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CM Pushkar Singh Dhami: उपमा न कोई धामी सम
CM Pushkar Singh Dhami: 13 तारीख को आये कर्नााटक के चुनाव नतीजों ने सबको चौंकाने का काम किया है। तमाम विश्लेषण हो रहे है। जाहिर सी बात है कि कोई भी प्रमुख दल हारने के लिए तो चुनाव नहीं लड़ता है फिर भी एक जीतता है और दूसरा हारता है।
CM Pushkar Singh Dhami: 13 तारीख को आये कर्नााटक के चुनाव नतीजों ने सबको चौंकाने का काम किया है। तमाम विश्लेषण हो रहे है। जाहिर सी बात है कि कोई भी प्रमुख दल हारने के लिए तो चुनाव नहीं लड़ता है फिर भी एक जीतता है और दूसरा हारता है। कांटे का मुकाबला हो तब बात कुछ और होती है लेकिन यदि उपरोक्त बात चुनाव परिणाम में न दिखे तो सोचने पर मजबूर करती है। कहावत भी है कि जीत के सौ बाप होते हैं लेकिन हार अनाथ होती है। देश के सभी विश्लेषक कर्नाटक विधानसभा के आये चुनाव परिणाम पर एक मत है कि यदि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी चुनाव में इतनी कड़ी मेहनत न करते तो परिणाम राज्य भाजपा के लिए और खराब होते। प्रधानमंत्री मोदी जी के कारण बीजेपी का वोट प्रतिशत 9 प्रतिशत बढ़ा है। हार व जीत के बीच भी मार्जिन मोदी जी के ही कारण कम रहा है।
एक बार भाजपा ने उत्तर प्रदेश में विधानसभा के एक ही कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बदले थे। उत्तराखण्ड में भी बीजेपी ने विधानसभा के एक ही कार्यकाल में तीन मुख्यमंत्री बदले थे। कर्नाटक में भी एक ही कार्यकाल में बीजेपी ने तीन मुख्यमंत्री बनाये। उत्तराखण्ड को छोड़ दोनों प्रदेशों में भाजपा के प्रयोग सफल नहीं हो सके। उत्तर प्रदेश की बात 22 वर्ष पुरानी है। तब कल्याण सिंह जी मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उनकी जगह राम प्रकाश गुप्ता जी को भाजपा ने उ0प्र0 का मुख्यमंत्री बनाया था। 1 वर्ष बाद ही राम प्रकाश गुप्ता जी की जगह राजनाथ सिंह जी को मुख्यमंत्री बनाया था।
श्री सिंह वर्तमान में भारत के रक्षा मंत्री हैं। भारत सरकार के पूर्व गृहमंत्री भी रह चुके हैं। उ0प्र0 में भाजपा का मुख्यमंत्री बदलने का प्रयोग सफल नहीं हुआ था। उ0प्र0 में भाजपा-सपा-बसपा किसी भी दल को बहुमत नहीं मिला था। प्रदेश में आगे चलकर भाजपा व बसपा की मिली जुली सरकार बनी थी लेकिन वह सरकार भी अधिक समय तक नहीं चल सकी थी। मायावती ने अचानक इस्तीफा देकर सबको चौंका दिया था। केन्द्र में एन0डी0ए0 की सरकार थी।
पुष्कर सिंह धामी कम समय में ही जनता के दिलों में जगह बना ली
बात उत्तराखण्ड की करें तो वहां भाजपा ने त्रिवेन्द्र सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया था। 3 वर्ष बाद भाजपा को वहां अपना मुख्यमंत्री बदलना पड़ा था। त्रिवेन्द्र सिंह रावत की जगह तीर्थ सिंह रावत (सांसद) को भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाया लेकिन कुछ ही समय बाद भाजपा को फिर से उत्तराखण्ड में मुख्यमंत्री बदलना पड़ा। इस बार पार्टी ने तीरथ सिंह रावत की जगह अपने विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाया। धामी जी के पास बहुत कम समय था क्योंकि विधान सभा के चुनाव होने थे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कम समय में ही अधिक मेहनत कर जनता के दिलों में जगह बना ली।
