Amarnath Yatra 2022 : मेरी श्री अमरनाथ जी यात्रा और स्वयंभू हिमानी शिवलिंग के दर्शन

बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है। यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है। सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। इसीलिए सरकार इस मार्ग को सुरक्षित नहीं मानती।

Durga Datt Pandey
Published on: 8 Aug 2022 2:02 PM GMT
amarnath yatra 2022 article by durga dutt pandey on shri amarnath ji yatra and darshan
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Amarnath Yatra 2022 

Amarnath Yatra 2022 : साल 2019 में शिव धाम में सर्वोच्चतम स्थान शिव का निवास स्थान श्री कैलाश मानसरोवर और पुन: 2022 में उच्च स्थान पर सुशोभित श्री अमरनाथ धाम की यात्रा का अनुभव रोमांचित करने वाला अद्वितीय है। शिव शिव हैं। सदा से ही नितांत निर्जन गुफाओं में, कन्दराओं में वास करने वाले, समुद्र तल से 13 हज़ार फिट से भी अधिक ऊंचाई पर स्थित बाबा अमरनाथ को 'तीर्थों का तींर्थ' कहा जाता है। क्योंकि, यहीं पर भगवान शिव ने मां पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

कहते हैं कि इसकी खोज 16 वीं शताब्दी मे एक गड़रिये ने की। जबकि, सच्चाई यह है कि 12वीं सदी में महाराजा अनंगपाल ने अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी महारानी सुमन देवी के साथ। यह 16वीं सदी से पहले लिखी गई वंशचरितावली में उद्धत है ।

'राजतरंगिणी तरंग द्वितीय' में उल्लेख

कल्हण की 'राजतरंगिणी तरंग द्वितीय' में उल्लेख मिलता है कि कश्मीर के राजा सामदीमत शिव के भक्त थे और वे पहलगाम के वनों में स्थित बर्फ के शिवलिंग की पूजा करने जाते थे। बर्फ का शिवलिंग कश्मीर को छोड़कर विश्व में कहीं भी नहीं है। भृगु संहिता में भी इस गुफा का उल्लेख है। बृंगेश संहिता, नीलमत पुराण, कल्हण की राज तरंगिणी आदि में अमरनाथ तीर्थ का बराबर उल्लेख मिलता है। बृंगेश संहिता में कुछ महत्वपूर्ण स्थानों का उल्लेख है।

'मैंने सोचा कि बर्फ का लिंग स्वयं शिव हैं'

तीर्थयात्रियों को अमरनाथ गुफा की ओर जाते समय धार्मिक अनुष्ठान करने पड़ते थे। उनमें अनंतनया (अनंतनाग), माच भवन (मट्टन),गणेशबल (गणेशपुर), मामलेश्वर (मामल), चंदनवाड़ी (2,811 मीटर), सुशरामनगर (शेषनाग,454 मीटर), पंचतरंगिनी (पंचतरणी, 3,845 मीटर) और अमरावती शामिल हैं। स्वामी विवेकानंद ने 1898 में 8 अगस्त को अमरनाथ गुफा की यात्रा की थी। और बाद में उन्होंने उल्लेख किया कि, 'मैंने सोचा कि बर्फ का लिंग स्वयं शिव हैं। मैंने ऐसी सुन्दर इतनी प्रेरणादायक कोई चीज नहीं देखी और न ही किसी धार्मिक स्थल का इतना आनंद लिया है।'

स्वयंभू हिमानी शिवलिंग

इस पवित्र गुफा में भगवान शंकर ने भगवती पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था। इस तत्वज्ञान को अमर कथा के नाम से जाना जाता है। इसीलिए इस स्थान का नाम अमरनाथ पड़ा। यह कथा भगवती पार्वती तथा भगवान शंकर के बीच हुआ संवाद है। यहां की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू हिमानी शिवलिंग भी कहते हैं। उस समय उस गुफा में उन दोनों के अलावा कबूतर का एक जोड़ा भी था। शिवजी के मुख से कथा सुनने के बाद यह कबूतर का जोड़ा भी अमर हो गया। माना जाता है कि अमरनाथ गुफा में वह कबूतर का जोड़ा अभी भी है।

