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SP की 143 सीटों पर नाम की घोषणा, विरोधी लहर थामने की कोशिश तो नहीं ?

Admin
Published on: 25 March 2016 8:58 PM IST
SP की 143 सीटों पर नाम की घोषणा, विरोधी लहर थामने की कोशिश तो नहीं ?
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Vinod Kapoor Vinod Kapoor

समाजवादी पार्टी ने विधानसभा के अगले साल होने वाले चुनाव के लिए शुक्रवार को 143 सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी। सपा ने 161 सीटों की सूची तो बनाई लेकिन नाम 143 सीटों पर ही दिए। सपा के महासचिव और यूपी के लोक निर्माण मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने नामों की घोषणा की। सूची के बनाए गए खांचे में जेवर, मथुरा, आगरा दक्षिण और आगरा उत्तर, मीरगंज, लखनऊ कैंट, बबीना, रामपुरखास, इलाहाबाद उत्तर, नानपारा, पयागपुर, बस्ती सदर और गोरखपुर ग्रामीण जैसी सीटों को अभी खाली रखा गया है।

इसे चुनाव की संजीदा तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है तो ये भी माना जा रहा है कि सपा सत्ता विरोधी लहर को कम करने की कोशिश कर रही है। ये वो सीटें हैं जहां 2012 के चुनाव में पार्टी जीत नहीं सकी थी। खासकर राजधानी लखनऊ की दो सीटें लखनऊ पूर्व और कैंट।

लखनऊ पूर्व से भ्रष्टतम नौकरशाहों में शामिल अखंड प्रताप सिंह की बेटी जूही सिंह सपा प्रत्याशी थीं जिन्हें बीजेपी के कलराज मिश्र ने हरा दिया था। कैंट से कांग्रेस की रीता बहुगुणा जोशी जीती थीं। सपा ने इस बार लखनऊ पूर्व से डॉ.श्वेता सिंह का नाम तय किया है। श्वेता सिंह सपा महिला सभा की प्रदेश अध्यक्ष हैं और राज्य महिला आयोग की सदस्य भी।

सपा विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों के नाम अंत में तय किया करती थी जिसका नतीजा ये होता था कि बगावत की आग को बुझाने में काफी मशक्कत करनी होती थी। हर सीट पर चार से पांच दावेदार हुआ करते थे। ज्यादातर सीट पर नतीजा ये होता था कि दावेदार प्रत्याशी पार्टी प्रत्याशी को हराने के लिए काम किया करता था।

सपा ने भी इस बार बसपा का अनुसरण किया है। बसपा चुनाव में प्रत्याशियों के नाम पहले तय कर देती है। फिर मायावती के सामने कोई मुंह खोलने की हिम्मत नहीं करता इसलिए वहां बगावत जैसी कोई चीज नहीं होती।

सपा सत्ता विरोधी लहर को कम करने के अलावा होने वाले बगावत को कम करने का सामान भी जुटा रही है। ये वो सीटें हैं जहां पार्टी प्रत्याशियों को पार्टी के अच्छे काम और सरकार की उपलब्धियों को मतदाताओं तक पहुंचाने का पूरा मौका मिलेगा।

एक साल का समय कम नहीं होता। यदि घोषित प्रत्याशी मेहनत करें तो सपा इनमें से कुछ सीटें जीत सकती है। एक साल पहले हारी सीटों पर उम्मीदवारों के नाम की घोषणा सपा की रणनीति का हिस्सा है। हारी सीटों पर सत्ता विरोधी लहर आम तौर पर कम दिखाई देती है।

जीती सीटों को सपा ने अभी तक छुआ नहीं है और ये भी नहीं बताया है कि सभी जीते प्रत्याशी टिकट पा जाएंगे। संभवत: जीती सीटों पर प्रत्याशियों के नाम की घोषणा में सपा फूंक-फूंक कर कदम रखेगी।

सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव अच्छी तरह जानते हैं कि उनकी सरकार के मंत्रियों ओर विधायकों से मतदाता नाराज हैं और चुनाव में वे अपने गुस्से का इजहार करेंगे। सार्वजनिक मंचों से वे कई बार विधायकों और मंत्रियों को कड़ी चेतावनी दे चुके हैं।

मुलायम सिंह यादव ने तो यहां तक कह दिया है कि जो मंत्री ओर विधायक पैसा कमाना चाहते हैं वो बिजनेस करें। राजनीति जैसा त्याग का पेशा ऐसे लोगों के लिए नहीं है। वो अच्छी तरह से जानते हें कि कौन मंत्री और विधायक अपना काम छोड़ पैसा कमाने में लगा है।

सपा की असली दुश्वारी जीती सीटों पर प्रत्याशी तय करने पर शुरू होगी। जब ज्यादातर वर्तमान विधायकों के टिकट काटे जाएंगे।



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