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कभी कहा था, घमंड का सिर हमेशा झुकता है...आज खुद ही झुक गए अरविंद
Vinod Kapoor
लखनऊ: अन्ना हजारे का साल 2011 में लोकपाल लाने के लिए दिल्ली के रामलीला मैदान में आंदोलन सभी को याद होगा और याद होंगे दिल्ली के वर्तमान सीएम अरविंद केजरीवाल भी जो हाथो में हिरंगा लहराते नजर आया करते थे। अन्ना के हर कदम के साथी अरविंद की महत्वाकांक्षा ने उन्हें राजनीति के 'दलदल' में डाल दिया।
आंदोलन लंबा चला, जिसे पूरे देश का समर्थन मिला था। देश के लोग अन्ना की ओर आशा भरी नजरों से देख रहे थे। बिहार में 1974 में हुए आंदोलन को लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने संभाला था। जयप्रकाश नारायण भी राम मनोहर लोहिया के दिए नारे को लेकर आगे आए थे। जिसमें कहा गया था कि जनता को अपने प्रतिनिधि को बुलाने का अधिकार होना चाहिए। क्योंकि, 'जिंदा कौम पांच साल इंतजार नहीं करती।' बिहार आंदोलन से लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, सुशील कुमार मोदी, नंदकिशोर यादव, रामविलास पासवान और सुबोध कांत सहाय जैसे नेता उभरकर सामने आए।
'मोदी लहर' में नहीं टिक पाए
अरविंद केजरीवाल की महत्वाकांक्षा जब बढ़ी तो उन्होंने आम आदमी पार्टी (आप) बना ली। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में बड़ी संख्या में प्रत्याशी उतारे गए। पीएम नरेंद्र मोदी को चुनौती देने अरविंद वाराणसी आए और चुनाव लड़ा। ये और बात है कि वो नरेंद्र मोदी के सामने टिक नहीं पाए और चुनाव हार गए। हां, पंजाब से पार्टी को लोकसभा की चार सीटें मिल गईं।
दिल्ली में मिला प्रचंड बहुमत
दिल्ली के विधानसभा चुनाव में अरविंद ने कांग्रेस के बाहर से दिए गए समर्थन से सरकार बना ली, लेकिन लोकपाल विधेयक पारित नहीं करा पाने के कारण अपनी ही सरकार गिरा ली। साल 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आप को अपार सफलता मिली और पार्टी ने 70 में से 67 सीटें जीत ली। बीजेपी जिसे सरकार बनाने की पूरी उम्मीद थी, वो मात्र तीन सीट ही जीत सकी जबकि दस साल से सरकार चला रही कांग्रेस का खाता भी नहीं खुला ।
अन्ना ने किया था विरोध
अन्ना हजारे को अरविंद का राजनीतिक पार्टी बनाना अच्छा नहीं लगा था। उन्होंने ऐसा नहीं करने की हिदायत दी थी, लेकिन अरविंद की महत्वाकांक्षा एक बार दिल्ली का सीएम बनने के बाद काफी बढ़ गई थी। उनके सपने बड़े हो गए थे। दिल्ली की सरकार बनने पर उन्होंने पार्टी विधायकों और कार्यकर्ताओं को कहा था कि 'इस जीत पर घमंड मत करना क्योंकि घमंड का सिर हमेशा झुकता है।'
'अपनों' ने लगाए थे भ्रष्टाचार के आरोप
आम आदमी पार्टी की आमदनी का जरिया एनजीओ से मिलने वाला चंदा था। पार्टी को देश-विदेश से इससे अच्छी खासी राशि मिल जाया करती थी। लेकिन केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद एनजीओ पर शिकंजा कसा गया और उनकी विदेशी फंडिंग पर रोक लगा दी गई। बीच-बीच में आप में भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे। आप से निलंबित जल मंत्री कपिल मिश्र ने एक और मंत्री सत्येन्द्र जैन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, लेकिन उसे खारिज कर दिया गया।
अब 100 करोड़ रुपए लेने के लग रहे आरोप
अब ताजा मामला दिल्ली से राज्यसभा की तीन सीटों के चुनाव का था। जिसमें अरविंद पर दो व्यापारी गुप्ता से 100 करोड़ रुपए लेने के आरोप लगे हैं। आप ने पार्टी के नेता संजय सिंह को तो टिकट दिया, लेकिन कुमार विश्वास और पत्रकार से नेता बने आशुतोष की दावेदारी को पूरी तरह से नकार दिया। राज्यसभा के लिए दो धनी लोगों को टिकट देने पर मचे बवाल के बीच बीजेपी सांसद और दिल्ली के पूर्व सीएम साहिब सिंह वर्मा के बेटे प्रवेश वर्मा ने दावा कर दिया, कि केजरीवाल ने बाहरी लोगों को राज्यसभा भेजने के लिए 100 करोड़ रुपए लिए।
विरोधी के साथ अपनों के भी निशाने पर अरविंद
प्रवेश वर्मा का कहना है कि आम आदमी पार्टी के नेता, कार्यकर्ता और विधायक जिन्होंने पार्टी को वोट दिया वो सुशील गुप्ता और एनडी गुप्ता के बारे में जानते तक नहीं। इसके अलावा आप के पूर्व नेता योगेन्द्र यादव ने भी इस पर सवाल उठाए। दूसरी ओर, कपिल मिश्रा इस फैसले के विरोध में राजघाट पर उपवास पर बैठ गए। स्वराज्य आंदोलन और जय किसान आंदोलन के फाउंडर मेंबर योगेंद्र यादव ने ट्वीट किया, 'पिछले तीन साल में मैंने ना जाने कितने लोगों को कहा कि अरविंद केजरीवाल में जो भी दोष हों, लेकिन कोई उसे खरीद नहीं सकता। इसलिए कपिल मिश्रा के आरोप को मैंने खारिज किया। आज समझ नहीं पा रहा हूं क्या कहूं? हैरान हूं, स्तब्ध हूं, शर्मसार भी।' जबकि, कवि और आप नेता कुमार विश्वास को टिकट नहीं मिला, तो उन्होंने मौजूदा उम्मीदवारों पर तंज कसा। उनके समर्थक अरविंद केजरीवाल के घर पहुंच गए और धरना दिया।
आशुतोष ने सुशील का किया था विरोध
हालांकि, आप के राज्यसभा प्रत्याशी संजय सिंह, कारोबारी सुशील गुप्ता और नारायण दास गुप्ता से टिकट के लिए किसी भी डील से इंकार करते हैं। टिकटों के ऐलान के बाद विश्वास ने अरविंद केजरीवाल पर बड़ा हमला किया। उन्होंने कहा, कि 'मुझे सर्जिकल स्ट्राइक, टिकट वितरण में गड़बड़ी, जेएनयू समेत अन्य मुद्दों पर सच बोलने के लिए दंडित किया गया है। मैं दंड को स्वीकार करता हूं।' राज्यसभा टिकट के लिए हुई बैठक के दौरान आशुतोष ने सुशील गुप्ता के नाम का विरोध किया था। इन सभी के अलावा प्रशांत भूषण समेत अन्य लोगों ने भी राज्यसभा टिकट को लेकर उन पर निशाना साधा है।
अन्ना का कहा सच हो रहा
दिलचस्प है, कि संजय सिंह को छोड़ किसी का भी संबंध आम आदमी पार्टी या उसके आंदोलन से कभी नहीं रहा। दोनों की खूबी यही है कि वो 'धनपति' हैं। अन्ना का कहा, अब सच लगने लगा है कि कितना बदल गए हैं अरविंद केजरीवाल।