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बजट-2018: किसानों की स्थिति को मजबूत बनाएगा बजट

raghvendra
Published on: 2 Feb 2018 7:31 AM GMT
बजट-2018: किसानों की स्थिति को मजबूत बनाएगा बजट
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नितिन खन्ना

इस बजट के एक-एक बिंदु का परीक्षण करने के बाद यह बजट देश की ग्रामीण जनता पर ज्यादा फोकस करता हुआ दिख रहा है। इस बजट में किसानों को सशक्त करने की बात मजबूती के साथ रखी गई है। देश की 70 प्रतिशत ग्रामीण और अंतिम पायदान पर खड़ी आबादी को लुभाने वाले बजट के रूप में इसे पेश किया गया है। हालांकि उद्योगों के साथ सामंजस्य स्थापित करने में बजट पूरी तरह सफल नहीं रहा है। इस बार का बजट उद्योगों कहीं न कहीं नजरअंदाज करता हुआ दिख रहा है।

इस बार के यूनियन बजट में स्वास्थ्य सेवाओं पर विशेष ध्यान दिया गया है। यह एक सकारात्मक कदम है। स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में लिमिट को 30 हजार से बढ़ाकर 50 हजार करना और फिर गरीब परिवारों के लिए पांच लाख रुपये का फैमली हेल्थ कवर प्रदान करना उन्हें सामाजिक सुरक्षा का एहसास दिलाने वाला है। गंभीर रोगों की स्थिति में वरिष्ठ नागरिकों को 1 लाख रुपये तक का डिडक्शन इस बजट का सराहनीय पहलू है। इससे जहां एक ओर देश में स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता आएगी तो वही अब अंतिम पायदान पर खड़ा व्यक्ति भी अपने स्वास्थ्य के प्रति सतर्क रहेगा और एक स्वस्थ देश का निर्माण होगा। इसके साथ ही वरिष्ठ नागरिकों की फिक्स डिपाजिट पर कोई टीडीएस न लेना उन्हें सपोर्ट करने वाला सिद्ध होगा। सरकार के इस कदम से वरिष्ठï नागरिकों को काफी मदद मिलेगी।

इस बार के बजट में टैक्स स्लैब की छूट के 2.5 लाख से बढक़र कम से कम साढ़े तीन लाख होने की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। टैक्स स्लैब में कोई परिवर्तन नहीं हुआ। टैक्स स्लैब में प्रत्यक्ष रूप से कोई परिवर्तन या राहत न दिए जाने से आम लोगों के बीच टैक्स गिरावट की उम्मीद को झटका लगा है। हालांकि बजट में नौकरीपेशा व्यक्तियों और पेंशनर्स के लिए 40 हजार रूपये के अप्रत्यक्ष डिडक्शन को इसकी कमी को पूरा करने वाले कदम के रूप में देखा जा सकता है मगर यह सच्चाई है कि इससे आम आदमी बहुत ज्यादा खुश नहीं हुआ है। वह टैक्स के बोझ तले खुद को पहले की तरह ही दबा हुआ महसूस कर रहा है।

बजट में किसानों पर विशेष रूप से फोकस किया गया है। जिस प्रकार से मोदी सरकार किसानों की आय को दुगुना करने की बात बहुत पहले से कर रही है, इस प्रावधान को उसी दिशा में एक कदम माना जा सकता है। कृषि उत्पादन को क्लस्टर मॉडल की तर्ज पर आगे बढ़ाना और फिर किसानों की फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य को डेढ़ गुना करके उत्पादन को सपोर्ट करना निश्चित रूप से किसानों को समृद्ध बनाने में सफल होगा। इसके साथ ही किसानों के उत्पादन को बेचने के लिए मार्केटों की स्थापना करना भी किसानों की मदद की दिशा में उठाया गया ठोस कदम है। इससे देश का किसान खुशहाल होगा और उसकी परचेजिंग पावर बढ़ेगी।

इस बजट में ढाई करोड़ सालाना के टर्नओवर वाली कंपनियों पर कारपोरेट टैक्स को 30 प्रतिशत से कम करके 25 प्रतिशत करना छोटे एवं मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने वाला है। इससे देश में छोटे-छोटे उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा और स्टार्टअप लगाने के प्रति लोग आकर्षित होंगे। इसके साथ ही पहले पांच सालों के लिए कृषि के बाई प्रोडक्टस बनाने वाली कंपनियों को 100 प्रतिशत छूट देना और इसकी लिमिट को 100 करोड़ तक मान्य रखना, यह कदम कृषि क्षेत्र की कंपनियों को बढ़ाएगा।

टैक्स दर में गिरावट के स्थान पर एक प्रतिशत सेस बढ़ा दिया गया है। इसके साथ ही साथ जनोपयोगी वस्तुएं जैसे मोबाइल फोन पर 15 से 20 प्रतिशत की कस्टम डयूटी लगाने से संचार के साधनों का महंगा होना आम आदमी को थोड़ा झटका देने वाला है। इसके साथ ही साथ ट्रक और बस के रेडियल टायरों की दर में 10 से 15 प्रतिशत की कस्टम डयूटी की बढ़ोत्तरी झटका देने वाली है। स्मार्ट वॉच और आधुनिक डिवाइसों में 10 से 20 प्रतिशत की कस्टम डयूटी बढ़ा दी गयी है। तीन पहिया, स्कूटर्स, पेडल कार और पहिये वाले खिलौनों, गुडिय़ा, कैरेज, पजल जैसे खेलों तक पर 10 से 20 प्रतिशत की कस्टम डयूटी इनकी सेल को प्रभावित करने वाली है।

इन सब चीजों के महंगे होने से आम आदमी की जेब पर प्रभाव पड़ेगा। खासकर मोबाइल आजकल सबकी जरूरत बन गया है। इस पर बढ़ी कस्टम डयूटी इसके रेट को बढ़ाएगी और आम आदमी को इसे खरीदने के लिए अब अधिक कीमत चुकानी होगी। संक्षेप में यह बजट कृषि उत्पादन को बढ़ाने वाला, ग्रामीण क्षेत्रों के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति को सशक्त बनाने वाला और छोटे और मझोले उद्योगों के लिए संजीवनी है।

(लेखक चार्टर्ड अकाउंटेंट व अर्थशास्त्री हैं)

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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