×

मोदी ने जय भीम से शुरुआत कर BSP से छीना दलित एजेंडा,कांग्रेस निशाने पर

Admin
Published on: 21 March 2016 12:10 PM GMT
मोदी ने जय भीम से शुरुआत कर BSP से छीना दलित एजेंडा,कांग्रेस निशाने पर
X

vinod-kapoor vinod-kapoor

मौका था अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर के उद्घाटन का जिसका राजनीति के माहिर खिलाड़ी पीएम नरेंद्र मोदी ने भरपूर इस्तेमाल किया।

आने वाले अप्रैल-मई में पंजाब, केरल, असम और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने हैं। खासकर पंजाब में दलित आबादी जीत-हार तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। कुछ ऐसे ही हालात केरल के भी हैं। मोदी की नजर तो अगले लोकसभा चुनाव पर भी थी।

केन्द्र सरकार के लगभग दो साल पूरे होने जा रहे हैं। चुनाव 2019 में होने हैं इसे देखते हुए ही उन्होंने इंटरनेशनल सेंटर के उद्घाटन की तारीख 14 अप्रैल 2018 तय कर दी। मोदी ने कहा, मंत्री और अधिकारी ये सुन लें कि वे इसका उद्घाटन उसी तारीख को करेंगे जिसे आज घोषित किया गया है।

मोदी ने अपने स्पीच की शुरुआत 'जय भीम' से की। साथ ही बाबा साहब का कद और बड़ा करते हुए उनकी तुलना अश्वेत नेता 'मार्टिन लूथर किंग' से की। कहा, कि दुनिया जिस तरह 'किंग' को याद करती है वही स्थान बाबा साहब का भी है।

बाबा साहब को विश्व मानव के रूप में देखा जाना चाहिए। बाबा साहब किसी एक समाज, देश, जाति या दल के नेता नहीं थे। उन्होंने जल यातायात, बिजली और समाज सुधार में बाबा साहब की कई खूबियां गिना दीं। उन्होंने बताया कि कैसे बाबा साहब के प्रोग्रेसिव विचारों को अनसुना किया गया और उन्हें मंत्रिमंडल से जाने पर मजबूर होना पड़ा।

पीएम ने पहले हिंदू कोड बिल की बात उठाई जिसमें बाबा साहब ने महिलाओं को संपत्ति में बराबर का अधिकार देने की बात की थी। कांग्रेस का नाम लिए बिना कहा बाबा साहब के इस प्रस्ताव पर कुछ लोग राजी नहीं थे। उनकी सोच में ही नहीं था कि महिलाओं को बराबरी का अधिकार मिले। इस प्रस्ताव का पुरजोर विरोध हुआ और बाबा साहब को मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देना पड़ा। बाद में ये काम हुआ लेकिन तब तक बाबा साहब इस दुनिया में नहीं थे।

'सरकार पूंजीपतियों की है' के विपक्ष के आरोप का मोदी ने इशारे में ही जवाब दिया। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे उनकी सरकार बाबा साहब के विचार 'मजदूर और मिल मालिक हित' के अनुसार काम कर रही है।

मोदी ने ये भी बताने की कोशिश की, कि बीजेपी ही बाबा साहब की सच्ची अनुयायी है। बनने वाले अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर की जमीन निजी प्रॉपर्टी हो गई थी जिसे अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने अधिग्रहित की लेकिन उस पर काम होता इसी बीच उनकी सरकार चली गई। बाद में दस साल तक रही सरकार की नजर में बाबा साहब कुछ भी नहीं थे।

दरअसल मोदी ने दलित एजेंडे की शुरुआत यूपी के लखनऊ से की थी। यूपी में पहले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर, संत रविदास और बाद में राजा सुहेल देव को सामने लाकर बीजेपी ने विधानसभा के 2017 में होने वाले चुनाव के लिए अपना दलित एजेंडा तय कर लिया था। नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को पीएम बनने के बाद पहली बार लखनऊ आए और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। वे अंबेडकर महासभा भी गए। उनके अस्थि कलश पर फूल चढ़ाए।

