Election Result 2022: कांग्रेस और जी-हुजूर—23

Election Result 2022: कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा पार्टी कहे तो हम तीनों इस्तीफा देने को तैयार हैं।

Dr. Ved Pratap Vaidik
Published on: 15 March 2022 3:28 AM GMT
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सोनिया गांधी और राहुल गांधी (Social media)

Congress News: पांच राज्यों के चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस की कार्यसमिति की बैठक में वही हुआ, जो पहले भी हुआ करता था। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि यदि पार्टी कहे तो हम तीनों (माँ, बेटा और बेटी) इस्तीफा देने को तैयार हैं। पांच घंटे तक चली इस बैठक में एक भी कांग्रेसी की हिम्मत नहीं पड़ी कि वह नेतृत्व-परिवर्तन की बात खुलकर कहता। जो जी-23 समूह कहलाता है, जिस समूह ने कांग्रेस के पुनरोद्धार के लिए आवाज बुलंद की थी, उसके कई मुखर सदस्य भी इस बैठक में मौजूद थे, लेकिन जी-23 अब जी-हुजूर-23 ही सिद्ध हुए। उनमें से एक आदमी की भी हिम्मत नहीं पड़ी कि वह कांग्रेस के नए नेतृत्व की बात छेड़ता।

सोनिया गांधी का रवैया तो प्रशंसनीय है ही और उनके बेटे राहुल गांधी को मैं दाद देता हूं कि उन्होंने कांग्रेस-अध्यक्ष पद छोड़ दिया लेकिन मुझे कांग्रेसियों पर तरस आता है कि उनमें से एक भी नेता ऐसा नहीं निकला, जो खम ठोककर मैदान में कूद जाता। वह कैसे कूदे? पिछले 50-55 साल में कांग्रेस कोई राजनीतिक पार्टी नहीं रह गई है। वह पोलिटिकल पार्टी की जगह प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बन गई है। उसमें कई अत्यंत सुयोग्य, प्रभावशाली और लोकप्रिय नेता अब भी हैं लेकिन वे नेशनल कांग्रेस (एनसी) याने 'नौकर-चाकर कांग्रेस' बन गए हैं।

मालिक कुर्सी खाली करने को तैयार हैं लेकिन नौकरों की हिम्मत नहीं पड़ रही है कि वे उस पर बैठ जाएं। उन्हें दरी पर बैठे रहने की लत पड़ गई है। यदि कांग्रेस का नेतृत्व लंगड़ा हो चुका है तो उसके कार्यकर्ता लकवाग्रस्त हो चुके हैं। कांग्रेस की यह बीमारी हमारे लोकतंत्र की महामारी बन गई है। देश की लगभग सभी पार्टियां इस महामारी की शिकार हो चुकी हैं। भारतीय मतदाताओं के 50 प्रतिशत से भी ज्यादा वोट प्रांतीय पार्टियों को जाते हैं। ये सब पार्टियां पारिवारिक बन गई हैं।

कांग्रेस चाहे तो आज भी देश के लोकतंत्र में जान फूंक सकती है। देश का एक भी जिला ऐसा नहीं है, जिसमें कांग्रेस विद्यमान न हो। देश की विधानसभाओं में आज भाजपा के यदि 1373 सदस्य हैं तो कांग्रेस के 692 सदस्य हैं। लेकिन पिछले साढ़े छह साल में कांग्रेस 49 चुनावों में से 39 चुनाव हार चुकी है। उसके पास नेता और नीति, दोनों का अभाव है। मोदी सरकार की नीतियों की उल्टी-सीधी आलोचना ही उसका एक मात्र धंधा रह गया है।

उसके पास भारत को महासंपन्न और महाशक्तिशाली बनाने का कोई वैकल्पिक नक्शा भी नहीं है। कांग्रेस अब पचमढ़ी की तरह नया 'चिंतन-शिविर' करनेवाली है। उसे अब चिंतन शिविर नहीं, चिंता शिविर करने की जरुरत है। यदि कांग्रेस का ब्रेक फेल हो गया तो भारतीय लोकतंत्र की गाड़ी कहां जाकर टकराएगी, कुछ नहीं कहा जा सकता।

Ragini Sinha

Ragini Sinha

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