TRENDING TAGS :
'मिस्टर क्लीन' की छवि मुश्किल में, सोच रहे- लागा राजद में 'दाग'...पीछा छुड़ाऊं कैसे
Vinod Kapoor
लखनऊ: चारा घोटाले में सजा पा चुके राष्ट्रीय जनता दल (राजद) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। तो दूसरी ओर, बिहार के सीएम नीतीश कुमार इस दबाव में हैं कि लालू और उनकी पार्टी से कैसे पीछा छुड़ाएं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (8 मई) को सुनवाई के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की अपील को मंजूरी दे दी।सुप्रीम कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें चारा घोटाला मामले में एक में दोष सिद्ध होने के बाद लालू और अन्य के खिलाफ मुकदमों पर रोक लगा दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि करोड़ों रुपए के चारा घोटाला मामले में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव को केस का सामना करना होगा।
ये भी पढ़ें ...सुप्रीम कोर्ट से लालू को झटका, चारा घोटाला के शेष पांचों मामलों में भी चलेगा केस
सीबीआई को मिली मंजूरी, अब चलेगा केस
सीबीआई ने लालू यादव पर केस चलाने की मांग की थी, जिसे कोर्ट ने मान लिया। अब, लालू यादव के खिलाफ चारा घोटाले में केस चलेगा। शीर्ष कोर्ट ने इस मामले में 20 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। साथ ही मामले से संबंधित सभी पक्षों से एक हफ्ते के भीतर अपने सुझाव देने की बात कही थी। इसके अलावा कोर्ट ने राजद सुप्रीमो की ओर से दाखिल याचिका पर भी सुनवाई की थी।
आगे की स्लाइड्स में पढ़ें चारा घोटाले और नीतीश कुमार की वर्तमान स्थिति पर विनोद कपूर की विवेचना ...
देश-विदेश में बटोरी थी सुर्खियां
बता दें, कि चारा घोटाले में मिली जेल की सजा को लालू यादव ने चुनौती दी थी। चारा घोटाला 1990 से बिहार के पशुपालन विभाग से जुड़ा मामला है। उस दौरान लालू बिहार के सीएम थे। चारा घोटाला 1996 में उजागर हुआ था। घोटाला था तो सिर्फ 100 करोड़ रुपए का लेकिन इसकी चर्चा देश-विदेश में हुई। उस वक्त 100 करोड़ रुपए बड़ी रकम थी।
ये भी पढ़ें ...नीतिश कुमार के गले की हड्डी बना लालू का ऑडियो टेप, ऐसे गरमा गई बिहार की सियासत
स्कूटर-मोटरसाइकिल पर ढोया था चारा
घोटाले की परतें जब खुलनी शुरू हुई और जांच आगे बढ़ी, तो पता चला कि जानवरों का चारा ढोने के लिए स्कूटर ओर मोटरसाइकिल का इस्तेमाल किया गया। मतलब, चारा ढोने के लिए जिन ट्रकों के नंबर दिए गए वो स्कूटर और मोटरसाइकिल के थे। सीएम रहते हुए लालू प्रसाद इस मामले में गिरफ्तार हुए तो उन्होंने अपनी पत्नी को बिहार का सीएम बनवा दिया।
मिट्टी घोटाले से हुई शुरुआत
अब लालू की पार्टी बिहार सरकार में शामिल है और उनके दोनों बेटों के पास महत्वपूर्ण विभाग है। उनका छोटा बेटा तेजस्वी यादव तो डिप्टी सीएम है। पिछले एक महीने से लालू की ग्रह-दशा कुछ सही नहीं चल रही। सबसे पहले मामला उठा उनके बड़े बेटे तेजस्वी यादव के 90 लाख की मिट्टी खरीद से, जिसे पटना के जू में डाला गया था। हालांकि, इसकी कोई जरूरत नहीं थी। परतें जब खुलनी शुरू हुई, तो पता चला कि मिट्टी उस जगह से निकाली गई जहां बिहार का सबसे बड़ा मॉल बन रहा है। मॉल भी लालू के परिवार का ही है।
ये भी पढ़ें ...संपत्ति जुटाने का ‘लालू तरीका’, कोई प्यार से तो कोई खूबसूरती पर उन्हें देते हैं गिफ्ट
