मेघालय में बादलों से खेलते हुए लोग बताते हैं धरती का असली स्वर्ग यहीं है

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Published on: 29 Jun 2016 10:19 AM GMT
मेघालय में बादलों से खेलते हुए लोग बताते हैं धरती का असली स्वर्ग यहीं है
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yogesh-mishra Yogesh Mishra

मुगल बादशाह जहांगीर ने भले ही कश्मीर को धरती का स्वर्ग कहा हो पर वह इस फैसलाकुन स्थिति में शायद इसलिए पहुंच सके भारत के पूर्वोत्तर का इलाका जहांगीर ने नहीं देखा था। अगर सचमुच किसी को कश्मीर से सुंदर घाटियां और वादियां देखनी हो तो उसे एक बार मेघालय जाना चाहिए।

मेघालय जाते ही कश्मीर की वादियों और घाटियों की नैसर्गिकता और सुंदरता को कही गयी सारी बातों की चमक फीकी पड़ जाती है। जून महीने में मेघालय के शीलांग से चेरापूंजी तक आप बादलों से खेल सकते हैं दिन में कई बार भीग और सूख सकते है। गुलाबी ठंड का एहसास कर सकते है। ऐसी हरियाली देख सकते है जिससे आंखें पुरसूकून हो जाए। यहां मौसम का मिजाज ही नही प्रकृति की सुंदरता भी अपने एकदम अल्हड़ रुप में आपके सामने आनंदित होने के लिए पसरी दिख जाएगी।

मासिनराम बनाम चेरापूंजी की बारिश

वैज्ञानिकों ने भले ही मासिनराम को अब भारत का सबसे अधिक बारिश वाला इलाका घोषित कर दिया हो पर अगर मासिनराम और चेरापूंजी दोनों जगह जाइए तो इस वैज्ञानिक घोषणा पर खुद ब खुद पलीता लग जाता है। मुझे चार-चार घंटे दोनों जगह रहने का मौका मिला। चेरापूंजी में चार घंटे में दो बार बारिश ने भिगोया वहां चालीस रुपए किराए पर छाता देते और लेते बहुत से लोग दिखे।

बारिश का लुत्फ लेने के लिए अपने घरों के दालान में बैठी बहुत से महिलाएं दिखीं। बारिश में भीगते हुए खेलते बच्चे दिखे। अचानक चेरापूंजी की एक गुफा के पास हमारे साथी और उत्तर प्रदेश के पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह टकरा गए। उनके साथ प्रदीप सिंह भी थे सब अधनहाए थे। कई बार बादलों ने वहां हमलोगों को इस तरह ढ़क लिया था मानो हम कहीं गुम ही हो गए हो।

बादल आपको घेरते और फिर गायब हो जाते। इस इलाके के सभी लोगों ने स्वेटर पहन रखे थे। सेवेन सिस्टर फाल से दूर बांग्लादेश दिखता है पर उसे देखने के लिए घंटों इसलिए खड़े रहना पड़ता है ताकि बादल छंट जाएं। झरने का एकदम झक साफ पानी काले पत्थरों के बीच चमकती सफेद पानी की रेखा यह चुगली कर रही थी कि पानी कम होने की कहानी हमारी नादानी है। लेकिन मासिनराम गांव के चार घंटे के प्रवास में ऐसा कुछ नहीं हुआ। न बादल से खेला जा सकता था न किराए पर छाता मिल रहा था, न भीगा जा सकता था।

हालांकि वैज्ञानिक कहते हैं कि इस जगह पर 1221 सेंटीमीटर बारिश होती है जबकि चेरापूंची में सिर्प 1012 सेंटीमीटर होती है। सब देखने और इससे गुजरने के बाद चेरापूंजी वालों की शिकायत यह सच लगने लगती है कि यह वैज्ञानिक सच जमीनी सच से इतर खड़ा किया गया।

एशिया का सबसे साफ गांव

मेघालय में एशिया का सबसे साफ गांव मावलींनोंग भी है। यहां पानी की सतह से तालाब झरनों की तलहटी देखी जा सकती है। लगता है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सफाई के संदेश को यहीं के लोगों ने ठीक से अपनाया है। यह घर के सामने लगा कूडेदान उसमें कूडा फेंकते बच्चे और महिलाएं यही बताते हैं। साल 2003 तक 500 रहवासियों के इस गांव में सड़कें नहीं थी और सिर्फ पैदल ही आया जा सकता था, वहां कोई नहीं आता था। लेकिन 12 साल पहले डिस्कवरी इंडिया ट्रैवल मैगेजीन के एक पत्रकार की बदौलत यह गांव दुनिया भर में चर्चा का केंद्र बन गया।

यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मन की बात में इस गांव का ज़िक्र किया था। मावलिननॉन्ग खासी आदिवासियों का घर है यहां पैतृक नहीं, मातृवंशीय समाज है। जहां संपत्ति और दौलत मां अपनी बेटी के नाम करती है। साथ ही बच्चों के नाम के साथ भी उनकी मां का उपनाम जोड़े जाने की प्रथा है। इस गांव के हर कोने में आपको बांस के कूड़ेदान नज़र आ जाएंगे और समय-समय पर स्वयंसेवी सड़कों को साफ करते दिखाई देंगे।

