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अगस्टा वेस्टलैंड चॉपर दलाली ने दिलाई बोफोर्स तोप डील की याद

Newstrack
Published on: 27 April 2016 11:07 AM GMT
अगस्टा वेस्टलैंड चॉपर दलाली ने दिलाई बोफोर्स तोप डील की याद
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केंद्र से कांग्रेस का पत्ता साफ करने वाले स्वीडन के साथ बोफोर्स तोप सौदे में दलाली के बाद इटली के साथ हेलिकाप्टर खरीद में भी बिचौलिए के माध्यम से दलाली लिए जाने की खबर ने एक बार फिर भारतीय राजनीति में भूचाल खड़ा कर दिया है।

दोनों सौदों में दो चीज कॉमन है। पहला, दोनों सौदों में दलाली लिए जाने की बात विदेश से उजागर हुई। दूसरा, दोनों सौदे में नाम नेहरू गांधी परिवार के सदस्यों का ही आया। बोफोर्स तोप सौदे में यदि राजीव गांधी का नाम जोड़ा गया तो अगस्टा वेस्टलैंड हेलिकाप्टर घोटाले में उनकी पत्नी सोनिया गांधी का नाम सामने आ रहा है।

इटली की एक अदालत ने इस मामले में कथित रूप से सोनिया गांधी का नाम आने के बाद बीजेपी समेत कांग्रेस विरोधी अन्य पार्टियों को एक मुद्दा दे दिया है। संसद के चल रहे सत्र में कांग्रेस यदि उत्तराखंड में प्रेसिडेंट रूल लगाने को लेकर आक्रामक थी तो एकाएक उसे इस डील में पार्टी अध्यक्ष का नाम आ जाने के बाद अब पिछले पायदान पर आ जाना पड़ा है।

दिलचस्प है कि बीजेपी के सुब्रमण्यम स्वामी ने राज्यसभा में इस इस मामले को उठाया लेकिन सब कुछ कांग्रेस को करना पड़ा। सोनिया गांधी समेत पार्टी के सभी बड़े नेताओं को सफाई देनी पड़ रही है। सोनिया कहती हैं कि ये चरित्र हनन की साजिश है और वे ऐसे किसी आरोप से नहीं डरती हैं। बीजेपी झूठ बोल रही है और उसे बोलने दीजिए।

दरअसल, पूरा बवाल इटली की एक अदालत ने खड़ा किया, जिसके एक फैसले में कहा गया कि हेलिकाप्टर खरीद में बिचौलिए के माध्यम से दलाली दी गई। सबसे पहले इसमें पूर्व वायु सेना प्रमुख एससी त्यागी का नाम आया। कहा गया कि उन्हें, उनके परिवार और कुछ राजनीतिज्ञों को बिचौलिए के माध्यम से दलाली दी गई।

इटली की अदालत के फैसले में 15 मार्च 2008 के एक पत्र का जिक्र भी है जिसे इटली की जांच एजेंसियों को सौंप दिया गया है। पत्र में लिखा गया है कि श्रीमती गांधी ही इस डील के पीछे हैं।

कांग्रेस कहती है कि यूपीए के शासनकाल में अगस्टा वेस्टलैंड को ब्लैक लिस्ट किया गया था। वो पीएम नरेंद्र मोदी थे जिन्होंने मेक इन इंडिया के तहत अगस्टा को आमंत्रित किया। कांग्रेस का ये भी आरोप है कि पीएम मोदी और इटली के पीएम के बीच कोई डील हुई है जिसमें ये तय किया गया कि इसमें सोनिया गांधी को फंसाया जाए।

बीजेपी के वरिष्ठ नेता और वित्त मंत्री कांग्रेस के इस आरोप को सिरे से खारिज करते हैं। उनका कहना है कि आरोप का कोई आधार नहीं है। कांग्रेस अपने नेता की गर्दन फंसते देख ऐसे आरोप लगा रही है। सोनिया गांधी पर आरोप बीजेपी ने नहीं लगाए बल्कि इटली की एक अदालत ने अपने फैसले में लगाया है। सोनिया गांधी को इटली की अदालत से पूछना चाहिए कि दो साल बाद ऐसी बात क्यों प्रकाशित की गई।

बोफोर्स की 155 एमएम तोप खरीद में दलाली का मसला भी स्वीडन रेडियो से प्रसारित खबर से ही सामने आया। दिवंगत राजीव गांधी के कार्यकाल में स्वीडन से 410 तोपों की खरीद का सौदा 24 मार्च 1986 को किया गया। स्वीडन रेडियो ने 16 अप्रैल 1987 को इसमें बिचौलिए के माध्यम से 64 करोड़ दलाली दिए जाने की खबर प्रसारित की। राजीव गांधी ने 20 अप्रैल 1987 को लोकसभा में बयान दिया कि तोप सौदे की खरीद में कोई बिचौलिया नहीं था।

हालांकि इसमें ओटावियो क्वात्रोचि का नाम सामने आ रहा था जो गांधी परिवार का काफी करीबी था। उसके जलवे का आलम ये था कि पीएमओ में उसकी ही चलती थी। जेपीसी ने बोफोर्स तोप सौदे को लेकर 18 जुलाई 1989 को अपनी रिपोर्ट संसद में पेश की। लोकसभा के हुए चुनाव में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ा।

बीजेपी के बाहर से समर्थन से विश्वनाथ प्रताप सिंह पीएम बने। बोफोर्स का मामला उठने के वक्त वीपी सिंह रक्षा मंत्री थे और उन्होंने इसी सवाल पर इस्तीफा दे अपनी ईमानदार छवि जनता के सामने पेश की। लोकसभा के 1989 के चुनाव प्रचार में उन्होंने स्वीश बैंक का एकाउंट नंबर तक जारी किया जिसमें दलाली के पैसे रखे गए थे। उनके इस बयान से लोगों को ये लगने लगा कि दलाली के पैसे राजीव गांधी के खाते में जमा हुए। इस मामले में विन चढ्ढा, हिंदुजा बद्रर्स और अमिताभ बच्चन का भी नाम आया था। उस वक्त ज्ञानी जैल सिंह प्रेसिडेंट थे जो राजीव गांधी को बर्खास्त करना चाहते थे।

सीबीआई ने 1997 में इस मामले में राजीव गांधी, विन चढ्ढा, क्वात्रोचि, रक्षा सचिव एस के भटनागर, बोफोर्स कंपनी और उसके पूर्व चीफ मार्टिन अनडबो को आरोपी बनाया लेकिन जांच एजेंसी कोई ठोस सबूत नहीं जुटा सकी। दिल्ली हाईकोर्ठ ने 2004 में इस मामले में राजीव गांधी को दोषमुक्त करार दिया तो सुप्रीम कोर्ट ने 2009 में केस को पूरी तरह से बंद कर दिया।

बोफोर्स ने राजीव गांधी को बहुत नुकसान पहुंचाया। इसका नतीजा था कि 1984 में 400 से ज्यादा सीट जीतने वाली कांग्रेस दो सौ सीट से भी नीचे आ गई।

अगस्टा वेस्टलैंड कम से कम लोकसभा में तो कांग्रेस का नुकसान नहीं कर सकती क्योंकि पार्टी के पास वैसे भी अभी 45 सीटे हैं। हां ये हो सकता है कि तमिलनाडु, केरल, पश्चिम बंगाल में हो रहे चुनाव उसे मुश्किल में डाल सकते हैं।

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