×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

छापों के बाद RJD-JDU गठबंधन में आई द'रार', लेकिन सवाल अब भी Alliance partners कौन?

aman
By aman
Published on: 17 May 2017 3:56 PM IST
छापों के बाद RJD-JDU गठबंधन में आई दरार, लेकिन सवाल अब भी Alliance partners कौन?
X
दोस्ती में कुश्ती! लालू को उम्मीद 2019 में साथ होंगे नीतीश, कहा- उनके इस फैसले से गया गलत संदेश

vinod kapoor

पटना: 'अगर आरोपों में दम है तो केंद्र कार्रवाई करे।' बिहार के सीएम नीतीश कुमार का ये बयान इशारा भर था और इसके बाद आयकर विभाग ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के सदस्यों से जुड़े 22 ठिकानों पर मंगलवार (16 मई) को छापेमारी कर दी। बिहार बीजेपी पिछले एक महीने से लालू प्रसाद और उनके परिवार की बेनामी संपत्ति को लेकर हमलावर थी।

आयकर छापों से बौखलाए लालू प्रसाद ने यहां तक कह दिया कि 'बीजेपी को नया सहयोगी मुबारक हो।' सवाल फिर खड़ा हो गया कि नया सहयोगी कौन?

ये भी पढ़ें ...1,000 करोड़ की बेनामी संपत्ति: लालू से जुड़े 22 ठिकानों पर IT रेड, बेटी-दामाद भी लपेटे में

लालू ने ट्विटर के जरिए दिया जवाब

उल्लेखनीय है, कि बिहार में जनता दल यू (जेडीयू), राजद और कांग्रेस की मिलीजुली सरकार है। इसकी कमान नीतीश कुमार संभाल रहे हैं। लालू ने ट्वीट कर कहा कि ‘बीजेपी को नए ‘Alliance partners’ मुबारक हों। लालू प्रसाद झुकने और डरने वाला नहीं है। जब तक आखिरी सांस है फासीवादी ताक़तों के खिलाफ लड़ता रहूंगा।’ वहीं, दूसरे ट्वीट में लालू यादव ने लिखा कि ‘बीजेपी में हिम्मत नहीं कि लालू की आवाज को दबा सके। लालू की आवाज दबाएंगे तो देशभर में करोड़ों लालू खड़े हो जाएंगे। मैं गीदड़ भभकी से डरने वाला नही हूं।’

ये भी पढ़ें ...IT छापों के बाद लालू का ट्वीट- BJP को नया गठबंधन साथी मुबारक, मैं झुकने वाला नहीं

‘Alliance partner’ नीतीश तो नहीं!

लालू यादव के इस ट्वीट के बाद लोगों के मन में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर वो ‘Alliance partners’ है कौन? लालू का सीधा इशारा बिहार के सीएम नीतीश कुमार की ओर है। क्योंकि जब से लालू के बड़े बेटे और नीतीश सरकार में मंत्री तेज प्रताप का नाम मिट्टी घोटाले से जुड़ा है और प्रदेश में बीजेपी यादव परिवार पर हमलावर हुई है, नीतीश कुमार चुप्पी साधे हैं। नीतीश कुमार ने पटना के एक कार्यक्रम में खुद को 2019 के पीएम पद के उम्मीदवार की दौड़ से भी अलग कर लिया था।

ये भी पढ़ें ...छापों के बाद RJD-JDU गठबंधन में आई द’रार’, लेकिन सवाल अब भी Alliance partners कौन?

आगे की स्लाइड्स में पढ़ें विनोद कपूर की पूरी विवेचना ...

आंच, अब बेटी-दामाद तक

इनकम टैक्स विभाग की टीम ने बेनामी संपत्ति मामले में लालू यादव से जुड़े 22 ठिकानों पर छापा मारा। इस दौरान आईटी टीम ने लालू यादव की बेटी मीसा भारती और उनके पति के ठिकानों पर भी छापेमारी की थी । लालू प्रसाद और उनके परिवार पर 1,000 करोड़ की बेनामी संपत्ति जमा करने का आरोप है। ये कहा जाता है कि लालू ने अधिकतर संपत्ति रेल मंत्री रहते जमा की।

ये भी पढ़ें ...लालू यादव के सामने ‘यक्ष प्रश्न’: अबकी बार किसे देंगे पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी

राजद कार्यकर्ता सड़कों पर उतरे

आयकर विभाग की छापेमारी तो दिल्ली और गुरुग्राम में हुई जहां फर्जी कंपनियों के दफ्तर और लालू की संपत्ति का ब्यौरा था लेकिन राजनीतिक भूचाल बिहार में आया। राजद के कार्यकर्ता राजधानी पटना में आयकर विभाग की इस कार्रवाई के खिलाफ सड़कों पर उतर गए।

