

suman
Published on: 14 July 2016 7:03 PM IST
बिसाहड़ा कांड पर कोर्ट के फैसले के बाद अब बैकफुट पर अखिलेश सरकार
X

Vinod Kapoor Vinod Kapoor

लखनऊ/नोएडाः बिसाहड़ा कांड मामले में अखलाक और उसके परिवार के खिलाफ गो हत्या का केस दर्ज करने के अदालत के आदेश के बाद यूपी की अखिलेश सरकार बैकफुट पर आ गई है।पिछले साल 28 सितम्बर की रात भीड़ ने गाय का मांस रखने के आरोप में अखलाक को पीट-पीट कर मार डाला था। इस घटना के बाद जोरदार हंगामा हुआ और देश-विदेश की मीडिया का जमावड़ा नोएडा के दादरी इलाके के बिसहाड़ा गांव में जुटने लगा।

मीडिया और तमाम राजनीतिक दलों ने इसके लिए बीजेपी के कुछ नेताओं को जिम्मेदार ठहराया, क्योंकि अखलाक के घर गो मांस होने की जानकारी एक मंदिर से दी गई थी। इसी वक्त देश में असहिष्णुता का भी मामला भी उछला और बुद्धिजीवियों ने अपने अवॉर्ड वापस करने शुरू कर दिए। साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों ने तो इस मामले में केंद्र सरकार को भी निशाने पर रखा। देश में ऐसा माहौल बनाया जाने लगा मानो भारत में अब रहना मुश्किल है।

असहिष्णुता या असहनशीलता पर देश में लंबा विवाद चला। यहां तक की इस मामले में फिल्म अभिनेता और सामाजिक सरोकार से जुड़े आमिर खान भी कूदे। उन्होंनें पत्नी के हवाले से अपनी बात कही कि अब इस देश में परिवार के साथ रहने में डर लगता है। बच्चों के साथ किसी दूसरे देश में रहना ठीक होगा। अब लेखकों, साहित्यकारों और बुद्धिजीवियों से पूछा जाने लगा है कि क्या अब वो माफी मांग कर अपना वापस किया अवॉर्ड मांगेगे। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि एक साजिश के तहत पार्टी के खिलाफ माहौल बनाया गया ताकि बिहार विधानसभा का चुनाव जीता जा सके। कांग्रेस समेत सभी दल देश का माहौल सांप्रदायिक बनाकर बिहार का चुनाव जीतने में कामयाब हो गए लेकिन पूरे मामले को ऐसा संवेदनशील बनाया कि लगे जख्म जल्द भर नहीं सकेंगे।

गौतमबुद्धनगर के सीजेएम ने किसी सूूरजपाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुरुवार शाम को फैसला सुनाया। साथ ही जारचा थाने को आदेश दिए कि वह अखलाक के परिवार के खिलाफ गो हत्या कानून के तहत केस दर्ज करें। कोर्ट के इस आदेश के बाद से एक बार फिर सियासी मााहौल गरमा सकता है। एहतियात के तौर पर बिसाहड़ा में भारी पुलिस बल तैनात कर दिया गया है।

हालांकि अखलाक की बेटी ने कहा था कि उनके रिश्तेदार इसे पास के मसूरी गांव से लाए थे। अखलाक की बेटी का ये बयान ही अदालत के दरवाजे खोल गया। गो हत्या का मुकदमा दर्ज किया जाए या नहीं इसके लिए सीजेएम अदालत में 11 जुलाई को सुनवाई पूरी हो गई थी। अब अदालत ने मृतक अखलाक समेत सात लोगों के खिलाफ केस दर्ज करने के आदेश जारी कर दिए हैं।

सीएम अखिलेश यादव ने मामले को शांत करने या यूं कहें कि तुष्टिकरण की नीति के तहत अखलाक के परिवार को चार फ्लैट्स दिए थे और विवेकाधीन कोष का दरवाजा खोल दिया था। अखिलेश सरकार तुष्टिकरण की नीति के तहत इस मामले की लीपापोती पर लगी रही और CBI जांच से इंकार कर दिया। यूपी सरकार ने हाईकोर्ट में दाखिल हलफनामे में कहा था ‘पुलिस घटना की निष्पक्ष जांच कर रही है। आरोपी पुलिस की जांच को भटकाने और ट्रायल लेट करने के लिए मामले को राजनीतिक रंग देना चाहते हैं।’

अब सवाल फिर अखिलेश यादव की राजनीतिक सोच और प्रशासनिक क्षमता पर है कि क्या इसकी जांच सीबीआई से नहीं कराई जानी चाहिए था। इससे मामला भी नहीं बढ़ता और सच जल्द सामने आता, लेकिन लगता है कि सरकार इस मामले को दबाना चाहती थी। संभवत: सरकार को सच का पता था। अखिलेश यादव की राजनीतिक सोच ने कम से कम इस मामले में बीजेपी के हाथ एक बड़ा हथियार थमा दिया है ।

बीजेपी ने क्या कहा ?

पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य कहते हैं कि बीपेजी शुरू से ही इस मामले की सीबीआई जांच की मांग कर रही थी, लेकिन राज्य सरकार ने इससे मना कर दिया। यूपी में साम्प्रदायिक माहौल खराब करने का आरोप अक्सर बीजेपी पर लगता है, लेकिन यहां तो सरकार ही इसमें जुटी हुई थी। अब अखिलेश जवाब दें कि इस मामले में उनके फैसले कितने सही थे। अपने फैसले से उन्होंनें राज्य का कितना नुकसान किया है।

suman

suman

Next Story