×

TRENDING TAGS :

Aaj Ka Rashifal

योगी का राजतिलक: संयोग का संगम और एक करिश्माई व्यक्तित्व की अजेय यात्रा

जहां तक योगी के जीवन यात्रा की कहानी का प्रश्न है, वह किसी फ़िल्मी कथानक से कम नहीं है। महज़ 22 साल की उम्र में परिवार त्यागकर वह योगी स्वरूप में आ गए। 1993 से अपना केंद्र गोरखपुर बना लिया और मंदिर में सेवाभाव ने उन्हें 15 फरवरी 1994 को गोरक्षपीठाधीश्वर के उत्तराधिकारी की पदवी तक पहुंचा दिया।

zafar
Published on: 18 March 2017 9:17 PM IST
योगी का राजतिलक: संयोग का संगम और एक करिश्माई व्यक्तित्व की अजेय यात्रा
X
योगी का राजतिलक: संयोग का संगम और एक करिश्माई व्यक्तित्व की अजेय यात्रा

eye creamy posts योगेश मिश्र

लखनऊ: कहावत है, ईश्वर जब देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। आज यही कहावत उत्तराखंड के लिए सच साबित हो रही है। केवल कुछ ही घंटों के अंतराल पर उत्तराखंड के दो नेताओं को मुख्यमंत्री की कुर्सी हासिल हुई है। शनिवार को उत्तराखंड में त्रिदेव सिंह रावत ने मुख्यमंत्री की शपथ ली। इसी दिन उत्तर प्रदेश के लिए उसी उत्तराखंड के सपूत योगी आदित्यनाथ के नाम की घोषणा मुख्यमंत्री पद के लिए की गयी।

यह भी संयोग ही कहा जाएगा कि ये दोनों नेता एक ही बिरादरी से आते हैं। योगी आदित्यनाथ का मूल नाम अजय सिंह बिष्ट है। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के दोनों घोषित नाम विधान सभा के सदस्य नहीं हैं।

अजेय भाव

आज के आदित्यनाथ वही हैं जिनका जन्म पौड़ी जिले के पंचेर गांव में नंद सिंह बिष्ट के घर 5 जून 1972 को हुआ था। 14 सितंबर 2015 को उनके जीवन में नया अध्याय जुड़ गया। महंत अवेद्यनाथ के समाधिस्थ होने के साथ ही बेशुमार लोगों और संत समाज के गणमान्य लोगों के बीच उन्होंने गोरक्षपीठाधीश्वर का दायित्व संभाल लिया। वैसे उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत छात्र जीवन से ही हो गई थी।

गढ़वाल विश्वविद्यालय से बीएससी की डिग्री हासिल करने तक उनकी गिनती अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रखर कार्यकर्ताओं के रूप में होने लगी थी। नाम के अनुरूप बाल्यावस्था से हर काम की तेजी से अजय ने न सिर्फ अपने अजेयभाव का प्रदर्शन किया बल्कि कम उम्र में संत पंथ को अपनाकर न सिर्फ आदित्यनाथ बन गए बल्कि वोटों की शक्ल में आम लोगों का दिल जीतकर 1998 में सबसे कम उम्र सांसद बनने का गौरव भी हासिल किया।

राजनीतिक सूझ

जहां तक योगी के जीवन यात्रा की कहानी का प्रश्न है, वह किसी फ़िल्मी कथानक से कम नहीं है। महज़ 22 साल की उम्र में परिवार त्यागकर वह योगी स्वरूप में आ गए। 1993 से अपना केंद्र गोरखपुर बना लिया और गोरखनाथ मंदिर में निरंतर बढ़ते सेवाभाव ने उन्हें 15 फरवरी 1994 को गोरक्षपीठाधीश्वर के उत्तराधिकारी की पदवी तक पहुंचा दिया। इसके बाद 1998 में जब फिर लोकसभा के चुनाव की घोषणा हुई तो गोरक्षपीठाधीश्वर ने अपनी सियासी विरासत भी उन्हें सौंपते हुए चुनाव लड़ाने का फैसला लिया क्योकि पूर्व महंत दिग्विजय नाथ और अवेद्यनाथ शोभा बढ़ा चुके थे।

