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MOTHER'S DAY POEM: मां में समाया सारा संसार है, सृष्टि का अनुपम उपहार है
विष्णु कुमार मिश्रा
लखनऊ: मां की महिमा की जितनी भी गुणगान की जाए, वो कम है। मां प्यार है, त्याग है, बच्चों को संबल देती ढाल है। मां के इसी प्यार स्नेह को समर्पित इस मदर्स डे पर ये कविता। जो बहुत हद तक लोगों का दिल छू लेगी।
मां तुम स्नेह की मूर्ति हो
मां सृष्टि का अनुपम उपहार है,
मां में समाया सारा संसार है।
बच्चों की बात बिना बताए जो समझे,
वो झिलमिलाता छोटा सा संसार है।
मां स्नेह ही अनुपम मूर्ति है,
जगत में मिली बच्चों का सुखद अनुभूति है।
खुद भूखे रह कर जो बच्चों की करें भूख शांत,
बच्चों के लिए जो करें अन्न का त्याग।
वो मां है जो साक्षात अन्नपूर्णा की मूर्ति है।
बच्चों की करुण पुकार सुनकर जो दौड़ आए
वो नहीं, साक्षात जगदंबा की प्रतिमूर्ति है।
हर संकट हर लेने वाली मां तेरी महिमा निराली है,
चरण में तुम्हारे स्वर्ग बसे हैं।
ये बात पुरातन वेदों ने कह डाली है।