उपहार मामला भी कम रहस्यमयी नहीं
इसके अलावा राजद के केंद्र में मंत्री रहे रघुनाथ झा और कांति सिंह से मिले लालू प्रसाद के परिवार को उपहार का भी मामला उठा। ये माना गया, कि दोनों ने केंद्र में मंत्री बनने के एवज में लालू और उनके परिवार को ये उपहार दिए।
नीतीश को मिल सकता है बीजेपी का समर्थन
लालू पर सुप्रीम कोर्ट की मुकदमा चलाने की अनुमति और लगातार कंपनी कानून की खामियों का फायदा उठाकर जमा की गई अरबों की संपत्ति का मामला सामने आने के बावजूद नीतीश कुमार चुप हैं। उन्होंने सिर्फ मिट्टी खरीद मामले की फाईल जांच के लिए मुख्य सचिव को सौंपी हैं। दूसरी ओर, बिहार बीजेपी ने संकेत दिया है कि यदि नीतीश कुमार चाहें तो पार्टी उन्हें समर्थन देने पर विचार कर सकती है। बिहार बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी कहते हैं कि नीतीश अगर चाहें तो बीजेपी उन्हें समर्थन देने पर विचार कर सकती है।
ये भी पढ़ें ...संपत्ति मामले में लालू को चौतरफा घेरेगी BJP, चलाने जा रही है ‘पोल खोल’ अभियान
बीजेपी लालू पर गरम, नीतीश पर नरम
बिहार बीजेपी की रणनीति है कि हमला लालू प्रसाद यादव पर ही किया जाए। इससे अभी नीतीश कुमार को अलग रखा जाए। क्योंकि लालू प्रसाद के कारण ही बिहार में दो साल पहले हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा था। आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त आरक्षण की समीक्षा का गैर जरूरी बयान दे दिया था, जिसका फायदा लालू ने उठाया और मतदाताओं को ये बताने में सफल रहे कि बीजेपी सत्ता में आई तो आरक्षण को खत्म कर देगी।
'मिस्टर क्लीन' की छवि मुश्किल में
'मिस्टर क्लीन' की छवि रखने वाले नीतीश कुमार के सामने अभी विकट स्थिति है। वो लालू की पार्टी राजद से पीछा छुड़ाना चाहते हैं, लेकिन बड़ा सवाल ये है कि कैसे? निश्चित रूप से सरकार में लालू के परिवार के बेलगाम काम से उनकी सरकार की छवि पर असर पड़ रहा है। नीतीश ने बिहार बीजेपी के साथ मिलकर 10 साल तक बेदाग सरकार चलाई है। इतने साल केंद्र और राज्य की सत्ता में रहने के बावजूद उनके दामन पर कोई दाग नहीं लगा। लेकिन अब उनकी सरकार सहयोगी दल के कारण दागदार हो रही है जिसे नीतीश कभी पसंद नहीं करेंगे।
बेटे पर लगे आरोपों पर लालू ने तोड़ी चुप्पी, कहा- घोटाला-घोटाला वो लोग करते हैं, जो खुद घोटालेबाज हैं
ये भी पढ़ें ...बेटे पर लगे आरोपों पर लालू ने तोड़ी चुप्पी, कहा- घोटाला-घोटाला वो लोग करते हैं, जो खुद घोटालेबाज हैं
समय-समय पर मोदी का समर्थन करते रहे नीतीश
पीएम नरेंद्र मोदी के कुछ काम के कारण वैसे भी नीतीश की सहयोगी दल राजद से दूरी बढ़ी है। चाहे मामला जीएसटी का हो या नोटबंदी, या विपिन रावत को आर्मी चीफ बनाने का। पार्टी लाईन से अलग नीतीश ने मोदी का समर्थन किया।
देखना है, कैसे छुड़ाते हैं पीछा
अब चारा घोटाले में केस चलाने की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद नीतीश कुमार लालू से पीछा छुड़ाने को लेकर पूरी तरह दबाव में हैं। वो राजनीति के चतुर खिलाड़ी रहे हैं। एक-दो मामले को छोड़ दिया जाए तो उनके राजनीतिक फैसले गलत साबित नहीं हुए। राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि अब देखना होगा कि वो लालू प्रसाद एंड कंपनी से कैसे अलग होते हैं या उसके लिए कौन सा तरीका अपनाते हैं।