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By-Election Results 2021: भाजपा की चिंता बढ़ी, आम चुनाव पर पड़ेगा असर?

By-Election Results 2021: अभी-अभी हुए 13 राज्यों के जो चुनाव-परिणाम सामने आए हैं। अगर इन चुनाव-परिणामों का विश्लेषण करें तो इन प्रांतों के प्रादेशिक भाजपा-नेतृत्व की योग्यता संदेहास्पद है। यदि इन राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्षों ने बढ़िया काम किया होता तो भाजपा इतनी बुरी तरह से नहीं हारती।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Written By Dr. Ved Pratap VaidikPublished By Shreya
Published on: 4 Nov 2021 8:08 AM IST
By-Election Results 2021: भाजपा की चिंता बढ़ी, आम चुनाव पर पड़ेगा असर?
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अमित शाह और जेपी नड्डा के संग पीएम मोदी (कॉन्सेप्ट फोटो साभार- सोशल मीडिया)

By-Election Results 2021: अभी-अभी हुए 13 राज्यों के जो चुनाव-परिणाम सामने आए हैं, उनसे क्या संदेश निकलता है? वैसे तो तीन लोकसभा सीटों और 29 विधानसभा सीटों के आधार पर अगले आम चुनाव के बारे में कुछ भी भविष्यवाणी करना वैसा ही है, जैसा कि नदी में बहती हुई मछलियों को गिनना। फिर भी यदि इन चुनाव-परिणामों का विश्लेषण करें तो सारे भारत में जनता के रवैए की कुछ झलक तो जरुर मिल सकती है। जैसे हिमाचल, राजस्थान और कर्नाटक में भाजपा के उम्मीदवारों का हारना और जीती हुई कुछ सीटों का खोया जाना किस बात का संकेत है? इसका स्पष्ट संकेत यह तो है ही कि इन प्रांतों के प्रादेशिक भाजपा-नेतृत्व की योग्यता संदेहास्पद है।

यदि इन राज्यों के मुख्यमंत्री और प्रदेशाध्यक्षों ने बढ़िया काम किया होता तो भाजपा इतनी बुरी तरह से नहीं हारती। इन चुनावों ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि इन पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का भी कोई असर नहीं पड़ा है। भाजपा के केंद्रीय नेताओं के लिए यह भी विशेष चिंता का विषय हो सकता है, क्योंकि अगले कुछ माह में ही लगभग आधा दर्जन राज्यों की विधानसभा के चुनाव मुंह बाए सामने खड़े हैं। यदि उनमें भी इसी तरह के परिणाम आ गए तो अगले लोकसभा चुनाव का हाथी किसी भी करवट बैठ सकता है।

वोट (सांकेतिक फोटो साभार- सोशल मीडिया)

कांग्रेस की छवि ज्यादा नहीं बिगड़ी

जहां तक कांग्रेस का प्रश्न है, आजकल वह जिस प्रकार नेता और नीतिविहीन हो चुकी है, उस स्थिति में उसकी छवि ज्यादा नहीं बिगड़ी है लेकिन हिमाचल और राजस्थान में उसकी शानदार विजय का श्रेय हिमाचल में भाजपा के मुख्यमंत्री और राजस्थान के कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दिया जा सकता है। हिमाचल के भाजपा मुख्यमंत्री ने कांग्रेस की जीत के लिए महामारी, बेरोजगारी और मंहगाई को जिम्मेदार ठहराया है। लेकिन मध्यप्रदेश में भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने अपने धुआंधार चुनाव अभियान के जरिए खंडवा की लोकसभा सीट तो जीती ही, दो विधानसभा सीटें भी जीत लीं।

ममता बनर्जी हुईं ताकतवर

असम, बिहार, आंध्र, तेलंगाना आदि में प्रायः प्रांतीय पार्टियों का वर्चस्व रहा लेकिन प. बंगाल में ममता की तृणमूल कांग्रेस ने विधानसभा की चारों सीटों से भाजपा को तृणमूल याने घांस के तिनके की तरह उखाड़ फेंका। एक उम्मीदवार की तो जमानत ही जब्त करवा दी। भाजपा से टूट-टूटकर कई नेता आजकल तृणमूल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। ममता बनर्जी धीरे-धीरे उत्तर भारत के प्रांतों में भी अपनी जड़ें जमाने की कोशिश कर रही हैं। यह कांग्रेस के लिए भी चिंता का विषय है, क्योंकि ममता का मानना है कि कांग्रेस की कमजोरियों का फायदा उठा-उठाकर ही भाजपा बलवान बनी है। इन उप-चुनावों के परिणाम विपक्षी दलों को पहले से अधिक नजदीक आने के लिए प्रेरित कर सकते हैं। ग्लासगो सम्मेलन से लौटते ही नरेंद्र मोदी को अपनी सरकार के साथ-साथ अपनी पार्टी की सुधि लेनी पड़ेगी।

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