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Changes After Modi: मोदी के बाद हुए बदलाव, देखें ये खास रिपोर्ट...

Changes After Modi:: मोदी के आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था, क़ानून व्यवस्था, वैश्विक रिश्ते , सरकार के कामकाज और राजनैतिक जीत हार में क्या क्या हुआ, हम इस बारे में बात नहीं करेंगे। हमारी कोशिश उन छोटे बड़े बदलावों को सामने लाने की है, जो हुए तो, पर अनदेखे रह गये। या सुर्ख़ियाँ हासिल नहीं कर सके।

Yogesh Mishra
Published on: 30 May 2023 12:27 PM IST (Updated on: 31 May 2023 12:54 PM IST)

Changes After Modi: राजनीति, समाज के सभी अंगों उपांगो की ‘ड्राइविंग फ़ोर्स’ है। यही वजह है कि जब जब राजनीति बदली है तब तब समाज के सभी अंग उपांग भी बदले हैं। कई बार यह बदलाव धीरे धीरे परिलक्षित होता है। कई बार यह बदलाव बहुत स्पीड में दिखता है। यह निर्भर करता है कि केवल सरकार बदली है या फिर विचारधारा भी बदली है। भारत में सरकारें बदलीं, विचारधारा भी बदली पर ये बदलाव अस्थाई रहे। लेकिन पहली बार लग रहा है कि बदलाव ने जड़ें जमा ली हैं। मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल को पूरा कर तीसरे की ओर चल निकली हैं। चुनाव में भले एक साल हो पर मोदी सरकार फिर लौट कर नहीं आयेगी, इसे दावे से कोई नहीं कह सकता है। कोई यह भी नहीं कह सकता है कि कौन सरकार आयेगी।

मोदी के आने के बाद हमारी अर्थव्यवस्था, क़ानून व्यवस्था, वैश्विक रिश्ते , सरकार के कामकाज और राजनैतिक जीत हार में क्या क्या हुआ, हम इस बारे में बात नहीं करेंगे। हमारी कोशिश उन छोटे बड़े बदलावों को सामने लाने की है, जो हुए तो, पर अनदेखे रह गये। या सुर्ख़ियाँ हासिल नहीं कर सके।

पहली बार धर्मनिरपेक्षता "टू वे"

बीते बरसों में एक बड़ा बदलाव ये हुआ है कि पहली बार धर्मनिरपेक्षता "टू वे" हुई है। यानी अल्पसंख्यक अब हिंदुओं के पर्व व त्योहारों पर शुभकामनाएँ देने लगे है। पहले केवल हिंदू ही ईद बक़रीद पर सेंवई खाने जाते थे। अब भी अल्पसंख्यक मित्र - सहयोगी होली दीवाली पर मिठाई और गुझिया खाने आते तो नहीं है, पर हर छोटे बड़े हिंदू उत्सव पर सोशल मीडिया पर उनकी उपस्थिति दिखती है। इसी तरह लव जेहाद थमा है। राजनीतिक रोज़ा अफ्तार बंद हुआ है।

मोदी सरकार के 9 साल का सबसे बड़ा बदलाव यह है कि आज बहुसंख्यक अपने आत्मसम्मान के प्रति मुखर हैं। वो सवाल करते हैं। उन्हें लगता है कि आज उनकी उठाई बात की सुनवाई हो सकती है। रोड बन्द कर भीड़ लगाकर नमाज पढ़ना या फिर लाउडस्पीकर की आवाज की तेजी, सब पर सवाल किए जा रहे हैं। आज सोशल मीडिया पर कोई तुष्टीकरण की बात करता है तो वो ट्रोल होता है। हिंदू देवी देवताओं के सम्मान के खिलाफ काम करने पर बड़ी से बड़ी कंपनियों को माफी मांगनी पड़ रही है। विदेशों में जब भी हिंदू मंदिरों या किसी हिंदू पर हमला होता है तो भारतीय समुदाय मुखर होता है। नेता मंदिर मंदिर घूमने लगे हैं। कोई हनुमान चालीसा, कोई चंडी पाठ के बहाने खुद को हिंदू साबित करने में जुटा दिखता है।

