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कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा: इतनी बेरुखी क्यों 

raghvendra
Published on: 23 Feb 2018 8:45 AM GMT
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा: इतनी बेरुखी क्यों 
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अंशुमान तिवारी

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की भारत यात्रा के दौरान दिखी बेरुखी भारत ही नहीं बल्कि कनाडा में भी मीडिया की सुर्खियां बनी हुई है। ट्रूडो 17 फरवरी की रात भारत पहुंचे मगर देश में उनका वैसा जोरदार स्वागत नहीं हुआ जैसी उम्मीद जताई जा रही थी। भारत में वैसे भी अपने अतिथियों के शानदार स्वागत की परंपरा रही है मगर इस मामले में ऐसा नहीं हुआ। अब सवाल यह उठ रहा है कि सबकुछ अनजाने में हुआ या जानबूझकर किया गया। भारत की बेरुखी को लेकर कनाडा के मीडिया में सवाल उठाए जा रहे हैं। वैसे तो ट्रूडो परिवार के साथ अपना दौरा इंज्वाय करने वाले ऐसे नेता हैं जिसे ज्यादा तामझाम पसंद नहीं है मगर सवाल उठने लाजमी हैं क्योंकि वे कनाडा के प्रधानमंत्री हैं और कनाडा की ताकत को कम करके नहीं आंका जा सकता।

दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि ट्रूडो पर खालिस्तान को समर्थन देने के आरोप लगते रहे हैं और यही कारण है कि भारत में उनके दौरे को अधिक महत्व नहीं दिया गया। उनको ज्यादा महत्व देने से तमाम तरह के विवाद पैदा हो सकते थे और इसी वजह से भारत ने स्वागत का कोरम भी पूरा किया और विवादों से खुद को दूर भी रखा। वैसे ट्रूडो ने हाल में बयान देकर खुद को खालिस्तान के विवाद से दूर करने की पूरी कोशिश की थी। ट्रूडो ने कहा था कि हम एक भारत व संयुक्त भारत का समर्थन करते हैं और इस मामले में कनाडा के रुख में किसी तरह का बदलाव नहीं आया है। उन्होंने हिंसा को नकारने की बात भी की थी।

ट्रूडो के भारत पहुंचने पर पीएम नरेन्द्र मोदी को तो छोडि़ए, कोई अन्य बड़ा नेता भी उनके स्वागत के लिए नहीं पहुंचा। राज्य मंत्री गजेन्द्र शेखावत को उनके स्वागत के लिए भेजकर मानो स्वागत की रस्मअदायगी कर ली गयी। कनाडा के लोगों को मानना है कि यह पोस्ट कनाडा में संसदीय सचिव के बराबर होती है। अब कनाडा में इसे लेकर सवाल उठाए जा रहे हैं कि आखिर ट्रूडो के प्रति ऐसी बेरुखी क्यों? इसका यह भी मतलब निकाला जा रहा है कि भारत-कनाडा के रिश्ते बेहतर हालात में नहीं हैं। कनाडा के लोग तो इसे ट्रूडो के अपमान की तरह मान रहे हैं। कनाडा में तमाम लोगों का मानना है कि भारत ने जानबूझकर ट्रूडो की अनदेखी कर उनका अपमान किया।

कनाडा की एक जानी-मानी लेखिका का कहना है कि पीएम मोदी आम तौर पर विदेशी अतिथियों का पूरे उत्साह से स्वागत करते हैं और पूरी कोशिश करते हैं कि स्वागत में कोई कसर बाकी न रह जाए। वे व्यक्तिगत तौर पर इस पर नजर रखते हैं मगर ट्रूडो के मामले में ऐसा नहीं दिखा। लेखिका ने अपने ट्वीटर एकाउंट पर कई तस्वीरें भी शेयर की हैं जिनमें मोदी विदेशी अतिथियों का स्वागत करते दिख रहे हैं। इन तस्वीरों में मोदी एयरपोर्ट पर अमेरिका के राष्ट्रपति, इजराइल के प्रधानमंत्री और सऊदी प्रिंस के साथ दिख रहे हैं। वे इन नेताओं से हाथ मिलाने के साथ ही उनसे गले भी मिल रहे हैं। फिर उन्होंने ट्रूडो की तस्वीर भी शेयर की है जिसमें ट्रूडो मोदी सरकार के एक जूनियर मंत्री के साथ दिख रहे हैं।

