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डिजिटल सार्वजनिक वस्तुऐं ग्लोबल साउथ में स्वास्थ्य क्षेत्र में लायेंगी क्रांति

Digital Movement: डिजिटल स्वास्थ्य की उत्साहपूर्ण दुनिया छोटे किन्तु प्रभावपूर्ण प्रायोगिकों और उप-क्षेत्रों में स्मार्ट वियरेबल्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, वर्चुअल केयर, रिमोट मॉनिटरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा एनालिटिक्स, ब्लॉक-चेन, डेटा एक्सचेंज को सक्षम बनाने वाले उपकरण, स्टोरेज, दूरस्थ डेटा कैप्चर जैसे नवाचारों से परिपूर्ण हैं।

Mansukh Mandaviya
Published on: 14 Jun 2023 4:11 PM GMT
डिजिटल सार्वजनिक वस्तुऐं ग्लोबल साउथ में स्वास्थ्य क्षेत्र में लायेंगी क्रांति
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(Pic: Social Media)

Digital Movement: आज इंटरनेट के बिना हम एक ऐसी दुनिया की कल्पना करें, जहां कंप्यूटर नेटवर्क एक-दूसरे से जुड़े न हों। इस तरह की संपर्क रहित दुनिया में, एक देश के लोग ऐसी क्षमता के पुनः आविष्कार पर कार्य करना जारी रख सकते हैं जिसे विश्व के दूसरे भाग में वर्षों से उपयोग किया जा रहा है। लेकिन एक मानकीकृत इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) के बिना, वास्तविकता का हमारा संस्करण मूल रूप से ऐसी व्यवस्था से अलग दिखाई देगा जिसके पास कई स्थानीय क्षेत्रीय नेटवर्क तो हैं। लेकिन प्लग-इन करने के लिए कोई समान मानक इंटरनेट सुविधा नहीं है। वास्तविकता का यह वैकल्पिक संस्करण उस प्रवाह के समान है जिसका डिजिटल स्वास्थ्य क्षेत्र आज सामना कर रहा है- विघटनकारी प्रौद्योगिकियों के मुहाने पर मौजूद दुनिया इस मामले में अंतर्राष्ट्रीय नेतृत्व से एक मानकीकृत ढांचे और दिशा के साथ-साथ एक निर्णायक पहल की प्रतीक्षा कर रही है ताकि इसके माध्यम से अरबों लोगों को लाभान्वित करने की क्षमता रखने वाले नवाचार को ग्लोबल साउथ में बढ़ावा देते हुए बनाए रखना सुनिश्चित किया जा सके।

डिजिटल स्वास्थ्य की उत्साहपूर्ण दुनिया छोटे किन्तु प्रभावपूर्ण प्रायोगिकों और उप-क्षेत्रों में स्मार्ट वियरेबल्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, वर्चुअल केयर, रिमोट मॉनिटरिंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, बिग डेटा एनालिटिक्स, ब्लॉक-चेन, डेटा एक्सचेंज को सक्षम बनाने वाले उपकरण, स्टोरेज, दूरस्थ डेटा कैप्चर जैसे नवाचारों से परिपूर्ण हैं। परन्तु यह एकीकृत वैश्विक दृष्टिकोण के अभाव में एक बिखरे हुए इकोसिस्टम में उलझी हुई है। ये सारी परिस्थितियां ऐसे समय में हैं जब महामारी ने हमें पहले से ही स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में डिजिटल उपकरणों की असाधारण क्षमता का अहसास करा दिया है।

डिजिटल स्वास्थ्य को बढ़ावा देने की रूपरेखा तैयार करना- भारत में एक महान प्रयोग

हाल के दिनों में हम भारत में सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में डिजिटल उपकरणों की परिवर्तनकारी क्षमता का उपयोग करने के साथ-साथ इसका अनुभव कर चुके हैं। कोविड-19 के दौरान, कोविन और ई-संजीवनी जैसे प्लेटफॉर्म पूरी तरह से गेम-चेंजर सिद्ध हुए। इन डिजिटल उपकरणों ने न सिर्फ टीके लगाने के तरीके को ही बदल दिया बल्कि इनके माध्यम से एक अरब से अधिक लोगों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचाई गईं और इनमें वे लोग भी शामिल थे, जिन तक पहुंचना सबसे मुश्किल कार्य था।

