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कोरोना पर काबू कठिन नहीं

पिछले दो-तीन दिनों में कोरोना ने ऐसा जुल्म ढाया है कि पूरा देश कांप उठा है। जो लोग मोदी-सरकार के अंधभक्त थे, वे भी डर और कटुता से भरने लगे थे।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Written By Dr. Ved Pratap VaidikPublished By Roshni Khan
Published on: 25 April 2021 5:01 AM GMT
article on Corona not difficult to control
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कोरोना (सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: पिछले दो-तीन दिनों में कोरोना ने ऐसा जुल्म ढाया है कि पूरा देश कांप उठा है। जो लोग मोदी-सरकार के अंधभक्त थे, वे भी डर और कटुता से भरने लगे थे। सवा तीन लाख लोगों का कोरोना ग्रस्त होना, हजारों लोगों का मरना, ऑक्सीजन का अकाल पड़ना, दवाइयों और ऑक्सीजन सिलेंडरों की दस गुनी कीमत पर कालाबाजारी होना, राज्य-सरकारों की आपसी खींचातानी और नेताओं के आरोपों-प्रत्यारोपों ने केंद्र सरकार को कंपा दिया था। लेकिन इस सबका फायदा यह हुआ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बंगाल के लालच को छोड़कर कोरोना पर अपना ध्यान जमाया है।

अब रातोंरात अस्पतालों को ऑक्सीजन के बंबे पहुंच रहे हैं, हजारों बिस्तरवाले तात्कालिक अस्पताल शहरों में खुल रहे हैं, कालाबाज़ारियों की गिरफ्तारी बढ़ गई है और 80 करोड़ गरीब लोगों के लिए प्रति माह 5 किलो अनाज मुफ्त बटने लगा है। आशा है कि एक-दो दिन में ही कोरोना के टीके की कीमत को लेकर शुरु हुई लूटमार पर भी सरकार रोक लगा देगी। कोरोना के टीके और अन्य दवाइयों के लिए जो कच्चा माल हम अमेरिका से आयात कर रहे थे, उसे देने में अमेरिका अभी आनाकानी कर रहा है लेकिन ब्रिटेन और फ्रांस- जैसे देशों ने आगे बढ़कर मदद करने की घोषणा की है। जर्मनी ने ऑक्सीजन की चलायमान मशीनें भेजने की घोषणा कर दी है।

सबसे ज्यादा ध्यान देने लायक तथ्य यह है कि चीन और पाकिस्तान ने भी भारतीय जनता को इस आफतकाल से बचाने का इरादा जाहिर किया है। पाकिस्तान की कई समाजसेवी संस्थाओं ने कहा है कि संकट के इस समय में आपसी रंजिशों को दरकिनार किया जाए और एक-दूसरे की मदद के लिए आगे बढ़ा जाए। सबसे अच्छी बात तो यह हुई है कि सिखों के कई गुरुद्वारों में मुफ्त ऑक्सीजन देने का इंतजाम हो गया है। हजारों बेरोजगार लोगों को वे मुफ्त भोजन भी करवा रहे हैं। कई मस्जिदें भी इसी काम में जुट गई हैं। ये सब किसी जाति, मजहब या भाषा का भेदभाव नहीं कर रहे हैं। यही काम हिंदुओं के मंदिर, आर्यसमाज और रामकृष्ण मिशन के लोग भी करें तो कोरोना का युद्ध जीतना हमारे लिए बहुत आसान हो जाएगा।

इन संगठनों को उन व्यक्तियों से प्रेरणा लेनी चाहिए, जो व्यक्तिगत स्तर पर अप्रतिम उदारता और साहस का परिचय दे रहे हैं। मुंबई के शाहनवाज शेख नामक युवक अपनी 22 लाख रु. कार बेचकर उस पैसे से जरुरतमंद रोगियों को ऑक्सीजन के बंबे उपलब्ध करा रहे हैं। जोधपुर के निर्मल गहलोत ने श्वास-बैंक बना दिया है, जो ऑक्सीजन के बंबे उनके घर पहुंचाएगा, नाममात्र के शुल्क पर! एक किसान ने अपना तीन मंजिले घर को ही कोरोना अस्पताल बना दिया हैं।

गुड़गांव के पार्षद महेश दायमा ने अपने बड़े कार्यालय को ही मुफ्त टीकाकरण का केंद्र बना दिया है। यदि हमारे सभी राजनीतिक दलों के लगभग 15 करोड़ कार्यकर्ता इस दिशा में सक्रिय हो जाएं तो कोरोना की विभीषिका को काबू करना कठिन नहीं होगा।

Roshni Khan

Roshni Khan

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