सफाई के प्रति मावलिननॉन्ग की यह लगन दरअसल 130 साल पहले शुरू हुई। जब इस गांव में हैजे की बीमारी का आतंक छा गया था। किसी भी तरह की मेडिकल सुविधा न होने की वजह से इस बीमारी से छुटकारा पाने के लिए सिर्फ सफाई ही एकमात्र तरीका बच गया था। यही वजह है कि घर घर में शौचालय के मामले में भी यह गांव सबसे आगे है और 100 में से लगभग 95 घरों में यहां शौचालय बना हुआ है।

मेघालय की महिलाएं दिखाती हैं आइना

मेघालय पूरे देश का टीचर है। सिर्फ सफाई के मामले में नहीं कई और मुद्दों पर भी। पूरे मेघालय में हिंदी बोलते समझते स्त्री पुरुष भाषा के नाम पर लड़ने वालों को सीख देते हैं। काले और लाल पहाड़। पहाडों को ढके बादल, बैठे ठाले पुरुष और हर जगह काम करती दिखती महिलाएं यह बता रही थीं इक्कीसवीं शताब्दी में हम मीडिया के लोग दिल्ली, बिहार और यूपी के विकसित इलाको में यह खबर छाप कर इतराते नहीं फिरते कि अब महिलाएं बनेंगी ड्राइवर, पेट्रोल टंकी पर काम करेंगी महिलाएं। पर इतराने को यहां की महिलाएं आइना दिखाती हैं।

वे वेटर भी हैं, गाडियां भी चलाती हैं, अर्थव्यवस्था में भागेदारी भी करती हैं। लोग एकदम निश्चिंत दिखते है। निश्चित गति से बढ़ती गाडियां, काले कपड़े वाली मेघालय पुलिस किनारे खड़े होकर सिर्फ नज़र रखती है। गोद की जगह पीठ पर लदे बच्चे, लोगों के चेहरे से पढ़ी जा रही निश्चिंतता बहुत कुछ कहती है। यहां बीएसएनएल 4.5 जी का विज्ञापन करता है जबकि एयरटेल 4जी बेच रहा है। शीलांग पीक से शहर को देखने के लिए आतुर लोग चेरापूंजी और शीलांग में पसरे दिखते चर्च डान बास्को म्यूजियम में काम करने वाले सारे कर्मचारियों का कैथलिक होना भी कई बात कहता है। इस म्यूजियम में सोनिया गांधी का संदेश लगा है। यहां के लोग बताते हैं यहां साल 2010 में सोनिया गांधी आईं थीं। हालांकि बगल के चर्च में वह गई थी इस पर कोई कुछ नहीं कहता।

शिलांग पर्यटन पर मोदी इफेक्ट

शिलांग और चेरापूंजी में बीते दिनों मोदी के आने की भी चर्चा कम नहीं है। जबसे मोदी ने एलीफैंटा जल प्रपात के सामने खड़े होकर अपनी फोटो ट्वीट की है तबसे वहां आने वाले लोगों की तादाद बढ़ गई है। यह वहां सामान बेचने वाले लोग, टिकट बांटने वाले लोग और फोटोग्राफर सब एकमुंह से कहते हैं हालांकि यह तादाद कितनी बढ़ी है इसको लेकर जितनी मुंह उतनी बातें हैं।

डल झील पर इतराने वाले कश्मीरियों को भी उमीयाम बारापानी झील का भी दीदार करना चाहिए यहां का पानी डल झील के पानी से बहुत साफ है। वहां बोटिंग करते समय आपकी नाव किसी दूसरी नाव से नहीं टकराती। नौकायन का लुत्फ उठाते समय कोई सामान बेचने वाला आपके आनंद में खलल का सबब नहीं बनता।

प्रकृति को उसके असली स्वरुप में देखना, महिलाओं की अर्थव्यवस्था में भागीदारी का गवाह बनना हो या बारिश में भीगना हो और फिर सूख कर भीग जाना हो, सबके लिए आपको आना होगा मेघालय जहां न जाने क्यों अभी तक सरकार की नज़र नहीं है। जितना पैसा कश्मीर पर खर्च हुआ उसका एकांश भी अगर यहां खर्च होता तो सचमुच धरती के स्वर्ग का प्रतीक बदल जाता।

मेघालय में टीन की हैसियत बदल जाती है। टीन की छत वाले मकान भी बड़े लोगों के होते हैं। यह मेघालय की खूबसूरती का ही तकाजा है कि हमारे बच्चे वहां कुछ और दिन रुकना चाह रहे थे। बेटी ने फोटो खींचने का अब तक के अपने जीवन का कीर्तिमान बना लिया। पर मेघालय जाइए तो होटलों में नहीं रिसार्ट में रुकिए क्योंकि वहां प्रकृति बात करती है आपकी सुनती है और आप उसे अपने अंदर उतार सकते हैं।

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