कर्नाटक व हिमांचल की तरह की उत्तराखण्ड राज्य में भी सरकार रिपीट न होने का चलन था। इस बात से भी मुख्यमंत्री धामी जी को निपटना था क्योंकि चलन ही ऐसा था। कांग्रेस के कद्दावर नेता कई बार के प्रदेश के मुख्यमंत्री व केन्द्र में मंत्री रहे हरीश रावत चैन की बंशी बजा रहे थे कि इस चलन के कारण वह आसानी से इस बार पक्का मुख्यमंत्री बन ही जायेंगे। सोनिया गांधी, राहुल गांधी व प्रियंका वाड्रा भी रह कर बयान दे रही थीं कि हिम्मत है तो भाजपा उत्तराखण्ड में जीत के दिखाये। पूर्व मुख्यमंत्री कांग्रेस हरीश रावत पंजाब प्रान्त के कांग्रेस के प्रभारी थे। पंजाब में रावत जी कैप्टन बनाम सिद्धू के खेल का मजा ले रहे थे। प्रभारी यानि रैफरी की भूमिका में थे। कभी सिद्धू को नो बाल कह कर रोक देते थे, कभी कैप्टन को नॉट आउट कह कर और खेलने का अवसर देते रहते थे।
उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री धामी कम समय में ही प्रदेश की जनता के प्रिय बनकर उभरे। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हरीश रावत का बेहद कठिन कैच आसानी से लपक लिया। राजनीति की चुनावी पिच पर अंतिम बचे चन्द ओवर्स में बैटिंग करने उतरे मुख्यमंत्री धामी ने दे दनादन शाट लगाकर अपनी टीम की जीत पक्की कर दी। उत्तराखण्ड विधान सभा चुनाव में भाजपा की प्रचण्ड जीत बताती है कि युवा मुख्यमंत्री धामी ने अन्तिम ओवर की हर गेंद पर सिक्सर ही जड़े थे और सेंचुरी बना कर नॉट आउट भी रहे थे। सरकार रिपीट होने का चलन भी धामी ने सूझबूझ भरी बैटिंग, फील्डिंग व बोलिंग के कारण बदल डाला। भाजपा का मुख्यमंत्री बदलने का प्रयोग शत-प्रतिशत सही साबित हुआ।]
क्रिकेट में धौनी और राजनीति में धामी
क्रिकेट में धौनी और राजनीति में धामी अपनी जीत के लिए सफल कप्तान बनकर उभरे हैं। हारी हुई बाजी को जीत कर इन्होंने समय पर अपना लोहा मनवाया है। अब बात कर्नाटक की करें तो वहां मुख्यमंत्री बदलने का प्रयोग कारण कोई भी हो सफल नहीं हो पाया। राज्य सरकार पर कांग्रेस के आरोपों का काउन्टर भी राज्य सरकार का जनता के भरोसे पर खरा नहीं उतर पाया। प्रधानमंत्री मोदी जी की तरह ही यदि राज्य सरकार भी समय रहते मेहनत करती तो सम्भवतः परिणाम में परिवर्तन हो जाता। चुनाव में हार जीत तो लगी रहती है। उसका विश्लेषण भी चलता रहता है। भारतीय राजनीति के भीष्म पितामह कहे जाने वाले स्व0 पं0 अटल बिहारी बाजपेयी ने इसी हार जीत पर अटल शब्दों में कहा था कि भाजपा चुनाव लड़ती है या तो जीतती है या सीखती है।
मुख्यमंत्री बदलने तथा कम समय में विशाल जीत व सरकार रिपीट न होने के चलन को तोड़ने में इस समय उत्तराखण्ड के युवा मुख्यमंत्री धामी के समान कोई दूसरी उपमा नहीं है।
लेखक
(नरेन्द्र सिंह राणा)
जाने-माने वरिष्ठ स्तम्भकार व राजनीतिक
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