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तीन तलाक: 'खुद दर्द सहा, तब पता चला उन हजारों औरतों पर क्या गुजरती होगी'
Farah Diba
इलाहाबाद: तीन तलाक पर पीएम नरेंद्र मोदी की अपील कि 'अब मुस्लिम महिलाओं पर अत्याचार नहीं होने देंगे' का अच्छा असर दिखाई दे रहा है। यूपी के महोबा में पीएम ने 24 अक्तूबर को रैली में मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से मुक्ति का भरोसा दिलाया था।
इस सवाल पर इलाहाबाद की एक मुस्लिम महिला खुलकर मोदी के पक्ष में आ गई हैं। उनका कहना है कि उनकी नौकरी के अब कुछ साल ही बचे हैं। नौकरी से अवकाश के बाद वे केंद्र सरकार के उठाए गए 'प्रगतिशील काम' के पक्ष में काम करेंगी। खासकर अलपसंख्यक महिलाओं के लिए जिन्हें उनका समाज दबाता और कुचलता रहा है।
इलाहाबाद विश्वविद्यालय से डाक्टरेट की उपाधि ले चुकीं फराह दीबा दो बेटों की मां हैं। उनका कहना है कि अब समय आ गया है कि तीन तलाक जैसी गैर इस्लामिक परंपरा को खत्म कर दिया जाए। इस्लाम में कहीं भी तीन तलाक का जिक्र नहीं है। उनका कहना है कि आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कुछ ऐसे लोग जो सोच से 17वीं शताब्दी में जी रहे हैं वो नहीं चाहते कि मुस्लिम महिलाओं को उनका हक मिले। ऐसे लोग महिलाओं को दबा कर रखना चाहते हैं।
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फराह दीबा कहती हैं कि उनका दिल उन लाखों मुस्लिम महिलाओं के लिए धडकता है जो गैर बराबरी की जिंदगी गुजार रही हैं। उनका कहना है कि मुझसे ज्यादा उनके दर्द को और कौन समझ सकता है। वो खुद घरेलू हिंसा और तीन तलाक की पीड़ा सह चुकी हैं।
फराह दीबा कहती है कि जब खुद दर्द सहा, तब पता चला कि उन हजारों औरतों पर क्या गुजरती होगी जिनके कान में 'तीन तलाक' जैसा शब्द पिघले शीशे की तरह उतार दिया जाता। उन्होंने तीन तलाक के सवाल पर पीएम नरेंद्र मोदी को पत्र भी लिखा। उनके इस कदम की सराहना भी की।
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दीबा का कहना है कि वो मुस्लिम समाज के लोगों की 17वीं शताब्दी के सोच को बदल नहीं सकतीं। लेकिन वो ऐसा धर्म स्वीकार कर सकती हैं जो महिलाओं को सम्मान और उनके हिसाब से जीने की आजादी देता हो। उन्होंने कहा, 'अपने बच्चों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने और नौकरी से अवकाश लेने के बाद वो देश के लिए काम करना चाहेंगी।' उनकी सेवा देश के लिए होगी।
इसके अलावा वो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछडी मुस्लिम महिलाओं के लिए भी काम करेंगी। उन्होंने पीएम मोदी से बीजेपी के लिए भी काम करने की इच्छा जताई है ।
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