इस चुनाव में जीतकर उन्हें सबसे कम उम्र का सांसद बनने का गौरव हासिल हुआ। उसके बाद से वह लगातार पांचवीं बार चुनाव जीतकर बाल्यावस्था के अपने नाम के अनुरूप खुद के अजेय भाव को प्रदर्शित कर रहे हैं। एक कार्यक्रम के दौरान उनके भाषण ने ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ को प्रभावित किया और उनके आह्वान पर रामजन्मभूमि आंदोलन से जुड़ गए। गतिविधियों के साथ काम के प्रति समर्पण का भाव बढ़ता देख महंत अवेद्यनाथ ने उन्हें अपना शिष्य बनाने पर हामी भर दी। 1996 के लोकसभा चुनाव में जब महंत अवेद्यनाथ गोरखपुर संसदीय सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में थे तो चुनाव का कुशल संचालन करके उन्होंने अपनी राजनीतिक सूझ का खास परिचय दिया।

उत्तराधिकार

जब सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश जेहाद, धर्मान्तरण, नक्सली व माओवादी हिंसा, भ्रष्टाचार तथा अपराध की अराजकता में जकड़ा था उसी समय नाथपंथ के विश्व प्रसिद्ध मठ श्री गोरक्षनाथ मंदिर गोरखपुर के पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप माघ शुक्ल 5 संवत् 2050 तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 की शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ ने अपने उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ का दीक्षाभिषेक सम्पन्न किया।

अपने धार्मिक उत्तरदायित्व का निर्वहन करने के साथ-साथ योगी निरंतर समाज से जुड़ी समस्याओं के निवारण के लिए प्रयास करते रहते हैं। व्यक्तिगत समस्याओं से लेकर विकास योजनाओं तक की समस्याओं का हल वे बहुत ही धैर्यपूर्वक निकालते हैं।

हिन्दू जनमानस में अपनी ख़ास पहचान रखने वाले गोरखपुर का ‘गोरक्ष पीठ’ नाम का मठ नाथ सम्प्रदाय के हठ-योगियों का गढ रहा, जाति-पाति से दूर इस सम्प्रदाय की शाखा तिब्बत, अफगानिस्तान, पाकिस्तान से लेकर पूरे पश्चिम उत्तर भारत में फैली थी। नाथ संप्रदाय को गुरु मच्छेंद्र नाथ और उनके शिष्य गोरखनाथ को हिन्दू समेत तिब्बती बौद्ध धर्म में महासिद्ध योगी माना जाता है।

रावलपिंडी शहर को बसाने वाले राजपूत राजा बप्पा रावल गोरखनाथ को अपना गुरु मानते थे व इन्हीं के प्रेरणा से मोरी (मौर्या) सेना को एकत्र कर मुहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अरब हमलों से भारत की रक्षा की, आज उसी प्रकार से ‘समाज की रक्षा’ गोरखनाथ मठ के उत्तराधिकारी होने के नाते योगी आदित्यनाथ कर रहे हैं।

आक्रामक स्वभाव

योगी की कर्मभूमि उत्तर प्रदेश का सबसे पूर्वी हिस्सा है, जिसमे गोरखपुर मंडल के देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महाराजगंज, बस्ती मंडल के बस्ती, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर और आज़मगढ़ मंडल के आज़मगढ़, बलिया, मऊ जिले शामिल हैं। ये तीनों मंडल एक ख़ास विचारधारा से प्रभावित हो साम्प्रदायिकता का जवाब साम्प्रदायिकता की राजनीति की तरफ आकृष्ट हुए हैं।

कई दशकों से मठ आधारित ये राजनीति अपने शुरुवाती दिनों के सॉफ्ट हिंदुत्व से उग्र हिन्दुत्ववादी हो चुकी है तो इसका श्रेय योगी आदित्य नाथ के आक्रामक स्वाभाव को ही जाता है। पूर्व में इसी विचारधारा के तहत महंत अवैद्य नाथ ने 1989 और 1991 में गोरखपुर से लोकसभा का चुनाव जीता व उनके बाद से उनके उत्तराधिकारी बने योगी आदित्यनाथ ने लगातार 1996, 1998, 1999, 2004 और 2009 के चुनाव जीत अपनी इसी राजनीति के सफल होने का प्रमाण दिया।

