कैप्टन का इस्तीफा: ''भैया अब जाके मिशन पूरा हुआ है'' पढ़िए मजेदार व्यंग्य

राहुल भैया कितने मेहनती हैं ये तो पूरी दुनिया जानती है। काबिलियत पे कउनो शक है नहीं। तो बस ठान लिए थे कि पंजाब में कुछ तूफानी करना है। फिर ये एड़ी चोटी का जोर लगाये तब जाके कैप्टन साहब कुर्सी छोड़े।

Nitendra Verma
Written By Nitendra VermaPublished By Ashiki
Published on: 20 Sep 2021 3:11 AM GMT
Rahul Gandhi
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राहुल गांधी (Photo- Social Media) 

भैया अब जाके मिशन पूरा हुआ है। हमाये राहुल भैया बहुत मेहनत किये। बाकी जो थोड़ी बहुत कसर बची वो उनकी मम्मी औ दीदी ने पूरी कर दी। वरना भला ऐसे कहाँ कैप्टन साहब छोड़ने वाले थे।

राहुल भैया कितने मेहनती हैं ये तो पूरी दुनिया जानती है। काबिलियत पे कउनो शक है नहीं। तो बस ठान लिए थे कि पंजाब में कुछ तूफानी करना है। इधर गुजरात ने तो अपने मुख्यमंत्री सहित सारे के सारे मंत्री बदल डाले। बस तबसे हमारे राहुल भैया बहुत उदास थे। अईसे कईसे बदल लिए। मेहनत ये कर रहे थे कामयाब बीजेपी वाले हो गए। फिर ये एड़ी चोटी का जोर लगाये तब जाके कैप्टन साहब कुर्सी छोड़े।

वइसे हम आपको एक राज की बात बता दें। पंजाब में ये जो सब उठापटक मची पड़ी है उसके जिम्मेदार हैं कपिल शर्मा। चौंक गए??? अरे यही तो गेम है। खुद ही देखिये। जब तक सिद्धू जी कपिल शर्मा के शो में आते रहे सब आराम से चलता रहा। औ जइसे ही बाहर हुए ये शुरू हो गए। बड़े बुजुर्ग बता भी गये हैं कि खाली दिमाग शैतान का घर। और अगर दिमाग सिद्धू जी का हो तो फिर कहने ही क्या।

बस फुर्सत पाये तो दिमाग में चुल्ल मची। बोले हमाये होते हुए कैप्टन दूसरा कईसे। पहुँच गये डायरेक्ट हाईकमान के पास। इधर ये पहुंचे उधर हाईकमान की तलाश पूरी हुई। बोलीं हमाये होते हुए कैप्टन ने अपने दम पे सरकार बना ली। अपने दम पे ही सरकार बनानी है तो फिर हमाई क्या जरूरत है। औ फिर हम ही सरकार बना लेंगे तो बेचारी बाकी पार्टियां क्या करेंगी। इतना सुनना था कि सिद्धू साहब का कॉन्फिडेंस लेवल थर्मामीटर फाड़ के लपलपाने लगा।

इधर जबसे अध्यक्ष की कुर्सी संभाले तबसे तो एकदम गच्च कर दिए। कैप्टन साहब से भी नहीं रहा गया। पहुँच गये औ डायरेक्ट इस्तीफ़ा पकड़ा दिए। अभी तो केवल सीएम की कुर्सी छोड़े हैं आगे नामालूम क्या क्या छोड़ेंगे, लेकिन भैया हम राहुल भैया को बधाई देते हैं। अकेले दम इतना सब कुछ किये हैं। वरना आज के जमाने में किसको पड़ी है। 'अपना काम बनता फाड़ में जाये जनता' वाला हिसाब किताब रहता है।

खैर जो हुआ सो हुआ। परिवर्तन तो प्रकृति का नियम है। सो हमाई आज की झक्क समाप्त।

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(यह लेख एक मात्र व्यंग्य है, किसी की भावना को ठेस पहुंचना लेखक का उदेश्य बिल्कुल नहीं है। )

Ashiki

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