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मोदी ने बीजेपी की दलित राजनीति तय की, अमित शाह ने इसे एजेंडा बनाया

Admin
Published on: 24 Feb 2016 5:46 PM IST
मोदी ने बीजेपी की दलित राजनीति तय की, अमित शाह ने इसे एजेंडा बनाया
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Vinod Kapoor Vinod Kapoor

पहले बाबा साहब भीमराव अंबेडकर,संत रविदास और अब राजा सुहेल देव बीजेपी ने विधानसभा के 2017 में होने वाले चुनाव के लिए अपना दलित एजेंडा तय कर लिया। नरेंद्र मोदी 22 जनवरी को पीएम बनने के बाद पहली बार लखनऊ आए और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में हिस्सा लिया। वे अंबेडकर महासभा भी गए। उनके अस्थि कलश पर फूल चढ़ाए।

पीएम ने काल्विन तालुकदार कॉलेज में ई रिक्शा का भी वितरण किया। ये भी देखा गया कि ज्यादातर ई रिक्शा दलितों के बीच ही बांटे गए। हालांकि दीक्षांत समारोह में उन्हें रोहित वेमुला के मामले में हल्के विरोध का भी सामना करना पड़ा लेकिन पीएम ने यूपी में आकर दलित राजनीति को हवा दे दी।

यूपी की राजनीति की नब्ज समझने वाली बसपा प्रमुख मायावती पीएम के जाने के दूसरे दिन ही उनके विरोध में सामने आ गईं और बाबा साहब के प्रति नरेंद्र मोदी के प्रेम को ढोंग बताया। मायावती ने कहा कि बीजेपी ने तो कभी भी बाबा साहब को सम्मान नहीं दिया ।उनके प्रति सम्मान छलावा है ।

पीएम अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी 21 फरवरी की रात पहुंचे और दूसरे दिन संत रविदास की जयंती पर उनके मंदिर में शीश झुकाया और मंदिर में मौजूद लोगों के साथ बैठकर लंगर खाया। रविदास मंदिर में उनका पूरी तरह से भक्त रूप दिखा।

पीएम के दोनों यूपी दौरे को विधानसभा चुनाव में दलित राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। पिछले 20 साल से दलित वोट पर बसपा का एकाधिकार रहा है। लिहाजा वह एक बार फिर पीएम पर आक्रामक हुईं और कहा कि बसपा ने ही रविदास को पूरा सम्मान दिया। उन्होंने अपने मुख्यमंत्रित्वकाल में रविदास के नाम पर किए काम भी गिनाए और कहा कि सत्ता में आने पर उन्होंनें भदोही का नाम बदलकर संत रविदासनगर कर दिया था जिसे सपा सरकार ने बदल कर भदोही किया । दलितों के लिए सिर्फ बसपा ही काम करती है का दावा करने वाली मायावती ने कहा कि यदि वह सत्ता में आती हैं तो भदेही फिर संत रविदासनगर होगा।

बीजेपी के दोबारा अध्यक्ष बनने के बाद बुधवार को अमित शाह पहली बार यूपी आए और बहराइच में राजा सुहेल देव की मूर्ति का अनावरण किया। अमित शाह ने राजा सुहेल देव पर लिखी किताब का विमोचन भी किया। राजा सुहेल देव भी दलित नेता थे जिन्होंने मुगल आक्रमणकारियों का डट कर मुकाबला किया था। डेढ़ लाख की मुगल सेना राजा सुहेल देव की वीरता का मुकाबला नहीं कर सकी थी।

मूर्ति के अनावरण के बाद अमित शाह का भाषण पूरी तरह चुनावी था। उनका कहना था कि यहां आने का कार्यक्रम पहले था लेकिन किसी कारण से वह देर से आ पाए। राजा सहुल देव पर दो तीन मिनट बोलने के बाद वह सीधे मुद्दे पर आ गए और जेएनयू में लगे देश विरोधी नारे को लेकर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर हमला किया। उन्होंने मौजूद लागों से सीधा संवाद जोडा और सवाल किया कि क्या देश का युवा ऐसे नारे लगाने वालों को सहन करेगा ।अमित शाह का कहना था कि यहां की आवाज दिल्ली में संसद तक जानी चाहिए ।

बहराइच के बाद अतिम शाह बलरामपुर गए और अटल भवन का शिलान्यास किया। बलरामपुर अटल बिहारी वाजपेयी का संसदीय क्षेत्र रहा है। होम मिनिस्टर राजनाथ सिंह जब यूपी के सीएम थे तो उन्होंने भी लखनऊ में राजा सुहेल देव की मूर्ति लगवाई और उसका अनावरण किया था। हालांकि विधानसभा चुनाव में बीजेपी को इसका फायदा नहीं मिला।

लोकसभा के पिछले चुनाव यूपी की 80 में से सहयोगी अपनादल के साथ 73 सीटें जीतकर बीजेपी ने कमाल कर दिया थांयूपी चुनाव की कमान उसवक्त महासचिव रहे अमित शाह के हाथ ही थी ।यूपी जीत के बाद उनका प्रेामोशन हुआ और वह अध्यक्ष बनाए गए ।

यूपी विधानसभा की कमान पूरी तरह से अमित शाह के पास है। दिल्ली और बिहार हारने के बाद यूपी का चुनाव उनकी प्रतिष्ठा से जुड़ा है। यहां आने के पहले उन्होंने यूपी बीजेपी नेताओं से राज्य के हालात, जातिगत वोट और चुनावी मुद्दे को लेकर पूरी जानकारी ली है। अतिम शाह ने यूपी बीजेपी के प्रभारी ओम माथुर से अगल से बात की है। हालांकि यूपी बीजेपी की अपनी दुश्वारियां हैं। पूरे जद्दोजहद के बाद भी अभी प्रदेश अध्यक्ष नहीं चुना गया है।

दलित वोट शुरू में कांग्रेस के पास था लेकिन कांशीराम की मेहनत से वह बसपा से जुड़ गया। पिछले बीस साल से इस वोट पर बसपा का एकाधिकार है। अब यूपी में सत्ता पाने की छटपटाहट में बीजेपी ने इस बड़े लगभग 27 प्रतिशत वोट पर डोरे डालने शुरू कर दिए हैं। बीजेपी यह समझ रही है कि इस वोट बैंक के बिना सत्ता मुश्किल है। समय बताएगा अमित शाह की रणनीति और यूपी बीजेपी के नेता कितनी मेहनत करते हैं। यूपी में बीजेपी के पास हालांकि कोई दलित चेहरा भी नहीं है जिस पर वह दांव खेल सके।

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