लालू और नीतीश की दूरी के ये हैं कारण

नीतीश अपनी छवि को लेकर सतर्क रहने वाले राजनीतिज्ञ हैं। वो किसी भी हालत में नहीं चाहते कि उनकी छवि किसी मंत्री या अन्य किसी नेता के कारण दागदार या खराब हो। बिहार बीजेपी के एक बड़े नेता कहते हैं कि लालू की पार्टी के बने मंत्री काम नहीं करते, जिससे उनके विभाग का परफॉर्मेंस जीरो हो गया है। लालू का एकमात्र काम अधिकारियों के ट्रांसफर-पोस्टिंग कराना है। हालांकि, उनकी जाति के अधिकारी बिहार में ज्यादा नहीं हैं जबकि नीतीश काम के आधार पर अधिकारियों को विभाग दिए जाने के पक्ष में रहते हैं।

ये भी पढ़ें ...संपत्ति मामले में लालू को चौतरफा घेरेगी BJP, चलाने जा रही है ‘पोल खोल’ अभियान

शराबबंदी भी वजह

इसके अलावा एक अन्य बड़ा कारण बिहार में शराबबंदी से जुड़ा है। लालू किसी तरह से इसके पक्ष में नहीं थे। क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव में उन्हें शराब माफियाओं से अच्छी खासी रकम मिली थी। शराबबंदी में पकड़े गए 44 हजार से ज्यादा लोगों में 25 हजार से अधिक यादव जाति के हैं। इन सब को रिहा करने का दबाब सरकार पर हमेशा पड़ता रहता है।

ये भी पढ़ें ...संपत्ति जुटाने का ‘लालू तरीका’, कोई प्यार से तो कोई खूबसूरती पर उन्हें देते हैं गिफ्ट

बढ़ी है यादवों की दबंगई

लालू की पार्टी के सत्ता में आने के बाद यादवों में दबंगई की पुरानी प्रवृति फिर से दिखाई देने लगी है। आम नागरिकों के अलावा अधिकारियों को धमकाने का सिलसिला फिर से शुरू हो गया है। सरकार में सहयोगी बड़े पार्टनर का ही बेनामी संपत्ति में फंसना सरकार की छवि खराब कर रहा है जो नीतीश कुमार कभी नहीं चाहेंगे। राजनीति में जो लोग नीतीश कुमार को जानते हैं, वो अच्छी तरह समझते हैं कि छवि को लेकर नीतीश अपनी सरकार भी कुर्बान कर सकते हैं।

ये भी पढ़ें ...बेटे पर लगे आरोपों पर लालू ने तोड़ी चुप्पी, कहा- घोटाला-घोटाला वो लोग करते हैं, जो खुद घोटालेबाज हैं

नीतीश आ रहे बीजेपी के करीब

नीतीश के लिए कहा जाता है कि वो ​विचारों और सिद्धांतों की राजनीति करते हैं। इसीलिए उन्होंने केंद्र सरकार के अच्छे काम का समर्थन किया था। चाहे वो पिछले नवम्बर में हुई नोटबंदी हो या जीएसटी बिल। दोनों के समर्थन में सबसे आगे नीतीश आए। विपक्ष के विरोध के बावजूद नीतीश को मिले समर्थन से केंद्र सरकार को बड़ी ताकत मिली थी। वरिष्ठता को दरकिनार कर विपिन रावत को सेना प्रमुख बनाया गया तो पूरे विपक्ष ने इसे लेकर हंगामा खड़ा कर दिया लेकिन नीतीश कुमार केंद्र सरकार के साथ खड़े नजर आए। उनका कहना था कि 'केंद्र सरकार का ये विशेषाधिकार होता कि वो किसे प्रमुख बनाती है। इसकी आलोचना करना सही नहीं।'

कई मौकों पर दिखी नीतीश-मोदी की जुगलबंदी

कई अन्य मामलों में केंद्र सरकार खासकर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी नीतीश कुमार का मान रखा। बिहार के हाजीपुर में रेलवे के एक कार्यक्रम में पीएम मोदी और नीतीश कुमार दोनों एक साथ मंच पर मौजूद थे और भीड़ मोदी-मोदी के नारे लगा रही थी। उस वक्त भीड़ को मोदी ने ही नारेबाजी से रोका था क्योंकि मंच से नीतीश कुमार लोगों को संबोधित कर रहे थे। पटना में गुरुगोबिंद सिंह के 350वें प्रकाशोत्सव पर भी मोदी और नीतीश की जुगलबंदी दिखी थी।

राजद-जेडीयू गठबंधन से टूटा निवेशकों का मोह

राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि बिहार में जनता दल यू और बीजेपी का नेचुरल एलायंस था जिसे नीतीश कुमार ने ही खत्म किया था। दोनों की मिलीजुली सरकार करीब दस साल चली थी। सरकार अच्छी चल रही थी और कानून-व्यवस्था पूरी तरह ठीक थी। निवेशक बिहार का रुख कर रहे थे। बिहार से जाकर मुम्बई में करोडपति बन गए 200 से ज्यादा लोग वापस आने को तैयार थे लेकिन नई सरकार बनने के बाद सभी ने अपने पैर पीछे खींच लिए।

बिहार में बड़े उलटफेर के बारे में अभी कुछ कहना जल्दबाजी हो सकती है। लेकिन नीतीश कुमार अपनी सरकार की छवि बेहतर बनाए रखने के लिए कोई ना कोई रास्ता जरूर खोजेंगे।



\
aman

aman

Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

Next Story