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अमा जाने दो: ईर-बीर बोले विकास हुआ, फत्ते बोले घंटा!

raghvendra
Published on: 17 Nov 2018 6:50 AM GMT
अमा जाने दो: ईर-बीर बोले विकास हुआ, फत्ते बोले घंटा!
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नवल कान्त सिन्हा

मामला बनारस का है, लिमिट क्रॉस तो होगा ही। हुआ यूं कि जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस पहुंचे, विकास का हल्ला मच गया। ये विकास-वो विकास, यहां विकास-वहां विकास, ऐसा विकास-वैसा विकास, जल, थल, नभ में विकास, जिधर देखो विकास ही विकास... दो हजार चार सौ करोड़ का विकास, बाबतपुर फोरलेन, रिंग रोड, दीनापुर एसटीपी, मल्टी मॉडल टॢमनल सहित 10 परियोजनाएं बिछा दी गईं। सात शिलान्यास भी ठोंक दिए गए। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया तक विकास का हल्ला। बीजेपी नेता छप्पन इंच की छाती ठोंककर विकास की कहानियां सुना रहे थे।

ईर बोले विकास हुआ है, बीर बोले विकास हुआ है, तो हम भी बोल दिए कि विकास हुआ है, लेकिन फत्ते गुस्सा के बोले- घंटा हुआ है विकास। हमरा तो खोपड़ा हिल गया, पूछ लिया- ऐसा क्यों।. लो जी अब कुछ बोलने को तैयार नहीं। एकदम खामोश। हम बोले, कुछ तो बोलो। वो बोले किसी और से पूछो। चाय की दुकान पर खड़े चच्चा से पूछ लिया कि कुछ तो बताओ। बोले- बेटा किसी और से पूछो। न बच्चा भैया बोले और न सुग्गन, फुन्ना। हमने कहा कि लवली भैया तुम ही कुछ बता दो, तुम तो नए दौर के हो। बेचारे रुआंसे हो गए। हमने कहा कि बाबतपुर से कचहरी तक और मलदहिया से लेकर मैदागिन तक सब जगह टहल आये, सब लकदक है। बिजली के तार दिख नहीं रहे हैं और बिजली लगातार दिख रही है, फिर काहे सन्नाटे में हो। बोले- यही तो समस्या है।

हमने पूछा- अब ये कैसी समस्या। रुंधे गले से बोले- पहले तार ऊपर से जाते थे। उस तार से बिजली जाती थी, वहीं से सीधे बिजली घर में घसीट लेते थे, तीन-तीन एसी चलते थे लेकिन बिजली बिल में सन्नाटा रहता था। फिर मोदीजी की चल गयी, तार हो गए अंडरग्राउंड। अब बिजली केवल मीटर पर ही लद कर आती है। एलईडी बल्ब भी जलाओ तो मीटर दौड़ पड़ता है। और मोदी ही क्यों योगी क्या किसी कम हैं, उन्होंने आफत ढा रखी है। हमने पूछा कि अब उन्होंने क्या बिगाड़ दिया। बोले- अब मीटर चल रहा है तो बिल तो देना ही पड़ेगा। फिर बीवी को एसी, गीजर चलाने तो रोक नहीं सकते। पहले चौदह घंटे बिजली आती थी, वो ठीक था... अब चौबीस घंटे बिजली आती है तो चौबीस घंटे एसी चलता है। एसी बंद हुआ तो गीजर, हीटर चलेगा। कोई नहीं है बताता लेकिन सबको है पिराता। सोचिये कि अब नया रायता है कि हल्दिया से माल सीधे नदी के रास्ते बनारस आ जाएगा। क्या कभी मोदी जी ने सोचा कि जो गरीब सिपाही ट्रकों से सौ-पचास लेकर कमाई कर लेते थे, वो बंद हो जायेगी, इन गरीबों का क्या होगा। अब इस पर हम क्या कहते, चुप्पी साधी, चाय सुडक़ी और खिसक लिए।

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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