ट्रूडो के प्रति बेरुखी को साबित करने के लिए उनकी आगरा और गुजरात की यात्राओं की चर्चा भी हो रही है। अभी हाल में जब इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू भारत के दौरे पर आए थे तो उनके आगरा दौरे के दौरान उनका स्वागत करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आगरा पहुंचे थे। उनके लिए आगरा में शानदार प्रबंध किए गए थे मगर ट्रूडो के दौरान योगी तो छोडि़ए उनका कोई मंत्री भी स्वागत के लिए नहीं पहुंचा। ट्रूडो के ताज दौरे के दौरान आगरा के डीएम व कुछ अन्य प्रशासनिक अधिकारी ही उनके साथ दिखे। कुछ ऐसा ही नजारा ट्रूडो के गुजरात दौरे के दौरान भी दिखा। नेतन्याहू की यात्रा के दौरान मोदी ने गुजरात में नेतन्याहू का रोड शो कराया और खुद उन्हें लेकर साबरमती आश्रम गए।

आश्रम के बारे में उन्होंने खुद नेतन्याहू को सारी जानकारियां दीं। नेतन्याहू से पहले वे जापान के प्रधानमंत्री ङ्क्षशजो आबे का भी इसी अंदाज में स्वागत कर चुके हैं। उनका भी गुजरात में मोदी के साथ शानदार रोड शो हुआ और पूरे रास्ते में तरह-तरह के सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए थे। उनके साबरमती दौरे के दौरान भी मोदी उनके साथ थे। भारतीय मीडिया में आबे व नेतन्याहू के दौरे को शानदार कवरेज मिली मगर ट्रूडो के साथ ऐसा नहीं हुआ। सरकारी स्तर पर ज्यादा तामझाम न होने से मीडिया में भी ट्रूडो के दौरे को ज्यादा कवरेज नहीं मिली। अखबारों में सिर्फ उनकी परिवार के सात इक्का-दुक्का फोटो ही देखने को मिलीं।

भारत के दौरे के दौरान ट्रूडो की अनदेखी की एक खास वजह बताई जा रही है। ट्रूडो को कथित रूप से खालिस्तानियों का समर्थक कहा जाता है। जानकारों के मुताबिक ट्रूडो ने सिख अलगाववादी आंदोलन में शामिल लोगों को अपनी कैबिनेट में जगह दी और इससे दोनों देशों के रिश्ते और बिगड़ गए। फिलहाल ट्रूडो की कैबिनेट में चार सिख मंत्री हैं। ये मंत्री हैं हरजीत सज्जन, अमरजीत सोही,नवदीप बैंस और बर्दिश छागर। सोही के एक बयान पर हाल में काफी विवाद हुआ था जिसमें उन्होंने कहा था कि वे न तो खालिस्तान आंदोलन के खिलाफ हैं और न समर्थन में। कनाडा में होने वाली खालसा डे परेड में खालिस्तान समर्थकों के जुटने की खबरें आती रही हैं और ट्रूडो ने इस परेड में भी हिस्सा लिया था। वैसे भारत नहीं चाहता था कि ट्रूडो इस परेड में हिस्सा लें मगर फिर भी ट्रूडो ने उस परेड में शिरकत की थी।

ट्रूडो की खालिस्तान समर्थक छवि के कारण ही उनके पंजाब दौरे के समय मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात को लेकर भी संशय बना हुआ था क्योंकि ट्रूडो के दौरे को लेकर पंजाब सरकार भी पहले चुप्पी साधे हुए थी। पंजाब सरकार ने इस मामले में गेंद केन्द्र के पाले में डाल दी थी। बाद में कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सिंह सज्जन की मध्यस्थता से मामला सुलझा और कैप्टन अमरिंदर सिंह ने खुद ट्वीट कर ट्रूडो के स्वागत के लिए जाने की बात कही।