बड़े परिवर्तनों में से एक यह है कि बिचौलियों की दुकान बंद हो गयी। राजीव गांधी ने खुद ही कहा था कि सरकारी योजनाओं का सिर्फ पंद्रह प्रतिशत ही लोगों तक पहुंच पाता है। आज एक रुपए का पूरा सौ पैसा लोगों तक पहुंच रहा है। मोदी ने मिनिमम ह्युमन इंटरफेस से योजनाओं की लीकेज को कम किया है।

मोदी सरकार में जनता की सहूलियतें बढीं

तरसाने की प्रवृति की जगह संतृप्ति की संस्कृति की शुरुआत हुई है। पहले भारत की जनता को हर चीज बहुत मुश्किल और मिन्नत से मिलती थी। सरकार और उसके कारिंदों को खुशामद करके मिलती थी। मकान की योजना थी तो प्रधान जी के चक्कर लगाओ, बिजली तो जब आएगी तब आएगी। पानी तो भगवान भरोसे छोड़ दिया गया था। गैस का कोई पूछने वाला था नहीं। मोदी ने गरीब को घर, बिजली, गैस से संतृप्त किया है। पानी को लेकर पूरे देश में नल से जल योजना चल रही है।

मोदी सरकार गरीबों के लिए काम करती है।रोटी कपड़ा और मकान की बात करें तो मोदी सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना और कोरोना के दौरान और उसके बाद भी गरीब अन्न कल्याण योजना के जरिए बड़ी चिंताएं खत्म कर दीं। गरीबों को मिला मुफ्त राशन कोरोना में वैक्सीन से बड़ी संजीवनी का काम किया है।

मोदी सरकार से पहले गरीब की सबसे बड़ी समस्या उसके परिवार की बीमारी होती थी। बीमारी में घर बिकना तो कहावत सी बन गयी थी। इस डर से इलाज ना होना, किसी झोलाछाप डाक्टर से इलाज या इलाज के लिए कर्जे की रकम का बोझ होना हर गांव की कहानी थी। आज आयुष्मान भारत और जनऔषधि केंद्रों ने इस कहानी को बदल दिया है। गरीबों की सबसे बड़ी चिंता खत्म की है।

विदेश में भी भारतीयों का बढ़ा आत्मविश्वास

विदेश में भी भारतीयों का बढ़ा हुआ आत्मविश्वास एक बहुत बड़ा बदलाव है। आज हर भारतीय को पता है कि अगर उसके साथ विदेश में कुछ होता है तो भारत सरकार उसके साथ खड़ी है। स्वर्गीय सुषमा स्वराज ने जिस पेड़ को पानी देकर बड़ा किया था उसे मोदी सरकार ने वटवृक्ष बना दिया है। यमन से लेकर अफगानिस्तान और यूक्रेन से लेकर सूडान तक हर जगह से संकट के समय भारत के लोगों को वापस लाया गया है। वरना खाड़ी देशों से मौत के बाद भी शव लाने में भी भारत में लोग के तरसने की खबरें आम होती हैं।

पीएम किसान योजना की इस रकम ने किसानों को बीज और छोटे खर्चों के लिए साहूकार की जकड़ से मुक्त कराया है। आज बड़े से बड़े सम्मेलन में हिंदी में बोलने में सम्मान समझा जाता है। भारतीय भाषाओं को लेकर उत्तर भारत में जो हिचक थी वो अब बहुत कम हो गयी है। भाषाओं का झगड़ा दक्षिण भारत में दिखता है पर उत्तर भारत में दक्षिण भारतीय भाषाओं के प्रति सम्मान बढ़ा है। उत्तर भारत के कई स्कूलों में अब एक दक्षिण भारतीय भाषा पढ़ाई भी जाने लगी हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना से ग्रामीण महिलाओं का रुतबा बढ़ा

बदलाव ने युवा लड़िकयों, ग्रामीण महिलाओं, बच्चियों में आत्मविश्वास का संचार किया है। प्रधानमंत्री आवास योजना में महिलाओं के नाम घर, मुद्रा योजना में महिला उद्यमियों को वरीयता, बेटियों का सैनिक स्कूल में दाखिला, युवतियों के लिए सेना के हर दरवाजे खोलना, मैटरनिटी लीव को बढाकर 26 हफ्ते की करना और ऐसे बहुत से काम हैं जिसने ना सिर्फ महिला आत्मविश्वास को बढ़ावा दिया है बल्कि महिला नेतृत्व में विकास की राह भी खोल दी है।

