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अश्वमेध

बधाई हो, महाराज ! हम फिर जीत गये । बज रही है दश दिश हमारी विजय दुंदुभी, तक्षशिला से कामरूप कश्मीर से कन्याकुमारी

Anand Tripathi
Written By Anand TripathiPublished By Monika
Published on: 23 April 2021 3:08 PM GMT
अश्वमेध
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आनंद त्रिपाठी द्वारा लिखा काव्य 

बधाई हो, महाराज !

हम फिर जीत गये ।

बज रही है दश दिश

हमारी विजय दुंदुभी,

तक्षशिला से कामरूप

कश्मीर से कन्याकुमारी

बंग,कलिंग, केरलपुत्र, सतियपुत्र

सौराष्ट्र,विदर्भ, मध्य देश

आटविक क्षेत्र,सिंधु और समूचे

गंगा यमुना के मैदानों तक ।

दौड़ रहा है हमारा अविजित अश्व

निरंतर सबको रौंदता हुआ।

मगर यह क्या ?

सब ज़न स्तब्ध हैं

नहीं जला रहा कोई दिये

बज नहीं रहे नक्कारे

और शंख घोष।

लगता है जनपदों में

नहीं रह गया है कोई

महाराज ! ताज मुबारक हो ।

अच्छा है ! जितने हों

रोग शोक में डूबे लोग,

विप्लव की सोच नहीं सकते ।

हम जानते हैं इनकी याददाश्त को

हम मल देंगे उनके घावों पर

वादों के ढेरों मरहम

कुछ दिन बाद

वे सब भूल जाएंगे ।

फिर उठाएंगे हमारा विरुद

और करेंगे चारण घोष

आप निश्चिंत रह सकते हैं महाराज

आत्मरति में डूबे हुए

इसअंतराल में !

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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