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चीन से बिदकता पाकिस्तान
China Pakistan: अभी-अभी कुछ संकेत ऐसे मिले हैं, जिनसे लगता है कि पाकिस्तान की विदेश नीति में बड़े बुनियादी परिवर्तन हो सकते हैं।
China Pakistan: अभी-अभी कुछ संकेत ऐसे मिले हैं, जिनसे लगता है कि पाकिस्तान की विदेश नीति में बड़े बुनियादी परिवर्तन हो सकते हैं। इन परिवर्तनों का लाभ उठाकर भारत और पाकिस्तान अपने आपसी संबंध काफी सुधार सकते हैं। जिस चीन से पाकिस्तान अपनी 'इस्पाती दोस्ती' का दावा करता रहा है, वह इस्पात अब पिघलता दिखाई पड़ रहा है। जो चीन 5 लाख करोड़ रु. खर्च करके पाकिस्तान में तरह-तरह के निर्माण-कार्य कर रहा था, उस प्रायोजना का भविष्य खटाई में पड़ गया है।
चीन अपने शिनच्यांग प्रांत से पाकिस्तान के ग्वादर नामक बंदरगाह तक 1153 किमी लंबी सड़क बना रहा था ताकि अरब और अफ्रीकी देशों तक पहुंचने का उसे सस्ता और सुगम मार्ग मिल जाए लेकिन अब शाहबाज शरीफ की नई सरकार ने इस पाक-चीन गलियारे की योजना को क्रियान्वित करनेवाले प्राधिकरण को भंग कर दिया है। इसे भंग करने के कई कारण बताए जा रहे हैं। एक तो बलूचिस्तान में से इस गलियारे की लंबाई 870 किमी है, जो कि सबसे ज्यादा है। बलूच लोग इसके बिल्कुल खिलाफ हैं।
उन्होंने दर्जनों चीनी कामगरों को मार डाला है। दूसरा, इसने बहुत वक्त खींच लिया है। इसके कई काम अधूरे पड़े हुए हैं। तीसरा कारण यह भी है कि पाकिस्तान अपने हिस्से का पैसा लगाने में बेहद हीले-हवाले कर रहा है। उसने 2000 मेगावाट के बिजलीघर में लगनेवाले 30 हजार करोड़ रु. का भुगतान चीनी कंपनी को नहीं किया है।
इसी तरह शिनच्यांग से ग्वादर तक रेल्वे लाइन डालने का 55 हजार करोड़ रु. की प्रायोजना भी खटाई में पड़ गई है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इतनी खराब है कि वह कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों और मालदार मुस्लिम राष्ट्रों के आगे अपनी झोली फैलाने के लिए मजबूर है।
ऐसी स्थिति में वह चीन से अगर विमुख होता है तो उसके पास अमेरिका की शरण में जाने के अलावा कोई चारा नहीं है। इस वक्त तो रूस और चीन दोनों की ही दाल पतली हो रही है। एक की यूक्रेन के कारण और दूसरे की कोरोना के कारण ! अमेरिका तो पाकिस्तान का सबसे बड़ा मददगार रहा है।
यदि शाहबाज शरीफ थोड़ी हिम्मत दिखाएं और नई पहल करें तो पाकिस्तान का उद्धार हो सकता है। यदि अमेरिका से उसके संबंध बेहतर होंगे तो भारत के साथ वे अपने आप सुधरेंगे। अमेरिका इस वक्त चीन से बेहद खफा है। उसके इस्पाती दोस्त पाकिस्तान को वह अपनी हथेली पर उठा लेगा। शाहबाज चाहें तो भारत के साथ बंद हुए सभी रास्तों को खोलने की भी कोशिश कर सकते हैं। अमेरिका अपने आप उसके लिए अपनी भुजाएं फैला देगा।