भारत के कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम का डिजिटल आधार- कोविन, जहां एक ओर वैक्सीन की उपलब्धता और इसे लगाए जाने की व्यवस्था पर नज़र रखता है तो वहीं दूसरी ओर यह प्रत्येक लाभार्थी के कोविड-19 टीकाकरण के लिए पंजीकरण करने के अलावा वास्तविक टीकाकरण प्रक्रिया, टीकाकरण के प्रमाण के रूप में डिजिटल प्रमाणपत्र के साथ-साथ अन्य सुविधाऐं भी प्रदान करता है।

लोगों और व्यवस्था के बीच सूचना की विषमता को कम करते हुए, कोविन ने टीकाकरण अभियान को लोकतंत्रात्मक बनाते हुए यह सुनिश्चित भी किया कि सभी पात्र लाभार्थियों के लिए टीकों की उपलब्धता को सुलभ बनाया जा सके। अमीर हो या गरीब, यह सभी के लिए टीकाकरण कराने का समान तरीका था और सभी टीका लगवाने के लिए एक ही कतार में खड़े थे। इस सशक्त साधन की क्षमता को देखते हुए, हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे दुनिया के लिए एक भेंट के रूप में प्रस्तुत किया।
इसी तरह से टेलीमेडिसिन प्लेटफॉर्म ई-संजीवनी, जिसके माध्यम से लोगों को अपने घर पर ही आरामपूर्वक डॉक्टरों के साथ ऑनलाइन परामर्श की सुविधा मिली, शीघ्र ही लोकप्रिय हो गया और इसके माध्यम से 10 करोड़ से अधिक परामर्श लिए गए। इस प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक दिन में सर्वाधिक 5 लाख से अधिक परामर्श भी लिए गए।

डिजिटल रूप से सक्षम कोविड वार रूम ने लगभग वास्तविक समय पर ही हमें साक्ष्य-आधारित नीतिगत निर्णय लेने में सहायता की। एक विशेष निगरानी प्रणाली- कोविड-19 इंडिया पोर्टल ने भौगोलिक स्थिति के आधार पर न सिर्फ बीमारी बल्कि मामलों की संख्या के आधार पर राष्ट्रीय, राज्य और जिला स्तर पर मांग का आकलन करते हुए आवश्यक आपूर्ति के लिए आवश्यक वस्तु सूची की निगरानी भी की। आरोग्य सेतु, आरटी-पीसीआर ऐप और अन्य डिजिटल उपकरणों के माध्यम से हमारे देश के डेटा को नीति में परिवर्तित करने का मार्ग प्रशस्त किया जिसने हमारी कोविड-19 नीति प्रतिक्रिया को एक परिमाण के क्रम से मजबूत किया।

सार्वजनिक स्वास्थ्य में डिजिटल उपकरणों की पूरी क्षमता का उपयोग करने के लिए, भारत पहले से ही एक राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम- आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) को तैयार कर रहा है। इसके माध्यम से रोगी अपने मेडिकल रिकॉर्ड को सुरक्षित रखने और इसे प्राप्त करने के अलावा उचित उपचार और उपचार उपरान्त की प्रक्रिया को सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं के साथ साझा कर सकते हैं। यह रोगियों को स्वास्थ्य सुविधाओं और सेवा प्रदाताओं के बारे में सटीक जानकारी दिलाने में मदद करता है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम नेतृत्व में भारत दुनिया के लिए, विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में समान डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के लिए हमारे शिक्षण और संसाधनों को साझा करने के लिए तैयार है ताकि हमारे अनुभव उन्हें डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के लिए किए जाने वाले प्रयासों में मदद कर सकें। विश्व के इन क्षेत्रों में सुविधाओं से वंचित लोग अत्याधुनिक डिजिटल समाधानों और नवाचारों का लाभ प्राप्त कर सकते हैं और इसे सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाव कवरेज का सपना साकार हो सकता है।

वैश्विक डिजिटल स्वास्थ्य इकोसिस्टम क्या है?

