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स्मृति शेष: महंत अवैद्यनाथ जी महाराज

Brahmalin Mahant Avaidyanath: बचपन का नाम श्री कृपाल सिंह बिष्ट था और कालांतर में अवैद्यनाथ बनकर भारत के राजनेता तथा गुरु गोरखनाथ मन्दिर के पीठाधीश्वर थे के रूप में प्रसिद्द हुए।

Sanjay Tiwari
Written By Sanjay Tiwari
Published on: 12 Sept 2024 3:01 PM IST
Brahmalin Mahant Avaidyanath
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Brahmalin Mahant Avaidyanath  (photo: social media )

Brahmalin Mahant Avaidyanath: वे उत्तर प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गुरु और अभिभावक थे। वे आध्यात्मिक आकाश के देदीप्यमान नक्षत्र थे। श्री रामजन्म भूमि आंदोलन के नायक थे।भारत के राजनेता तथा गोरखनाथ मन्दिर के पीठाधीश्वर थे। वे गोरखपुर लोकसभा से चौथी लोकसभा के लिये हिंदू महासभा से सर्वप्रथम निर्वाचित हुए थे। इसके बाद नौवीं, दसवीं तथा ग्यारहवीं लोकसभा के लिये भी निर्वाचित हुए। महंत अवैद्यनाथ का जन्म 28 मई 1921 को ग्राम काण्डी, जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखण्ड में श्री राय सिंह बिष्ट के घर हुआ था।

आपके बचपन का नाम श्री कृपाल सिंह बिष्ट था और कालांतर में अवैद्यनाथ बनकर भारत के राजनेता तथा गुरु गोरखनाथ मन्दिर के पीठाधीश्वर के रूप में प्रसिद्द हुए। श्री अवैद्यनाथ जी ने हिन्दू धर्म की आध्यात्मिक साधना के साथ "सामाजिक हिन्दू" साधना को भी आगे बढाया और सामाजिक जनजागरण को अधिक महत्वपूर्ण मानकर सनातन हिन्दू संस्कृति की सोशल इंजीनियरिग पर बल दिया ।

योगी आदित्यनाथ के हिन्दू युवा वाहिनी जैसे युवा संगठन की प्रेरणा भी कहीं न कहीं इसी सोशल इंजीनियरिग की प्रेरणा रही थी । हिमालय और कैलाश मानसरोवर की यात्रा और साधना से शैव धर्म से गहरे प्रभावित महंत जी पहली बार 1940 में अपनी बंगाल यात्रा के दौरान मेंमन सिंह (तत्कालीन बंगाल) में निवृति नाथ के माध्यम से दिग्विजय नाथ से मिले । 08 फ़रवरी 1942 को आप गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी बन गए और इस तरह मात्र 23 साल की अवस्था में कृपाल सिंह बिष्ट से अवैद्यनाथ बनकर विश्वमंच पर एक दैदीव्य्मान अक्षय प्रकाश पुंज के रूप में सदैव के लिए अमर हो गये। आजन्म विवादों से दूर रहने वाले, विरक्त सन्यासी, सज्जन, सरल और सुमधुर और मितभाषी व्यक्तित्व के धनी अवैद्यनाथ जी ने रामजन्म भूमि आन्दोलन को मात्र गति ही नहीं दिया अपितु एक संरक्षक की भांति हर तरह से रक्षित और पोषित किया ।

राजनैतिक जीवन

दक्षिण भारत के रामनाथपुरम और मीनाक्षीपुरम में अनुसूचित जाति के लोगों के सामूहिक धर्मातरण की घटना से खासे आहत होते हुए महाराज ने राजनीति में पदार्पण किया। इस घटना का विस्तार उत्तर भारत में न हो, इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाये गए और राजनीति में रहकर मतान्तरण का ध्रुवीकरण करने के कुटिल प्रयासों को असफल किया। आपने 1962, 1967, 1974 व 1977 में उत्तर प्रदेश विधानसभा में मानीराम सीट का प्रतिनिधित्व किया और 1970, 1989, 1991 और 1996 में गोरखपुर से लोकसभा सदस्य रहे। 34 वर्षों तक हिन्दू महासभा और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े रहकर हिंदुत्व को भारतीय राजनीति में गति देने वाले और सामाजिक हितों की रक्षा करने वाले अवैद्यनाथ जी ने स्वयं को अवसरवाद और पदभार से स्वयं को दूर रखा और इस तरह उन्होंने राजयोग में भी हठयोग का प्रयोग बखूबी किया। कितने पद स्वयं महाराज जी के चरणों में आकर स्वयं सुशोभित होते थे और आशीष लेते थे ।


