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उपचुनाव के नतीजे बजा गए सपा के लिए खतरे की घंटी, कांग्रेस की हुई वापसी
Vinod Kapoor
लखनऊ: यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में जीत की उम्मीद पाले सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी को तीन सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे खतरे की घंटी बजा गए। सपा ने दो सीटें खो दीं तो एक सीट बचाए रखने में उसे कामयाबी मिली। मुजफ्फरनगर सीट बीजेपी ने झपट ली तो सहारनपुर की देवबंद सीट कांग्रेस की झोली में जा गिरी। तीनों सीटें पिछले चुनाव में जीते सदस्यों के निधन से खाली हुई थी। विधानसभा के लिए 2012 में हुए चुनाव में बीकापुर से सपा के मित्रसेन यादव, देवबंद से राजेन्द्र सिंह राणा और मुजफ्फरनगर से चितरंजन स्वरूप विजयी हुए थे।
सपा ने खेला सहानुभूति कार्ड, पर काम नहीं आया
13 फरवरी को हुए उपचुनाव में सपा ने सहानुभूति कार्ड खेला और मृत सदस्यों के बेटे और पत्नी को प्रत्याशी बनाया। बीकापुर सीट से मित्रसेन के बेटे आनंद सेन, मुजफ्फरनगर से चितरंजन स्वरूप के बेटे गौरव स्वरूप और देवबंद से राजेन्द्र सिंह राणा की पत्नी मीना राणा को प्रत्याशी बनाया। सपा को उम्मीद थी कि तीनों सीटें आसानी से निकल आएगी लेकिन ऐसा हो नहीं सका। इस नतीजे ने सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को अगले विधानसभा चुनाव के बारे में कुछ अगल सोचने पर मजबूर कर दिया है। बीकापुर सीट दरअसल निजी रूप से मित्रसेन यादव की मानी जाती है। तीन बार लोकसभा का चुनाव जीत चुके मित्रसेन विधानसभा का चुनाव हमेशा इसी सीट से लड़े और हर बार जीत उनकी झोली में गिरी। बीकापुर क्षेत्र में मित्रसेन का जबरदस्त प्रभाव रहा। इसीलिए उनके बेटे आनंद सेन को जीतने में कोई परेशानी नहीं हुई।
मुजफ्फरनगर दंगा था बीजेपी का हथियार
बीजेपी ने मुजफ्फरनगर और देवबंद सीट पर पूरा जोर लगाया। मुजफ्फरनगर में 2013 में हुए दंगे बीजेपी का हथियार बने। केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान ने प्रचार की कमान संभाली और जीत को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बनाया। प्रचार में संजीव बालियान ने कहा कि अब तक कपिल अग्रवाल पार्टी के प्रत्याशी थे लेकिन अब यह मानें कि मैं यहां से चुनाव लड़ रहा हूं। इसके अलावा एक आशा बहू के साथ हुआ रेप भी प्रचार में खूब उछाला गया। बीजेपी के कपिल अग्रवाल करीब 8 हजार वोट से जीत गए और सपा के गौरव स्वरूप को दूसरे स्थान पर फिसलना पड़ा। देवबंद में बीजेपी के हाथ आई जीत एक तरह से फिसल गई। वोटों की गिनती में बीजेपी के रामपाल पुंडीर 15वें राउंड तक आगे थे लेकिन नेक टू नेक चल रहे कांग्रेस के मावीय अली ने उन्हें पछाड़कर तीसरे स्थान पर पहुंचा दिया।
कांग्रेस ने खेला था मुस्लिम कार्ड
कांग्रेस ने तीनों सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी उतार दिए। बीकापुर से असद अहमद अंसारी, देवबंद से मावीय अली और मुजफ्फरनगर से सलमान प्रत्याशी बनाए गए। मावीय अली जीत गए तो असद अहमद अंसारी और सलमान ने पार्टी के वोट में इजाफा कर दिया। मावीय अली की जीत में मुस्लिम वोट एकमुश्त उनकी झोली में जा गिरे। देवबंद भी सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील इलाका है।
13 फरवरी को हुए उपचुनाव के नतीजे ने सपा को फिर से अपनी अगली चुनावी राजनीति पर छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। देखना है कि पार्टी अब अगला चुनाव विकास के एजेंडे पर लड़ेगी या जाति समीकरण पर जोर देगी। हमेशा की तरह इस उप चुनाव में भी बसपा ने अपने उम्मीदवार नहीं उतारे।