कॉपीराइट व्यवस्थाओं और स्वामित्व प्रणालियों ने डिजिटल समाधानों तक पहुंच को अवरुद्ध कर दिया है। अधिकांश परिवर्तनकारी डिजिटल समाधान आसानी से उपलब्ध नहीं हैं, क्योंकि वे भाषा, सामग्री और उन तक पहुंचने के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचे के संदर्भ में असमान रूप से वितरित हैं।
प्रासंगिक डिजिटल सार्वजनिक सामान या ओपन-सोर्स समाधान मौजूद होने पर भी, उनकी उपयोगिता सीमित है क्योंकि वे एक मंच, डेटा और नीति से बंधे हैं जिसके लिए कोई समान वैश्विक मानक नहीं हैं। इसके अलावा, डिजिटल स्वास्थ्य के लिए कोई व्यापक वैश्विक प्रशासनिक प्रारूप भी नहीं है जो विभिन्न प्रणालियों में पारस्परिकता का ध्यान रख सके।

डिजिटल स्वास्थ्य के संदर्भ में वैश्विक मानकों को निर्धारित करने के लिए कई स्वतंत्र प्रयास भी जारी हैं, लेकिन ये पहल एकाधिकार के तौर पर कार्य कर रही हैं, और लागू होने के लिए किसी भी समर्थन के बिना काफी हद तक असंगठित हैं। ये चुनौतियाँ अवसरों में बदल सकती हैं यदि हम एक वैश्विक समुदाय के रूप में एक प्रभावी एकल मंच पर सभी प्रयासों को समान रूप से साथ रखने का संकल्प कर सकते हैं। इस मामले में जी-20 प्रभावी रूप से डिजिटल स्वास्थ्य हेतु भविष्य के लिए दृष्टिकोण पर विचार करने और इसका निर्माण करने के लिए एक शक्तिशाली मंच के रूप में तैयार है।

जी-20 में भारत की अध्यक्षता एक डिजिटल स्वास्थ्य सफलता के लिए प्रयासरत

कल्पना कीजिए कि अगर हम मानवता के लिए डिजिटल स्वास्थ्य के लिए एक प्रभावी वैश्विक प्रारूप बनाते हैं और उसे लागू करते हैं तो इस असाधारण क्षमता को सबके लिए समान रूप से उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए हमें सामूहिक रूप से वर्तमान में जारी विभिन्न प्रयासों को डिजिटल स्वास्थ्य पर एक समान वैश्विक पहल में परिवर्तित करने के साथ-साथ एक शासन ढांचे को संस्थागत बनाने, एक समान प्रोटोकॉल पर सहयोग करने, डिजिटल सार्वजनिक वस्तुओं के रूप में स्वास्थ्य सेवा में आशाजनक डिजिटल समाधानों की पहचान करने और उनका विस्तार करने, विभिन्न विषयों और क्षेत्रों से सभी प्रासंगिक हितधारकों को एक साथ लाने के लिए संस्थाओं को स्थापित करने के अलावा वैश्विक स्वास्थ्य डेटा विनिमय के लिए विश्वास निर्माण और ऐसी पहलों को वित्तपोषित करने के तरीकों को खोजने की आवश्यकता है जैसा कि दशकों पहले इंटरनेट के लिए किया गया था।

जी-20 की अध्यक्षता के अंग के रूप में, हम भारत में इनमें से कुछ मुद्दों पर आम सहमति बनाने और उन्हें संचालित करने के लिए एक व्यवहार्य व्यवस्था के साथ एक रोडमैप बनाने का प्रयास करेंगे, ताकि डिजिटल स्वास्थ्य की पूरी क्षमता को ग्लोबल साउथ देशों सहित पूरी दुनिया के लिए उपयोग किया जा सके। डिजिटल स्वास्थ्य में सफलता की गाथा लिखने के लिए हमें अपने संकीर्ण हितों से परे सामूहिक कल्याण को महत्व देना होगा और यह समझना होगा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल कवरेज के मामले में 'ब्रह्मांड' हमारे अपने देशों की सीमा से कहीं अधिक विस्तारित है। संक्षेप में, जी-20 में हमारी इच्छा और कार्रवाई 'वसुधैव कुटुम्बकम' की भावपूर्ण प्रेरणा से जुड़ी है जिसका अर्थ है कि ब्रह्मांड एक परिवार है और उस परिवार के लिए, ब्रह्मांड के लिए किसी भी कीमत पर स्वास्थ्य की रक्षा करना हमारी जिम्मेदारी है।
(लेखक भारत सरकार में केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण, रसायन और उर्वरक मंत्री हैं। )

Mansukh Mandaviya

Mansukh Mandaviya

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