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Red Yellow Light Car: लाल पीले होकर नीले हुए फिर सब रंग उड़ गए
Red Yellow Light Cars Story: बत्तियां हटा देने से सबसे ज्यादा समस्याएं होती है उन वाहन चालक को जो लाल बत्ती वाले वाहन चलाते हैं...
Red Yellow Light Cars Story: सत्यकथा बहुत पुरानी है।जब हमने वर्ष 1988 में प्रशासनिक सेवा में पहला कदम रखा था।मेरी मैहर तहसील (वर्तमान जिला) में पदस्थापना हुई थी। वहां पर मैहर थाना प्रभारी टीआई भारत सिंह चौहान साहब थे और बदेरा में थाना प्रभारी फूल सिंह टेकाम और एसडीओपी आर एन सिंह साहब थे। मेरी इन सभी लोगों से बड़ी अच्छी मित्रता जैसी हो गई थी। टीआई भारत सिंह साहब मुझे बहुत सम्मान देते थे। तो मैं उनसे यह भी कहता था कि आप तो बहुत वरिष्ठ हैं मैं तो आपके सामने बहुत छोटा कर्मचारी हूं , मगर वह कहते थे कि उससे क्या होता है आप तो एग्जीक्यूटिव मजिस्ट्रेट हैं, इसलिए सम्मान देना जरूरी है।
कालांतर में मेरा स्थानांतरण अमरपाटन तहसील में हो गया। वहां पर कार्य करने के लिए फील्ड पर दौरे पर जाने के लिए साधन की आवश्यकता होने पर मुझे अपने घर पर रखी हुई एक बहुत पुरानी बुलेट मोटरसाइकिल जो 1962 मॉडल थी, वह मिल गई। उसे लेकर मैं अमरपाटन में ग्रामीण क्षेत्र में दौरे करने लगा।
एक दिन मैंने अपने मैकेनिक को मोटरसाइकिल कुछ काम करने के लिए सुबह 11 बजे दिया। मैं मैकेनिक के यहां पर खड़ा था, अचानक रामनगर के थाना प्रभारी फूल सिंह टेकाम जी उधर से निकले। मुझे देखकर रुके और कुछ बातचीत हुई। वह सतना मीटिंग में जा रहे थे। उन्होंने पूछा यहां कैसे खड़े हैं, तो मैंने बताया कि मैं अपनी मोटरसाइकिल ठीक कराने के लिए आया हूँ। उन्होंने कहा साहब आपके ऊपर यह मोटरसाइकिल बिल्कुल नहीं जम रही है, किंतु उन्होंने कारण कुछ भी नहीं बताया। उसके बाद उन्होंने मुझे तहसील कार्यालय तक अपनी मोटरसाइकिल से छोड़ दिया। उनके पास भी बुलेट मोटरसाइकिल थी।
मुझे तहसील छोड़कर वह सतना चले गए। शाम को जब मैं मैकेनिक के पास पहुंचा तो मुझे वहां एक मोटरसाइकिल दिखाई दी किंतु वह मेरी नहीं थी। क्योंकि उसमें आगे के मडगार्ड पर एक लाल बत्ती ब्लिंकर लाइट लगी हुई थी। मैंने मिस्त्री से पूछा कि मेरी मोटरसाइकिल कहां है तो उसने बताया कि यही मोटरसाइकिल है। मेरे यह पूछने पर यह लाल बत्ती क्यों लगाई तो उसने बताया कि रामनगर के थानेदार साहब सतना से लौटते समय आपकी मोटरसाइकिल में लगाने के लिए दे गए थे। तब मुझे यह समझ में आया कि टेकाम साहब ने क्यों कहा था कि यह मोटरसाइकिल मुझ पर क्यों बिल्कुल नहीं जम रही है।
अमरपाटन में थाना प्रभारी के पास भी बुलेट मोटरसाइकिल हुआ करती थी। किंतु पता नहीं क्यों उन्हें मेरी मोटरसाइकिल की लाल बत्ती से तकलीफ होने लगी।
उन्होंने हमारे एसडीएम साहब को यह मौखिक शिकायत किया कि कुछ अनाधिकृत वाहनों पर लाल बत्ती लगी हुई है। उन्हें निकलवाना आवश्यक है। एसडीएम साहब ने इस बात को टाल दिया। किंतु जब थाना प्रभारी का लिखित आवेदन पत्र प्राप्त हुआ तो उन्होंने तहसीलदार अमरपाटन बीबी श्रीवास्तव साहब को वह पत्र आवश्यक कार्रवाई हेतु भेज दिया। तहसीलदार साहब ने वह पत्र वहां पर पदस्थ नायब तहसीलदार शिवकुमार तिवारी जी को आवश्यक कार्यवाही के लिए भेज दिया।