भारत में अपनी छवि सुधारने के लिए ही ट्रूडो ने कैप्टन अमरिंदर सिंह से मुलाकात में यह भरोसा दिलाया कि उनका देश किसी अलगाववादी आंदोलन का समर्थन नहीं करता। पंजाब सरकार के प्रवक्ता के मुताबिक ट्रूडो ने कैप्टन को यह आश्वासन भी दिया कि वे अलगाववाद को समाप्त करने और कनाडा में रहने वाले अल्पसंख्यकों को संवैधानिक दर्जा दिलाने में सहयोग करेंगे। दोनों नेताओं के बीच हुई करीब चालीस मिनट की बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि कनाडा में बैठे अलगाववादियों की ओर से पंजाब में आतंकवादी गतिविधियों के लिए भेजी जा रही हथियारों की खेप पर रोक लगाने के लिए कनाडा सरकार कदम उठाएगी। कैप्टन के मीडिया सलाहकार का कहना है कि दोनों नेताओं के बीच सौहार्दपूर्ण माहौल में बैठक हुई। बैठक के दौरान पंजाब के स्थानीय निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और कनाडा के रक्षा मंत्री हरजीत सज्जन भी मौजूद थे। वैसे स्वर्ण मंदिर में मत्था टेकने के दौरान ट्रूडो का शानदार स्वागत किया गया। ट्रूडो ने अपनी पत्नी व बच्चों के साथ मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रोटियां भी बेलीं।

ट्रूडो की भारत यात्रा के दौरान एक और विवाद खड़ा हो गया। ट्रूडो की मुंबई यात्रा के दौरान ट्रूडो की पत्नी सोफी ट्रूडो की एक तस्वीर सामने आई है जिसमें वे बैन किए जा चुके इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन में सक्रिय रहे खालिस्तानी आतंकवादी जसपाल अटवाल के साथ दिख रही हैं। मुंबई में 20 फरवरी को एक कार्यक्रम के दौरान यह फोटो खींची गयी थी। अटवाल को ट्रूडो के लिए आयोजित डिनर में भी आमंत्रित किया गया था। भारत में कनाडा के हाई कमिश्रर की ओर से यह निमंत्रण भेजा गया था। इसे लेकर विवाद खड़ा होने पर प्रधानमंत्री कार्यालय से पूछताछ भी की गयी। बाद में यह निमंत्रण रद्द करने की जानकारी पीएमओ को दी गयी।

अटवाल और सोफी की फोटो पर बवाल का कारण यह है कि अटवाल काफी विवादित रहे हैं। उन पर 1986 में वैंकूवर में तत्कालीन मंत्री मलकीयत सिंह सिंधू की हत्या का प्रयास करने का आरोप है। सिंधू की कार पर गोलियां चलाई गयी थीं और अटवाल ने हमले में अपनी भूमिका होने की बात स्वीकार की थी। उस समय अटवाल सिख यूथ फेडरेशन के सदस्य थे। इस फेडरेशन को भारत, अमेरिका व कनाडा में एक आतंकवादी संगठन के तौर पर बैन कर दिया गया था। इसके पहले अटवाल को एक ऑटोमोबाइल फ्रॉड केस में भी दोषी पाया गया था। अटवाल के साथ फोटो में ट्रूडो की पत्नी के अलावा कनाडा के मंत्री अमरजीत सोही भी दिख रहे हैं। कुल मिलाकर ट्रूडो की इस यात्रा के दौरान भारत व कनाडा के रिश्तों में वैसी गर्मजोशी नहीं दिखी जैसी अन्य देशों के राष्ट्राध्यक्षों की यात्रा के दौरान दिखती रही है।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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राघवेंद्र प्रसाद मिश्र जो पत्रकारिता में डिप्लोमा करने के बाद एक छोटे से संस्थान से अपने कॅरियर की शुरुआत की और बाद में रायपुर से प्रकाशित दैनिक हरिभूमि व भाष्कर जैसे अखबारों में काम करने का मौका मिला। राघवेंद्र को रिपोर्टिंग व एडिटिंग का 10 साल का अनुभव है। इस दौरान इनकी कई स्टोरी व लेख छोटे बड़े अखबार व पोर्टलों में छपी, जिसकी काफी चर्चा भी हुई।

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