पीएम ने काल्विन तालुकदार कॉलेज में ई रिक्शा का भी वितरण किया। ये भी देखा गया कि ज्यादातर ई रिक्शा दलितों के बीच ही बांटे गए। हालांकि दीक्षांत समारोह में उन्हें रोहित वेमुला के मामले में हल्के विरोध का भी सामना करना पड़ा लेकिन पीएम ने यूपी में आकर दलित राजनीति को हवा दे दी थी।

यूपी की राजनीति की नब्ज समझने वाली बसपा प्रमुख मायावती पीएम के जाने के दूसरे दिन ही उनके विरोध में सामने आ गईं और बाबा साहब के प्रति नरेंद्र मोदी के प्रेम को ढोंग बताया। मायावती ने कहा कि बीजेपी ने तो कभी भी बाबा साहब को सम्मान नहीं दिया। उनके प्रति सम्मान छलावा है।

पीएम अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी 21 फरवरी की रात पहुंचे और दूसरे दिन संत रविदास की जयंती पर उनके मंदिर में शीश झुकाया और मंदिर में मौजूद लोगों के साथ बैठकर लंगर खाया। रविदास मंदिर में उनका पूरी तरह से भक्त रूप दिखा।

पीएम के दोनों यूपी दौरे को विधानसभा चुनाव में दलित राजनीति से जोड़कर देखा गया। पिछले 20 साल से दलित वोट पर बसपा का एकाधिकार रहा है।

बीजेपी के दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद अमित शाह पहली बार यूपी आए और बहराइच में राजा सुहेल देव की मूर्ति का अनावरण किया। अमित शाह ने राजा सुहेल देव पर लिखी किताब का विमोचन भी किया। राजा सुहेल देव भी दलित नेता थे जिन्होंने मुगल आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया था। डेढ़ लाख की मुगल सेना राजा सुहेल देव की वीरता का मुकाबला नहीं कर सकी थी।

मूर्ति के अनावरण के बाद अमित शाह का भाषण पूरी तरह चुनावी था। उनका कहना था कि यहां आने का कार्यक्रम पहले था लेकिन किसी कारण से वह देर से आ पाए। बहराइच के बाद अतिम शाह बलरामपुर गए और अटल भवन का शिलान्यास किया। बलरामपुर अटल बिहारी वाजपेयी का संसदीय क्षेत्र रहा है।

होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह जब यूपी के सीएम थे तो उन्होंने भी लखनऊ में राजा सुहेल देव की मूर्ति लगवाई और उसका अनावरण किया था। हालांकि विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा नहीं मिला।

लोकसभा के पिछले चुनाव में यूपी की 80 में से सहयोगी अपनादल के साथ 73 सीटें जीतकर बीजेपी ने कमाल कर दिया था। यूपी चुनाव की कमान उस वक्त महासचिव रहे अमित शाह के हाथ ही थी। यूपी जीत के बाद उनका प्रमोशन हुआ और वह अध्यक्ष बनाए गए।

यूपी विधानसभा की कमान पूरी तरह से अमित शाह के पास है। दिल्ली और बिहार हारने के बाद यूपी का चुनाव उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है। यहां आने के पहले उन्होंने यूपी बीजेपी नेताओं से राज्य के हालात, जातिगत वोट और चुनावी मुद्दे को लेकर पूरी जानकारी ली है। हालांकि यूपी बीजेपी की अपनी दुश्वारियां हैं। पूरे जद्दोजहद के बाद भी अभी प्रदेश अध्यक्ष नहीं चुना गया है।

दलित वोट शुरू में कांग्रेस के पास था लेकिन कांशीराम की मेहनत से वह बसपा से जुड़ गया। पिछले बीस साल से इस वोट पर बसपा का एकाधिकार है। अब यूपी में सत्ता पाने की छटपटाहट में बीजेपी ने इस बड़े लगभग 27 प्रतिशत वोट पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं।

बीजेपी यह समझ रही है कि इस वोट बैंक के बिना सत्ता मुश्किल है। समय बताएगा कि मोदी की मेहनत, अमित शाह की रणनीति पर यूपी बीजेपी के नेता कितना काम करते हैं। हालांकि यूपी में बीजेपी के पास कोई दलित चेहरा भी नहीं है जिस पर वह दांव खेल सके।

Admin

Admin

Next Story