तत्काल निपटान

जनप्रतिनिधि के रूप में उन्होंने जापानी इंसेफलाइटिस से बचाव और उसके उपचार के लिए उल्लेखनीय प्रयास किये। उसके अलावा गोरखपुर में सफाई व्यवस्था व राप्ती नदी पर बांध बनवाने जैसे कई विकास के कार्य कराए हैं। सदियों से श्रद्धा का केंद्र रहने वाले गोरखनाथ पीठ के महंत होने की वजह से वे कभी भी मतदाता के सामने हाथ नहीं जोड़ते, उल्टे मतदाता उनके पैर छूकर आर्शीवाद मांगते हैं।

सांसद होने के नाते कोई समस्या बयान करता तो वे सरकारी प्रक्रिया का इंतज़ार किये बिना तुरंत संबंधित अधिकारी से बात कर समस्या का अपने स्तर पर निपटारा कर देते हैं। कुछ वर्ष पहले एक माफिया डॉन के द्वारा उनके एक मतदाता के मकान पर कब्जे से क्षुब्ध, योगी ने सीधे ही उस मकान पर पहुंच अपने समर्थकों के द्वारा उसे कब्जे से मुक्त करवा दिया। ऐसे कई और मामले हैं जो उनकी धार्मिक रहनुमाई से रोबिनहुडाई तक के सफ़र की कथा बयान करती है।

करिश्माई रूप

2009 में पार्टी पर मजबूत पकड़, मठ से प्राप्त धार्मिक हैसियत, विकास और हिन्दू युवा वाहिनी जैसे युवाओं के संगठन के बदौलत उन्होंने करिश्माई रूप से स्वयं की गोरखपुर शहर व कांग्रेस के दिग्गज महावीर प्रसाद को कमलेश पासवान से हरवा कर बांसगांव लोकसभा सीट जीत ली। आदित्यनाथ भाजपा के टिकट पर सिर्फ चुनाव लड़ते हैं, और पार्टी की भी राज्य में अपने घटी हैसियत के कारण उनकी ब्रांड वाली राजनीति को मजबूरन स्वीकारना पड़ता है।

वे पार्टी की सांगठनिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करके उसके पदों पर अपने समर्थकों को तो बिठाते हैं पर भाजपा संगठन की बनिस्बत वे अपने जन कार्यक्रम हिन्दू युवा वाहिनी और हिन्दू महासभा के बैनर तले चलाते हैं। योगी यूपी बीजेपी के बड़े चेहरे माने जाते थे। 2014 में पांचवी बार योगी सांसद बने। राजनीति के मैदान में आते ही योगी आदित्यनाथ ने सियासत की दूसरी डगर भी पकड़ ली। उन्होंने हिंदू युवा वाहिनी का गठन किया और धर्म परिवर्तन के खिलाफ मुहिम छेड़ दी। कट्टर हिंदुत्व की राह पर चलते हुए उन्होंने कई बार विवादित बयान दिए।

योगी विवादों में बने रहे, लेकिन उनकी ताकत लगातार बढ़ती गई। 2007 में गोरखपुर में दंगे हुए तो योगी आदित्यनाथ को मुख्य आरोपी बनाया गया, गिरफ्तारी हुई और इस पर कोहराम भी मचा। योगी के खिलाफ कई अपराधिक मुकदमे भी दर्ज हुए। योगी आदित्यनाथ की हैसियत ऐसी बन गई कि जहां वो खड़े होते, सभा शुरू हो जाती, वो जो बोल देते हैं, उनके समर्थकों के लिए वो कानून हो जाता है।

यही नहीं, होली और दीपावली जैसे त्योहार कब मनाया जाए, इसके लिए भी योगी आदित्यनाथ गोरखनाथ मंदिर से ऐलान करते हैं, इसलिए गोरखपुर में हिुंदुओं के त्योहार एक दिन बाद मनाए जाते हैं। गोरखपुर और आसपास के इलाके में योगी आदित्यनाथ और उनकी हिंदू युवा वाहिनी की तूती बोलती है। बीजेपी में भी उनकी जबरदस्त धाक है।

