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भाजपा कार्यसमिति: उपलब्धियों का खूब हुआ बखान, प्रदेश से जुड़े कई दिग्गज रहे नदारद
पार्टी के अंदर चल रही हलचल कुछ और ही बता रही है। लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह के क्षेत्र में कार्यसमिति का आयोजन हुआ मगर न तो वह आए और न ही उनका जिक्र हुआ। उनके पुत्र पंकज सिंह मात्र दर्शक बनकर रहे। कलराज मिश्र और मनोज सिन्हा भी नहीं आए।
Vijay S Pankaj
लखनऊ: केंद्र और उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में सत्तासीन भाजपा अब अपनी स्थापित परंपराओं से विरत होती नजर आ रही है। इसकी ताजा मिसाल लखनऊ में यूपी भाजपा कार्यसमिति की दो दिनी बैठक में नजर आई। बैठक में राजनीतिक-आर्थिक प्रस्ताव के नाम पर सिर्फ केंद्र की सरकार और प्रदेश की सरकार की अब तक की उपलब्धियों का ही बखान किया गया। बैठक में कार्यकर्ताओं को नसीहतें और हिदायतें दी गयीं।
गुणगान
यूपी में प्रचंड बहुमत पाने के बाद पार्टी की कार्यसमिति की यह पहली बैठक थी। इसमें नेताओं ने कार्यकर्ताओं को त्याग और विनम्रता का पाठ पढ़ाया और उन्हें अगले छह महीने का कार्यक्रम सौंप दिया गया। सरकारी कामकाज से अलग रहने का संदेश देकर उन्हें संगठन का काम करते रहने के निर्देश भी दिये गये।
प्रदेश कार्यसमिति में एकमात्र राजनीतिक प्रस्ताव पारित किया गया परन्तु इसमें किसी भी तरह की राजनीतिक चर्चा न होकर केन्द्र और राज्य सरकारों तथा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ही गुणगान दिखा। भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या ने भी अपने धन्यवाद प्रस्ताव में राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का ही गुणगान किया। मौर्या ने कहा कि शाह जैसा राजनीतिक संगठनकर्ता विश्व में न कोई हुआ है और न होगा।
तय कार्यक्रम में फेरबदल
भाजपा प्रदेश कार्यसमिति के पहले ही दिन कार्यक्रम गड़बड़ हो गया। असल में दो मई को सुबह 9 बजे से अमित शाह के साथ प्रदेश पदाधिकारियों तथा वरिष्ठ मंत्रियों की बैठक होनी थी। इसके बाद अमित शाह को प्रदेश कार्यसमिति का उद्घाटन करना था। लेकिन अचानक शाह का कार्यक्रम रद्द हो गया। इससे तय कार्यक्रम में फेरबदल किया गया और शाम 4 बजे मुख्यमंत्री ने कार्यसमिति का उद्घाटन किया। कार्यक्रम स्थल पर कई वरिष्ठ मंत्रियों, पदाधिकारियों आदि को बैठने की जगह ही नहीं मिली। उद्घाटन भाषण में मुख्यमंत्री ने एक माह में सरकार के कामों का विस्तृत ब्योरा दिया।
सरकार व संगठन में समन्वय पर जोर
कार्यसमिति के दूसरे दिन पारित एकमात्र राजनीतिक प्रस्ताव में प्रदेश भाजपा की युवा बिग्रेड ने केन्द्र और राज्य सरकार के एजेंडे का प्रचार करने पर सहमति जताई। कार्यसमिति में जिलों से आए सदस्यों तथा कार्यकर्ताओं की समस्याओं पर कोई चर्चा नहीं हुई। शाम के सत्र में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के आने पर पूरा संगठन हवाई अड्डे से लेकर कन्वेंशन सेंटर तक जुटा रहा।
इस भागमभाग में कई प्रौढ़ एवं बुजुर्ग नेता घायल तक हो गए। प्रदेश संगठन मंत्री सुनील बंसल ने कार्यकर्ताओं को सितम्बर 2017 तक कार्यक्रमों का टाइम टेबल दिया। इसके बाद अमित शाह का भाषण शुरू हुआ। शाह ने कहा कि जातिवाद, परिवारवाद और तुष्टिकरण तीन नासूर हैं। जनता ने इतना बड़ा बहुमत देकर इस नासूर से राज्य को मुक्त करने का संदेश दिया है।
शाह ने सरकार और संगठन में समन्वय पर जोर देते हुए कहा कि पार्टी को अभी भी बूथ स्तर पर लंबा काम करने की जरूरत है। जिन बूथों पर पार्टी संगठन कमजोर है, वहां पर नये सिरे से विजय पताका फहरानी है। शाह ने कार्यकर्ताओं को विनम्र बनने की सलाह देते हुए अहंकार न पालने की सलाह दी।
शाह के भाषण के बाद भाजपा के ही कई पदाधिकारी यह कहते मिले कि मंत्री बनने के बाद कई तो कार्यकर्ताओं से मिलते ही नहीं। केन्द्र में मोदी सरकार बनने के बाद संगठन को वरीयता देने के लिए सरकारी पदों पर नियुक्तियों के लिए राज्यों से कार्यकर्ताओं की सूची मंगायी गयी परन्तु तीन वर्ष बाद भी कुछ नहीं हुआ। कई महत्वपूर्ण आयोग तथा निगमों के पद खाली पड़े हुए हैं।
नेताओं संग फोटो खिंचाने में व्यस्त थे युवा नेता
भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने कार्यसमिति की अव्यवस्था को इंगित करते हुए कहा कि इसकी सारी जिम्मेदारी जिन युवाओं को सौंपी गयी थी, वे मंच पर नेताओं के साथ फोटो खिंचाने में ही व्यस्त थे तो अन्य व्यवस्थाओं की तरफ किसी का ध्यान कहां जाता।
शाह के भाषण के बाद भाजपा के ही कई पदाधिकारी यह कहते मिले कि कार्यकर्ता की न तो संगठन के पदाधिकारी सुनते हैं और न कोई मंत्री। मंत्री बनने के बाद कई तो कार्यकर्ताओं से मिलते तक नहीं। हालात यह हैं कि दूसरे दलों से आए मंत्रियों एवं विधायकों की भाजपा में एक नयी टीम तैयार हो गयी है। सांसद भी अपने नेताओं से नहीं मिल पाते हैं।
राजनाथ बैठक में नहीं आए
राजनीतिक रूप से देखें तो पार्टी के अंदर चल रही हलचल कुछ और ही बता रही है। लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह के क्षेत्र में कार्यसमिति का आयोजन हुआ मगर न तो वह आए और न ही उनका जिक्र हुआ। राजनाथ के पुत्र पंकज सिंह प्रदेश महामंत्री हैं परन्तु कार्यसमिति के पूरे आयोजन में वह मात्र दर्शक बनकर रहे।
अशोक कटारिया को ज्यादा तरजीह दी गयी। लखनऊ के वरिष्ठ नेता लालजी टंडन को आगे लाकर सुशोभित किया गया। कार्यसमिति में प्रदेश के सभी केन्द्रीय मंत्रियों के आने का दावा किया गया था परन्तु कलराज मिश्र और मनोज सिन्हा भी नहीं आए।