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Ayodhya Ram Mandir: मेरी कार सेवा का मिल गया पुरस्कार, सपना हुआ साकार

Ayodhya Ram Mandir: तत्कालीन विश्व हिन्दू परिषद अध्यक्ष अशोक सिंघल ने स्वंय गुलाबबाड़ी मैदान में समारोह पूर्वक सम्मानित किया था । वह अब 51 वर्ष के हो चुके हैं जो ग्राम दामोदरपुर निवासी कुलदीप पाण्डेय है।

Bipin Singh
Written By Bipin Singh
Published on: 23 Jan 2024 11:17 AM IST (Updated on: 23 Jan 2024 11:46 AM IST)
Kuldeep Pandey
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Kuldeep Pandey   (photo: social media)

Ayodhya Ram Mandir: राम मंदिर आंदोलन में योगदान करने वालों की सूची और कहानी बहुत लम्बी और अंतहीन है। इसके बारे में लगातार तमाम तथ्य सामने आते जा रहे हैं। इसी क्रम में क्षेत्र के एक कारसेवक का नाम सामने आया है, जिन्हें तत्कालीन विश्व हिन्दू परिषद अध्यक्ष अशोक सिंघल ने स्वंय गुलाबबाड़ी मैदान में समारोह पूर्वक सम्मानित किया था । वह अब 51 वर्ष के हो चुके हैं जो ग्राम दामोदरपुर निवासी कुलदीप पाण्डेय है। जिन्होने 30 अक्टूबर, 1990 को ढाँचे के बीच वाले गुंबद पर चढ़ कर न सिर्फ केसरिया पताका फहरावा था । बल्कि उसमें लगे लोहे के चाँद सितारा को भी तोड़ कर ले लाये थे।

वह बताते हैं 30 अक्टूबर सन 1990 की तारीख थी, आज से करीब 34 वर्ष। उस समय राम मंदिर का आंदोलन अपने चरम पर था । देश के कोने-कोने से लाखों की संख्या में अति-उत्साही कारसेवक सरकारी बाधाओं को तोड़ते हुए अयोध्या में प्रवेश कर चुके थे। चारों दिशाओं से युवक-युवतियां , छात्र-छात्राएं , स्वंयसेवक , बेटियां व माताएं अयोध्या की ओर कूच कर रहे थे । मंदिर आंदोलन के नायक अशोक सिंघल के आह्वान पर बड़ी संख्या में कार सेवकों का जमावड़ा हो चुका था। आंदोलनकारी विहिप नेताओं गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी। अशोक सिंघल , विनय कटियार , ऋतंभरा सहित विहिप से जुड़े संतों की जमात उस समय अयोध्या में मौजूद थी । अशोक सिंघल संतों के साथ जत्थे का नेतृत्व कर रहे थे । इस दौरान जुनूनी आवेग में आ कर मात्र 17 वर्षीय कारसेवक कुलदीप पाण्डेय शहीद रामकुमार एवं शरद कोठारी के साथ विवादित ढाँचे के बीच वाले गुंबद पर चढ़कर पहले तो छात्र कुलदीप ने लोहे के चाँद सितारे को तोड़ कर साथ रख लिया और तीनों साथियों ने मिलकर गुंबद पर भगवा ध्वज फहरा दिया।

2 नवंबर, 1990 को कोठारी बन्धु पुलिस की गोली से शहीद हो गए। अपने साथी कोठारी बन्धुओं के सर्वोच्च बलिदान को अपनी शक्ति बनाकर कुलदीप पाण्डेय ने पुनः 6 दिसंबर, 1992 को फायरब्रांड हिन्दू नेता विनय कटिया के नेतृत्व में अयोध्या कूच कर कारसेवकों के जत्थे में पहुंचे। कुलदीप पाण्डेय ने कंलकित ढाँचे को ढहाने में अपनी पूरी ताकत झोंक दिया था।

कुलदीप पाण्डेय को अशोक सिंघल ने किया था सम्मानित

साहसी कुलदीप पाण्डेय को विवादित ढॉचें के गुंबद पर भगवा ध्वज फहराने के एवज में पुरुस्कार स्वरुप खुशी में गुलाबबाड़ी में स्वंय विहिप नेता अशोक सिंघल ने पुष्पहार पहनाकर पीठ थपथपाई एवं बच्चू लाल इण्टर कालेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य कमला प्रसाद सिंह ने सभी छात्रों एवं अध्यापकों के समक्ष 500 रुपये का नकद पुरस्कार प्रदान कर पुष्पाहार पहना कर स्वागत किया था।


राम जानकी मंदिर में बनती थी कारसेवा की रणनीति

आज 50 की उम्र पार कर चुके 51में पहुंचें रामभक्त कुलदीप पाण्डेय ने बताया कि जब मैं कक्षा 9 का छात्र हुआ करता था। लल्लू सिंह एवं सुरेश चन्द्र पाण्डेय के संयुक्त अगुवाई में बाकरगंज के प्राचीन राम जानकी मंदिर में बनती थी कारसेवा की रणनीति । किस जत्थे को किस रास्ते से किस समय अयोध्या कूच करना है, यह सब गुप्त रहता था। रामभक्तों को अंत में रात होते ही सरयूनदी के मांझा कछार मार्ग से टुकड़ी में अयोध्या भेजवाया जाता था । रामभक्त जगह-जगह घरों में विश्राम करते थे उनके लिए भोजन बनता था यह सब पुलिस की निगाह बचा कर होता था।


कारसेवा का पुरूस्कार 32 वर्ष बाद प्राण प्रतिष्ठा के रूप में मिला

कुलदीप पाण्डेय ने बताया कि मेरे साथ जो बाकरगंज से विवादित ढाँचे को जान हथेली पर रखकर ढहाने गए। कुल छः लोगों में से तीन लोग सुरेश पाण्डेय एवं पवन कुमार पाण्डेय दामोदरपुर एवं अनिल कुमार सिंह देवगढ़ आज नहीं है। वे दिवंगत हो चुके हैं । शेष तीन लोग स्वंय कुलदीप पाण्डेय, राम सूरत पाण्डेय, तथा बजरंग प्रसाद पाण्डेय ही मौजूद हैं। आज 34 वर्ष बाद मुझे मेरी बहादुरी का पुरस्कार प्रभु राम के नए मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के रुप में मिल गया है।





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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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