2008 में हुआ था जानलेवा हमला

7 सितंबर 2008 को सांसद योगी आदित्यनाथ पर आजमगढ़ में जानलेवा हिंसक हमला हुआ था। इस हमले में वे बाल-बाल बचे थे। यह हमला इतना बड़ा था कि सौ से अधिक वाहनों को हमलावरों ने घेर लिया और लोगों को लहुलुहान कर दिया। आदित्यनाथ गोरखपुर दंगों के दौरान तब गिरफ्तार किए गए जब मुस्लिम त्यौहार मोहर्रम के दौरान फायरिंग में एक हिन्दू युवा की जान चली गई थी। डीएम ने बताया की वह बुरी तरह जख्मी है, तब अधिकारियों ने योगी को उस जगह जाने से मना कर दिया, लेकिन आदित्यनाथ उस जगह पर जाने के लिए अड़ गए।

तब उन्होंने शहर में लगे कर्फ्यू को हटाने की मांग की। अगले दिन उन्होंने शहर में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने की घोषणा की, लेकिन जिलाधिकारी ने इसकी अनुमति देने से इनकार कर दिया। आदित्यनाथ ने भी इसकी चिंता नहीं की और हजारों समर्थकों के साथ अपनी गिरफ्तारी दी। उनपर कार्यवाही का असर हुआ और मुंबई-गोरखपुर गोदान एक्सप्रेस के कुछ डिब्बे फूंक दिए गए, जिसका आरोप उनके संगठन हिन्दू युवा वाहिनी पर लगा। यह दंगे पूर्वी उत्तर प्रदेश के छह जिलों और तीन मंडलों में भी फैल गए। उनकी गिरफ्तारी के अगले दिन जिलाधिकारी और पुलिस का तबादला हो गया।

योगी की संसदीय यात्रा

1998 : 12वीं लोक सभा के लिए पहली बार गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित।

1999 : 13वीं लोक सभा के लिए दूसरी बार गोरखपुर संसदीय क्षेत्र से निर्वाचित।

2004 : 14वीं लोक सभा हेतु पुनः तीसरी बार निर्वाचित।

2009 : 15वीं लोक सभा हेतु पुनः चौथी बार निर्वाचित।

2014 : 16वीं लोक सभा हेतु पुनः पाँचवी बार निर्वाचित।

योगी के विवादित बयान

1- दादरी हत्याकांड पर योगी ने कहा यूपी कैबिनेट के मंत्री (आजम खान) ने जिस तरह यूएन जाने की बात कही है, उन्हें तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए। आज ही मैंने पढ़ा कि अखलाक पाकिस्तान गया था और उसके बाद से उनकी गतिविधियां बदल गई थीं। क्या सरकार ने ये जानने की कभी कोशिश की कि ये व्यक्ति पाकिस्तान क्यों गया था। आज उसे महिमामंडित किया जा रहा है।

2- अगस्त 2014 में 'लव जेहाद’ को लेकर योगी का एक वीडियो सामने आया था, जिसे लेकर काफी हल्ला मचा था।

3- फरवरी 2015 में योगी आदित्यनाथ ने विवादित बयान देते हुए कहा था कि अगर उन्हें अनुमति मिले तो वो देश की सभी मस्जिदों के अंदर गौरी-गणेश की मूर्ति स्थापित करवा देंगे। उन्होंने कहा था कि आर्यावर्त ने आर्य बनाए, हिंदुस्तान में हम हिंदू बना देंगे। पूरी दुनिया में भगवा झंडा फहरा देंगे। मक्का में गैर मुस्लिम नहीं जा सकता है, वेटिकन सिटी में गैर ईसाई नहीं जा सकता है। हमारे यहां हर कोई आ सकता है।

4- योग के ऊपर भी विवादित बयान देते हुए योगी आदित्‍यनाथ ने कहा था कि जो लोग योग का विरोध कर रहे हैं उन्‍हें भारत छोड़ देना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि लोग सूर्य नमस्‍कार को नहीं मानते उन्‍हें समुद्र में डूब जाना चाहिए।

5- अगस्त 2015 में योगी आदित्यनाथ ने कहा था कि मुस्लिमों के बीच ‘उच्च’ प्रजनन दर से जनसंख्या असंतुलन हो सकता है।

6- अप्रैल 2015 में योगी ने हरिद्वार में विश्वप्रसिद्ध तीर्थस्थल 'हर की पौड़ी' पर गैर हिंदुओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी, जिसके बाद काफी बवाल मचा था।



\
zafar

zafar

Next Story