सामाजिक समरसता के अग्रदूत

योग व दर्शन के मर्मज्ञ महंतजी के राजनीति में आने का मकसद हिंदू समाज की कुरीतियों को दूर करना और राम मंदिर आंदोलन को गति देना रहा है। हिन्दू धर्म में ऊंच-नीच दूर करने के लिए उन्होंने लगातार सहभोज के आयोजन किए। इसके लिए उन्होंने बनारस में संतों के साथ डोमराजा के घर जाकर भोजन किया और समाज की एकजुटता का संदेश दिया। हिंदू समाज की एकता ही उनके प्रवचन के केंद्र में होती थी। वह मूलत: इतिहास और रामचरितमानस का सहारा लेते थे। श्रीराम का शबरी, जटायु, निषादराज व गिरीजनों से व्यवहार का उदाहरण देकर दलित-गरीब लोगों को गले लगाने की प्रेरणा देते रहे।गोरक्षपीठ पर गुरु गोरखनाथजी के प्रतिनिधि के रूप में सम्मानित संत को महंत की उपाधि से अलंकृत किया जाता है। में महंत अवेद्यनाथ जी महाराज गोरक्ष पीठाधीश्वर के पद पर आसीन थे। इस मंदिर के प्रथम महंत वरदनाथजी महाराज रहे हैं जो गुरु गोरखनाथ जी के शिष्य थे।


सरस्वती के कृपापात्र

महंत अवेद्यनाथ ने वाराणसी व हरिद्वार में संस्कृत का अध्ययन किया था। वह संस्कृत से शास्त्री थे। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद से जुड़ी शैक्षणिक संस्थाओं के अध्यक्ष के अलावा वे मासिक पत्रिका योगवाणी के संपादक रहे। योग व दर्शन पर लगातार लिखा। गोरक्षपीठ से जुड़ी चिकित्सा, शिक्षा और सामाजिक क्षेत्रों में काम कर रही करीब तीन दर्जन संस्थाओं के अध्यक्ष एवं प्रबंधक थे। महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद से जुड़ी शैक्षणिक संस्थाओं के अध्यक्ष के अलावा वे मासिक पत्रिका योगवाणी के संपादक रहे। योग व दर्शन पर आजन्म लिखते रहे । महंत अवेद्यनाथ ने योगी आदित्यनाथ को गोरक्षपीठ का न सिर्फ उत्तराधिकारी बनाया बल्कि उन्होंने योगी आदित्यनाथ को 1998 में सबसे कम उम्र का सांसद बनने का गौरव प्रदान किया। बाद में योगी आदित्यनाथ ने हिन्दू युवा वाहिनी का गठन किया जो हिन्दू युवाओं को धार्मिक बनाने के लिए प्रेरणा देती है।


निधन

महंत अवेद्यनाथ का निधन 12 सितम्बर 2014 को हो गया। ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ को नाथ परंपरा के अनुसार समाधि दी गयी। पुलिस की टुकड़ी ने गार्ड ऑफ आनर दिया तथा मातमी धुन बजायी । पद्यमासन की मुद्रा में उन्हें समाधि की पश्चिम दिशा में बनी समाधि गृह में रखा गया। समाधि में कच्चा रोट, वेद, जनेऊ, अधारी, खप्पर, झोली, चीनी, चावल, घी तथा नारियल पर दीप रखा गया. धूप, घी, लोबान व कपूर से अंतिम पूजा के बाद

गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने समाधि गायत्री के साथ सबसे पहले मिट्टी डालकर अंतिम विदाई दी थी ।

ॐ शांतिः ।।

Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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