पंचतरनी बेस कैंप

श्री अमरनाथ जी की अपनी यात्रा हमने ट्रेन, हवाई मार्ग और घोड़े तथा पैदल की। अत्यंत दुर्गम चढ़ाई भिन्न मार्गों पहलगाम और बालटाल से पैदल भी यात्रियों का जत्था बाबा की जयकार लगाते निरंतर आगे बढ़ रहा था। आस्था का ऐसा सैलाब देश भर के कोने-कोने से लोगों का आना वास्तव में सनातन की हमारी आस्था और विश्वास और मजबूत कर रहा था। 03 जुलाई 2022 को अपनी यात्रा की शुरुआत में श्रीनगर से सोनमर्ग पहुंचे और वहां से बोर्डिंग कर कुल 07 मिनट में चापर से पंचतरनी पहुंचे, जो कि बेस कैम्प है यात्रा का। जिसकी समुद्र तल से ऊंचाई 12,000 फुट है। पर उस दिन लगभग 2 बज चुके थे।

पंचतरनी हेलीपैड, ऊंचाई 12000 फ़ीट

एनाउंसमेंट हुआ कि, मौसम की खराबी के कारण आगे की यात्रा कल सुबह 05 बजे से शुरू होगी, सो कैंप में रात गुज़ारनी पड़ी। विभिन्न लंगरों के माध्यम से भोजन आदि की व्यवस्था के क्या कहने। इस यात्रा में हमारे एक सहयात्री को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा। पर, वहां उपलब्ध मेडिकल कि शानदार व्यवस्था से उन्हें कुछ राहत मिली और आगे की यात्रा में भी उनका साथ बना रहा। 04 जुलाई 2022 की सुबह-सबेरे जल्दी जल्दी उठना और तैयार होकर यात्रा प्रवेश द्वार से घोड़े पर सवार होकर प्रस्थान। आगे की कुल 6 किलोमीटर की यात्रा के लिए जो कठिन और दुर्गम है। घोड़े की सवारी भी काफी संभलकर करना होता है। पैदल यात्रा में पहलगाम से जाने वाले रास्ते को सरल और सुविधाजनक समझा जाता है।

बेहद दुर्गम रास्ता

बालटाल से अमरनाथ गुफा की दूरी केवल 14 किलोमीटर है। यह बहुत ही दुर्गम रास्ता है। सुरक्षा की दृष्टि से भी संदिग्ध है। इसीलिए सरकार इस मार्ग को सुरक्षित नहीं मानती। अधिकतर यात्रियों को पहलगाम के रास्ते अमरनाथ जाने के लिए प्रेरित करती है।

पंचतरनी से यात्रा प्रस्थान

यात्रा मार्ग पर सेना और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों की चप्पे चप्पे पर तैनाती एक तरफ़ जहां सुरक्षा का सुखद एहसास करा रही थी। वहीं, पैदल यात्रियों की कठिन डगर में उनके द्वारा सहायता भी अत्यंत प्रशंसनीय थी। स्थान स्थान पर मेडिकल कैम्प और अन्य व्यवस्थाओं वह क्षण हमें गर्व का एहसास करा रहा था, कि वास्तव में हमारे जवान दुनिया के किसी भी मुल्क की तुलना में सर्वोत्तम हैं। सैलूट है मेरा।

अंत में 350 खड़ी सीढिय़ों से यात्रा पूरी की

आगे 2 बजकर 50 मिनट की यात्रा के बाद हम पहुंच गए थे। पवित्र गुफा के निचले स्थान पर और वहां एक जगह बैग आदि रख, शुरू हुई लगभग 2 किलोमीटर की पैदल यात्रा जो 350 खड़ी सीढिय़ों के माध्यम से पूरी हुई ।'

दर्शनोंपरांत

फिर आगे उस पवित्र गुफा में हिम निर्मित मां गौरी और भगवान भोलेनाथ का दर्शन कर मन आस्था में हिलोरे लेने लगा। उनकी भक्ति में पूरा तन-मन भाव-विह्वल हो गया। पुनः: उतनी दूरी तय कर वापस पंचतरणी पहुंचे और बोर्डिंग करा के वापस हेलीकॉप्टर द्वारा सोनमबर्ग और फिर श्रीनगर।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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