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China Covid Protest: चीन में बगावत के संकेत

China Covid Protest: चीन के लगभग 10 शहरों के विश्वविद्यालयों और सड़कों पर उनके खिलाफ नारे लग रहे हैं। प्रदर्शन कोरोना महामारी के दौरान जारी प्रतिबंधों के खिलाफ हो रहे हैं।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 29 Nov 2022 12:16 PM IST
China Covid Protest
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चीन में बगावत के संकेत (फोटो: सोशल मीडिया )

China Covid Protest: चीन के राष्ट्रपति शी चिन फिंग और उनकी कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ आजकल जिस तरह के आंदोलन जगह-जगह हो रहे हैं, वे 1989 में थ्यानमेन चौराहे पर हुए भयंकर नरसंहार की याद ताजा कर रहे हैं। पिछले 33 साल में इतने जबर्दस्त प्रदर्शन चीन में दुबारा नहीं हुए। ये प्रदर्शन तब हो रहे हैं जबकि यह माना जा रहा है कि माओत्से तुंग के बाद शी चीन फिंग सबसे अधिक लोकप्रिय और शक्तिशाली नेता हैं। अभी-अभी उन्होंने अपने आपको तीसरी बार राष्ट्रपति घोषित करवा लिया है ।

लेकिन चीन के लगभग 10 शहरों के विश्वविद्यालयों और सड़कों पर उनके खिलाफ नारे लग रहे हैं। ऐसा क्यों हो रहा है? सारे अखबार और टीवी चैनल मानकर चल रहे हैं कि ये प्रदर्शन कोरोना महामारी के दौरान जारी प्रतिबंधों के खिलाफ हो रहे हैं। मोटे तौर पर यह बात सही है। चीन में कोरोना की शुरुआत हुई और वह सारी दुनिया में फैल गया लेकिन दुनिया से तो वह विदा हो लिया किंतु चीन में उसका प्रकोप अभी तक जारी है।

ताजा सूचना के मुताबिक 40 हजार लोग अभी भी उस महामारी से पीड़ित पाए गए हैं। चीनी सरकार ने इस महामारी का मुकाबला करने के लिए दफ्तरों, बाजारों, कारखानों, स्कूल-कालेजों और लगभग हर जगह कड़े प्रतिबंध थोप रखे हैं। उनकी वजह से बेरोजगारी बढ़ी है, उत्पादन घटा है और मानसिक बीमारियां फैल रही हैं। इसीलिए लोग उन प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रहे हैं। उन्हें हटाने की मांग कर रहे हैं। लेकिन वे अब इससे भी ज्यादा आगे बढ़ गए हैं। वे नारे लगा रहे हैं कि शी चिन फिंग तुम गद्दी छोड़ो। इसका कारण क्या है? वह कारण महामारी से भी अधिक गहरा है। वह है- चीनी लोगों का तानाशाही से तंग होना।

हान जाति के चीनियों के विरुद्ध लंबे समय से आंदोलन

वे अब लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं। सोश्यल मीडिया के जरिए यह संदेश घर-घर पहुंच रहा है। इस मांग का सबसे ज्यादा असर शिनच्यांग (सिंक्यांग) प्रांत में देखने को मिल रहा है। उसकी राजधानी उरूमची में 10 लोगों की जान जा चुकी है। शिनच्यांग में उइगर मुसलमान रहते हैं। उनकी जिंदगी चीनी हान मालिकों के सामने गुलामों की तरह गुजरती है। इस प्रांत में लगभग 30 साल पहले मैं काफी लोगों से मिल चुका हूं। वहां हान जाति के चीनियों के विरुद्ध लंबे समय से आंदोलन चल रहा है। उइगर मुसलमानों के इस बगावती तेवर को काबू करने के लिए लगभग 10 लाख मुसलमानों को सरकार ने यातना-शिविरों में डाल रखा है। गैर-हान तो चीनी सरकार के विरुद्ध हैं ही, अब हान चीनी भी खुले-आम चीन में तानाशाही के खात्मे की मांग कर रहे हैं। लेकिन चीनी सरकार का कहना है कि यदि वह तालाबंदी खोल देगी तो 80 साल से ज्यादा उम्र के लगभग 50 करोड़ लोगों की जिंदगी खतरे में पड़ जाएगी। यदि महामारी ने विकराल रूप धारण कर लिया तो लाखों लोग मौत के घाट उतर जाएंगे। दोनों पक्षों के अपने-अपने तर्क हैं लेकिन यह आंदोलन बेकाबू हो गया तो कोई आश्चर्य नहीं कि चीन का भी, रूस की तरह, शायद कम्युनिस्ट पार्टी से छुटकारा हो जाए।



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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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