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Best Hindi Poem: उम्मीद प्रेम का अन्न है

Best Hindi Poem: अनुराग वत्स की यह कविता 'उम्मीद प्रेम का अन्न है' होने को तो एक सरल सी, छोटी सी कविता है ।

Anshu Sarda Anvi
Written By Anshu Sarda Anvi
Published on: 7 Jan 2025 4:33 PM IST
Best Hindi Poem Anurag Vats Ki Kavita in Hindi
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Best Hindi Poem Anurag Vats Ki Kavita in Hindi

Best Hindi Poem: 'उम्मीद प्रेम का अन्न है यह मान

हम अंत के बीच थे

शुरू की याद करते

बीच को दोहराते

अंत से सिहरते'

अनुराग वत्स की यह कविता 'उम्मीद प्रेम का अन्न है' होने को तो एक सरल सी, छोटी सी कविता है । लेकिन इसमें भावनाओं और प्रेम को बड़ी ही खूबसूरती से संवारकर इस कविता में पिरोया गया है। जीवन की धूप जब इतनी तेज हो जाती है कि आंखें चकमक हो जाए और कुछ समझ न आए तो ऐसे में जीवन ऊर्जा की बहुत जरूरत होती है। एक ऐसा समय जब उलझनें हों , संघर्ष हो, संशय हो और उलाहना भी हो तो प्रेम ही वह भाव होता है जो बुझते हुए दिए को जलाए रखनता है और उस प्रेम को बचाए रखने के लिए उम्मीद उसकी खुराक। इस तकनीकी प्रगति वाली आधुनिक दुनिया में जहां संचार और परिवहन ने प्रगति के नए रास्तों की खोज है, वहीं गलतफहमियों और संघर्षों के अवरोधों से भी पहचान कराई है और नए होने के रास्ते की उम्मीद भी जगाई है।

सुबह-सुबह का कोहरा यह आश्वस्ति देता है कि धूप आएगी और तेज धूप यह उम्मीद जगाती है कि दिन ढलेगा, शाम होगी और इस धूप के तेज से निजात मिलेगी। जिंदगी कोई बोझ तो नहीं बल्कि इसे समझना और संभालना बहुत जरूरी है। पर हम यह कहां समझ पाते हैं और अपनी जिंदगी को दूसरों के हवाले कर अपनी जंग हार जाते हैं। अगर ऐसा नहीं होता तो बेंगलुरु के एक आई इंजीनियर अतुल सुभाष द्वारा आत्महत्या की आंच के ठंडा होने से पहले ही दिल्ली के रेस्टोरेंट संचालक पुनीत खुराना आत्महत्या नहीं कर लेता। मानसिक यंत्रणा से परेशान व्यक्ति के सोच-विचार, जीवन शैली में परिवर्तन आवश्यक होता है।इसमें बदलाव सिर्फ एक शब्द या जीवन शैली का बदलाव मात्रा नहीं बल्कि यही जीवन का सार भी है और जीने का सूत्र भी। जीवन, परिवर्तन का नाम है और ऐसे मुश्किल समय में धैर्य से बढ़कर कोई दोस्त नहीं होता है। सही दिशा में सकारात्मक बदलाव हमारी अपनी जिम्मेदारी है।

रंग बदलती दुनिया में ईमानदार दिखावे और बनावटी दिखावे में फर्क करना आना होगा। रेलवे लाइन क्रॉसिंग दो ट्रेनों के इंतजार में बंद थी और एक स्कूटर वाला जोर-जोर से गेट खोलने के लिए कह रहा था। पीछे ऑटो में उसकी पत्नी और मां एक बच्चे को गोदी लिए रो रही थी और आसपास वाले राहगीर उसको सांत्वना दे रहे थे और उस बच्चे के प्रति अपनी तकलीफ को भी व्यक्त कर रहे थे। यह एक ईमानदार दिखावा था क्योंकि वहां उनमें से किसी का भी आपस में कोई रिश्ता-नाता, दोस्ती या जान-पहचान नहीं थी।‌ एक ही सड़क के मुसाफिर होने के कारण वे हमराही थे और वहां भी उस व्यक्ति को सलाह देकर और उसके परिवार के साथ अपनी हमदर्दी दिखाकर अपनी ईमानदारी को आईना दिखा रहे थे। लेकिन इसके उलट भी होता है जब आपके नजदीकी दोस्त, रिश्तेदार या अन्य कोई आपके साथ बनावटी दिखावा करते हैं। वहां दिखाई तो यही देता है कि वह आपके दर्द में, आपकी तकलीफ में आपके साथ हैं पर ऐसा होता नहीं है। ऐसा बनावटी दिखावा बहुत लंबे समय की आयु लेकर नहीं आता है बल्कि वह कुछ समय में ही अपने क्षुद्र इरादों के साथ बाहर निकल कर सामने आ जाता है। ऐसे में ईमानदार दिखावे और बनावटी दिखावे में फर्क समझना होगा।

फिर भी दुनिया इतनी भी बुरी नहीं है कि हम नाउम्मीद हो जाएं। पुरूषार्थी अपने जीवन में आने वाली अवांछित समस्याओं से निपटने के लिए नए और रचनात्मक तरीकों के बारे में सोचते हैं न कि अपने दुर्भाग्य के लिए दूसरों को दोषी ठहराते हैं। एक प्रेमी जोड़े के मिलकर घूमने जाने के समय में बारिश हो जाती है और यह बारिश उन्हें कहीं और जाने की इजाजत नहीं देती। तो एक छतरी के नीचे खड़े होकर, न घूमने जा सकने की कसक को छोड़कर, बारिश में साथ खड़े रहने के इस क्षण को भीतर तक बचा के रख लेना और फिर किसी और समय में घूमने जाने की उम्मीद को बनाए रखना ही प्रेम का भार संभाल लेता है। यह दुनिया प्रेम से ही आगे बढ़ती है और प्रेम से ही एक दूसरे के साथ अपने संबंधों का निर्वाह करती है और इसी उम्मीद में रहती है कि आगे आने वाला समय बेहतर होगा पहले से और यही उम्मीद हमारे बीच प्रेम को भी बढ़ाती है क्योंकि आखिर में उम्मीद ही तो प्रेम का अन्न है।

( लेखिका प्रख्यात स्तंभकार हैं।)



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