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समर शेष

क्षत्रपों में छायी है निराशा रिक्त है कोष किन्तु समय उचित नहीं है, नए करारोपण का ।

Anand Tripathi
Written By Anand TripathiPublished By Vidushi Mishra
Published on: 7 May 2021 7:49 AM GMT (Updated on: 7 May 2021 8:29 AM GMT)
क्षत्रपों में छायी है निराशा  रिक्त है कोष  किन्तु समय उचित नहीं है,  नए करारोपड़ का ।
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आनंद त्रिपाठी 

चलिए महाराज!

कहने को एक युद्ध

समाप्त हुआ।

किन्तु समर अभी

नहीं हुआ है शेष,

खुले हुए हैं

कई मोर्चे अब भी !

थकित, क्लांत और निस्तेज पड़ी हैं

हमारी चतुरंग अक्षौहिणी सेनाएं

रोग,शोक,भय,भूख और मृत्यु से

व्यथित हैं ज़न विशप जनपद और प्रांत,

क्षत्रपों में छायी है निराशा

रिक्त है कोष

किन्तु समय उचित नहीं है,

नए करारोपण का ।

स्थिति विकट है ,

हम घिरे हैं एक अदृश्य

छ्द्म शत्रु से

जिसे जीत नहीं सकते

शस्त्रों, कूटनीति या प्रचार मात्र से ,

गोले बारूद और दिव्य प्रक्षेपास्त्र भरे

हमारे शस्त्रागार नाकाफ़ी हैं महाराज!

हमें गढ़ने होंगे अब नए अस्त्र

जीवन बचाने के,

यह युद्ध जीतना होगा

करुणा, दया, सेवा और सद्भाव के अस्त्रों से

जिन्हें हम सिर्फ जीतने की सनक में

सदियों पहले त्याग चुके हैं।


Vidushi Mishra

Vidushi Mishra

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