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लालू यादव के सामने 'यक्ष प्रश्न': अबकी बार किसे देंगे पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी
Vinod Kapoor
पटना: राष्ट्रीय जनता दल (राजद) अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव भीड़ खींचने वाले नेता माने जाते रहे हैं। उनके बात करने का अंदाज लोगों को हंसाता और गुदगुदाता रहा है। लेकिन चारा घोटाले में सुप्रीम कोर्ट के अलग अलग जांच के आदेश के बाद उनका वो अंदाज जाता सा दिख रहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने चारा घोटाला केस में सभी मामलों की अलग-अलग जांच करने के आदेश दिए हैं जिससे लालू प्रसाद यादव की चिंता बढ़ गई है। चूंकि, यह मामले पांच अलग-अलग जगहों पर दर्ज हैं, ऐसे में लालू यादव को एक जगह से दूसरी जगह पर दौड़ना पड़ेगा।
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राबड़ी को दी थी पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी
अब बिहार के राजनीतिक हलकों में एक सवाल तेजी से पूछा जा रहा है कि पहली बार चारा घोटाले में जेल जाने पर उन्होंने पत्नी राबड़ी देवी को बिहार का सीएम बना दिया था और जेल से ही सरकार चला रहे थे। चारा घोटाले में सजा मिलने के बाद लालू 2013 में रांची जेल में थे तब उन्हें वीआईपी की तरह रखा गया था। लालू जेल में ही दरबार लगाते थे, उन्हें हर दिन घर का बना खाना मिलता था। दरअसल, झारखंड के तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन को लालू के पांच विधायकों का समर्थन मिला हुआ था। लालू पहले से ही सजायाफ्ता हैं। यदि इन पांच मुकदमे में भी उन्हें सजा हो जाती है या उनकी जमानत रद्द होती है तो वो पार्टी अध्यक्ष की कुर्सी किसे देंगे।
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बीजेपी ने बढ़ाई लालू की मुश्किल
ये सवाल राजनीतिक हलकों में उठ रहा है कि ऐसी सूरत में लालू के पास दो विकल्प हैं। बेटा तेजस्वी यादव जो बिहार के उपमुख्यमंत्री हैं और बेटी मीसा जो राज्यसभा की सदस्य हैं। लेकिन परिवार के लोगों ने जिस तरह बिहार, दिल्ली में संपत्ति अर्जित की है और बीजेपी उनकी बखिया उधेड़ने पर लगी है, उससे लालू परिवार की परेशानी और भी बढ़ गई है ।
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मिट्टी कांड से शुरू हुआ विवाद
मामला पिछले महीने पटना के जू के लिए 90 लाख की मिट्टी बिना टेंडर के खरीदने से शुरू हुआ। बिहार बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी ने जब इस मामले को उठाया तो उन्हें पता नहीं था कि मात्र 90 लाख रुपए के मामले में कितनी परतें खुलनी बाकी है। मामला आगे बढ़ा तो पता चला कि मिट्टी उस जगह से खरीदी गई जहां लालू परिवार का सबसे बड़ा मॉल बन रहा है। जमीन के मालिक भी लालू के बेटे-बेटी और मॉल के मालिक भी वो ही।
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इस हाथ दे, उस हाथ ले का खेल
अभी इस संपत्ति पर चर्चा खत्म भी नहीं हुई थी, कि यूपीए के शासनकाल में केंद्र में लालू की पार्टी के कोटे से 2004 में मंत्री बनाए गए रघुनाथ झा और कांति सिंह की ओर से लालू के परिवार को दिए गए करोड़ों के उपहार का मामला उजागर हो गया। रघुनाथ झा ने मंत्री बनने के एवज में हाईवे के पास अपनी करोड़ों की जमीन लालू के बेटे-बेटियों के नाम कर दी। तो कांति सिंह ने पटना के समीप दानापुर में 30 कट्ठा जमीन जिस पर मकान भी बना है, वो लालू को दे दिया। चूंकि, ये उपहार था इसलिए कोई कानूनी बंदिश नहीं थी। लेकिन ये बात सामने आई कि इस हाथ दे उस हाथ ले का मामला था।
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पीएम की पहल से बेदम हो सकते हैं लालू
बात यहीं नहीं थमी। इसी बीच मीसा की दिल्ली एयरपोर्ट के समीप फार्म हाउस खरीदना चर्चा में आ गया। फार्म हाउस खरीदने में भी वही तरीका अपनाया गया, जो लालू पहले से अपनाते रहे हैं। किसी फर्जी कंपनी से उसे कम कीमत पर लिया गया। कंपनी भी ऐसी जिसमें लालू के परिवार के लोग निदेशक मंडल में शामिल रहे। मीसा ने वो फार्म हाउस एक करोड़ 47 लाख में खरीदा, जिसकी कीमत कम से कम 100 करोड़ रुपए है। लालू ने इसी तरह दिल्ली की डिफेंस कॉलोनी में जमीन खरीदी थी। एक भूखंड ओखला मंडी के पास होने की बात सामने आ रही है। लालू ने ये संपत्ति तो जमा कर ली, लेकिन नोटबंदी के बाद अब यदि बेनामी संपत्ति का कानून केंद्र सरकार जल्द ले आई, तो लालू यादव के माथे पर पसीना आ सकता है।
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नहीं मिल सकती पहले जैसी सुविधाएं
चारा घेाटाले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अगर इस बार लालू को जेल होती है तो उन्हें जेल में पिछली बार की तरह सुविधाएं नहीं मिल पाएंगी। इस समय झारखंड में बीजेपी सरकार है, जिसके लालू धुर विरोधी रहे हैं।
इस बार सुप्रीम कोर्ट काफी सख्त
सुप्रीम कोर्ट ने लालू यादव पर आपराधिक साजिश का केस चलाने की इजाजत दी है। कोर्ट ने 9 महीनों में सुनवाई पूरी करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को भी मामले में देरी करने पर फटकार लगाई। साथ ही झारखंड हाईकोर्ट को भी कानून के तय नियमों का पालन नहीं करने पर लताड़ लगाई है।
किसे मिलेगी लालू की विरासत
लालू प्रसाद के एक और बेटे तेजस्वी यादव भी बिहार में मंत्री हैं, लेकिन वो राजनीति में उतने सक्रिय नहीं हैं। उनकी उम्मीद छोटे बेटे तेजस्वी यादव या बेटी मीसा भारती पर टिकी है। देखना दिलचस्प होगा कि लालू प्रसाद अपनी राजनीतिक विरासत किसे सौंपते हैं।