जब थाना प्रभारी को यह बात पता चली कि पत्र तिवारी जी के पास आ गया है तो वह तिवारी जी के पास आए और उनसे बताया कि मेरी मोटरसाइकिल में लाल बत्ती लगी हुई है, उस गाड़ी को जप्त करना है, कृपया जप्ती कर दें। इस पर तिवारी जी ने अपने रीडर को बोलकर जप्ती पंचनामा टाइप कर तैयार कराया। उसमें वाहन क्रमांक का स्थान रिक्त छोड़ दिया। थाना प्रभारी के साथ तहसील कार्यालय परिसर में आए और कहा कि चलिए जप्ती कर लेते हैं।
वहां पर मेरी मोटरसाइकिल के बगल में अमरपाटन थाना प्रभारी की भी मोटरसाइकिल खड़ी थी, जिसमें मडगार्ड पर लाल बत्ती लगी हुई थी। तिवारी जी जब पंचनामा बनाने लगे तो थाना प्रभारी बोले कि साहब यह वाली गाड़ी तो उनकी (थाना प्रभारी की)है,तो तिवारी जी ने कहा कि मुझे मालूम है मगर दोनों ही गाड़ियों में बत्ती तो गलत ही लगी है।
तिवारी जी ने पहले थाना प्रभारी की मोटरसाइकिल का नम्बर भरकर पंचनामा बना दिया।इसके बाद थाना प्रभारी ने अपनी गलती के लिए उनसे भी माफी मांगी और मुझसे भी माफी मांग ली।
यह तो हो गई एक सत्यकथा।
किंतु लाल पीले से बेरंग होने तक की कहानी अलग है।
क्योंकि जब मैंने शासकीय सेवा ज्वाइन किया था तो शासकीय वाहनों में लाल बत्तियां (ब्लिंकर लाइट) लगी रहती थी।
कुछ समय पश्चात सभी वाहनों से बत्तियां हटाने का निर्देश आया और जैसे अभी सभी वाहनों में ब्लिंकर लाइट हटा दी गई है, उसी तरह सभी वाहनों से लाइट हटा दिया गया।
बत्तियां हटा देने से सबसे ज्यादा समस्याएं होती है उन वाहन चालक को जो लाल बत्ती वाले वाहन चलाते हैं ।वह रात में अक्सर एक्सीडेंट कर देते हैं क्योंकि वह यह मानकर चलते हैं कि उनकी लाल बत्ती को देखकर सामने वाला रास्ता छोड़ देगा, किंतु बत्ती हट जाने के बाद उन्हें इस बात का एहसास नहीं होता कि सामने वाला वाहन उनकी गाड़ी को देखकर हट जाएगा। मगर बत्ती ना लगी होने के कारण स्थितियां गंभीर होने लगी। एक्सीडेंट होने लगे। तो कुछ समय पश्चात फिर से निर्देश आए और यह निश्चित हुआ कि चुने हुए जनप्रतिनिधि को जो किसी संवैधानिक पद पर पदस्थ हैं, उन्हें लाल बत्ती लगाने की पात्रता होगी और अन्य पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों को पीली बत्ती की पात्रता होगी। उसके बाद से सभी वाहनों में पीली बत्तियां लगने लगी।
कुछ समय पश्चात इस पीली बत्ती में भी यह पता नहीं चलता था कि कौन बड़ा अधिकारी है और कौन छोटा,क्योंकि सभी की गाड़ियों में पीली बत्ती लगी रहती थी।
इस पर से एक नए निर्देश जारी हुए जिसमें यह कहा गया कि फला वेतनमान तक के वेतन पाने वाले अधिकारी पीली बत्ती लगाएंगे और उससे नीचे के अधिकारी नीली बत्ती लगाएंगे और साथ ही उस समय सभी चुने हुए जनप्रतिनिधियों विधायकों को अपने वाहन पर हरी बत्ती लगाने के आदेश जारी हुए।
नीली बत्ती लगने पर ग्रामीण क्षेत्र में कभी-कभी जब उड़न दस्ता के रूप में किसी प्रकार की जप्ती या पकड़-धकड़ के लिए पुलिस या प्रशासन की गाड़ियां जाती तो गांव में अवैध कार्य करने वाले लोग आपस में यह बोलते कि चिंता मत करो अस्पताल गाड़ी (एम्बुलेंस) आई है। बाद में उन्हें समझ में आता कि यह तो पुलिस और प्रशासन की गाड़ी है।इसके पश्चात वर्तमान व्यवस्था आई जिसमें सभी प्रकार की लाल पीली नीली हरी बत्तियां अस्तित्व से खत्म हो गई, और हम लाल पीले नीले होते हुए रंगहीन हो गए।