मोदी लंबे समय तक अस्पृश्य रहे। सो राजनीति से अस्पृश्यता ख़त्म की। सितारा होटलों में गुड मार्निंग, गुड नाइट की जगह "नमस्ते" को जगह मिली। मोदी के आने के बाद ईलाकाई हीरो को राष्ट्रीय पहचान मिली। इसके लिए पद्म पुरस्कारों को चयन में बदलाव व मन की बात कार्यक्रम का ज़िक्र ज़रूरी है। प्रधानमंत्री का पद भी वार्ता से उबर कर संवाद तक आया। रेडियो और दूरदर्शन को प्रासंगिक बनाया। पश्चिम जाकर योगा हो चुके योग को वापस लाये। नेहरू और अंबेडकर के अलावा भी महापुरुषों व पूर्वजों को पहचान दी। कुंभ और सेंट्रल विस्टा से पता चलता है कि श्रम को सम्मान मिला।

मोदी भारत के भाग्यशाली नेता

मोदी अगर राजनीति में नहीं आते तो गुजराती के अच्छे साहित्यकार होते। हमने उनकी कहानियों को पढ़ने को बाद यह पाया है। ख़ाली समय में अपनी पतंग बाज़ी के शौक़ को परवान चढ़ाते। सियासत के आसमान की तरह वे पतंगबाजी में भी अच्छे पतंगबाजों की कन्नियां काटते हैं। मोदी को बचपन में नरिया कहकर बुलाया जाता था। मोदी भारत के भाग्यशाली नेताओं में हैं। उन्हें कभी टिकट नहीं माँगना पड़ा। सीधे मुख्यमंत्री व सीधे प्रधानमंत्री बन गये। सियासत में रिमोट संस्कृति को ख़त्म किया। वह एक मात्र केंद्र हैं। हर चुनाव में खुद को दांव लगाने के चलते अपनी पार्टी में एक से सौ तक मोदी ही मोदी हैं। किसी भी हथियार को बूमरैंग कराने में माहिर हैं।

मोदी ने राजनीति में नेताओं के पाँच साल लगातार जनता के बीच जाने की प्रवृत्ति जगाई। विपक्ष के लिए कोई स्पेस नहीं छोड़ा। बहुसंख्यक ही चाहें तो बहुमत की सरकार बना सकते हैं, यह प्रतिमान स्थापित किया।कार्यक्रमों में बुके या माला की जगह किताब या एक फूल देने के चलन को बढ़ाया। लोगों में अपने धर्म व संस्कृति के प्रति झिझक व हीनता का भाव स्वयमेव ख़त्म हुआ। नौजवानों में रोज़गार पाने की जगह रोज़गार देने की प्रवृत्ति बलवती की। धर्म की राजनीति व राजनीति का धर्म का खेल तो सभी दल पर्दे के पीछे खलते थे। बीते नौ सालों में पर्दा हटा दिया गया।

मोदी की सबसे बड़ी सफलता

देश, समाज और नागरिकों में विश्वास, आत्मसम्मान, एम्पावरमेंट और जागरूकता का संचार - मोदी की सबसे बड़ी सफलता है। दुनिया में सभ्यताएं और राष्ट्र इसी तरह मजबूत हुए हैं, सम्पन्न हुए हैं और गौरवशाली हुए हैं - इतिहास इसका गवाह है। भारत की बीते 9 बरस की यात्रा मात्र एक सामान्य दौर नहीं है बल्कि एक मजबूत राष्ट्र के निर्माण की विस्मयकारी गाथा है। और ये यात्रा अभी और भी दूर तक जानी है और एक स्वर्णिम इतिहास बनना बाकी है। जो कभी स्वप्न लगता है वह साकार होता साफ दिखाई दे रहा है।

( लेखक पत्रकार हैं । दैनिक पूर्वोदय से साभार ।)

Yogesh Mishra

Yogesh Mishra

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