×

Education: अध्यापन के क्षेत्र में कैरियर

Education: हमारे देश में अध्यापन के कार्य को उत्तम मानकर सब व्यवसायों में सबसे अधिक इसी को व्यवसाय के रूप में अपनाया जाता है।

Sarojini Sriharsha
Published on: 12 Aug 2022 2:39 PM IST
Education Field
X

Education Field in India (image social media)

Education Field: हमारे देश में अध्यापन के कार्य को उत्तम मानकर सब व्यवसायों में सबसे अधिक इसी को व्यवसाय के रूप में अपनाया जाता है। पिछले कुछ सालों से अध्यापन शौक के स्थान पर व्यवसाय का रूप धारण करता जा रहा है। अध्यापन महिलाओं के लिए सर्वाधिक आसान कार्य है और कम समय में वे अध्यापन द्वारा उत्तम धन अर्जन कर सकती हैं। अनेक लोग अपनी नौकरी से सेवा निवृत होने के बाद भी शिक्षण कार्य अपनाकर अच्छी कमाई कर अपने समय का सदुपयोग कर सकते हैं।

बहुत से बच्चों को अच्छे स्कूल में दाखिला न मिल पाने के कारण अभिभावक निजी स्कूलों में पढ़ाते हैं। आज निजी स्कूल भी हजारों की संख्या में खुलते जा रहे हैं , जिससे अध्यापकों की मांग में बढ़ोतरी हुई है। शहर में जगह जगह कोचिंग सेंटर खुलने से लोग ट्यूशन करने लगे हैं। स्कूलों के अतिरिक्त लोगों को प्राइवेट ट्यूटोरियल कक्षाओं , कोचिंग संस्थान, लघु या दीर्घ अवधि वाले पाठ्यक्रम के प्रशिक्षण आदि के भी अध्यापन कार्य खूब मिल रहा है।

प्राइमरी स्कूल अध्यापक

प्राइमरी या नर्सरी स्कूल के अध्यापक का बच्चों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान होता है। बाल्यावस्था में मां बाप के अलावा बच्चा सबसे अधिक समय स्कूल में व्यतीत करता है। इस अवस्था में अध्यापक बच्चों को भाषा , गिनती व अन्य विषयों से परिचित कराते हैं। प्राइमरी कक्षाओं में प्रायः एक ही अध्यापक सभी विषयों को पढ़ाते हैं, जबकि कुछ स्कूलों में हर विषय का अध्यापक अलग होता है।

योग्यता

प्राइमरी या नर्सरी अध्यापक बनाने के लिए स्नातक के साथ नर्सरी टीचर्स ट्रेनिंग का डिप्लोमा या सर्टिफिकेट अथवा डिग्री होना जरूरी है। इस टीचर्स ट्रेनिंग को १२वीं कक्षा के बाद भी कर सकते हैं। अनेक पॉलीटेक्निक व वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर में यह कोर्स उपलब्ध होता है। कुछ विश्वविद्यालयों में जहां प्राइमरी अध्यापकों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम उपलब्ध है के नाम इस प्रकार हैं -

* गवर्नमेंट टीचर्स ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट, दरियागंज, नई दिल्ली

* मदुरई कामराज विश्वविद्यालय, पलकलाई नगर, मदुरई

* उस्मानिया विश्वविद्यालय, प्रशासनिक भवन, हैदराबाद

*पंजाब विश्वविद्यालय, सेक्टर-14, चंडीगढ़

* मुंबई विश्वविद्यालय, एम जी रोड, फोर्ट, मुंबई

जूनियर स्कूल अध्यापक

जूनियर स्कूल के छात्रों के लिए विभिन्न विषयों के लिए अलग अध्यापक होते हैं। जूनियर कक्षाओं में अध्यापक का कार्य मुख्यतः छात्रों को विभिन्न पाठों को विस्तार से समझाना या प्रश्न उत्तर लिखवाना आदि होता है। अतः अध्यापकों को अपने शिक्षण विषय का ज्ञान होना अत्यंत जरूरी है।

योग्यता

इसके लिए अध्यापक को स्नातक अथवा पोस्ट ग्रेजुएट स्तर पर 55 प्रतिशत अंकों से उत्तीर्ण होना जरूरी है। अध्यापक को स्नातक स्तर पर अपने शिक्षण विषयों में से एक अवश्य पढ़ा हुआ होना चाहिए। इसके अतिरिक्त उसके पास शिक्षण की ट्रेनिंग का डिप्लोमा या डिग्री होनी चाहिए।

सेकेंडरी स्कूल अध्यापक

ये प्रायः सीनियर अर्थात दसवीं से बारहवीं की कक्षाओं के अतिरिक्त जूनियर कक्षाओं को भी पढ़ाते हैं। इन अध्यापकों को एक ही विषय अनेक कक्षाओं में पढ़ाना होता है, अतः इन्हें अपने विषय में पूरी विशेषज्ञता हासिल करनी अनिवार्य होती है।

योग्यता

इसके लिए अध्यापक को शिक्षण विषय के पोस्ट ग्रेजुएट (एम ए/एम कॉम/एम एस सी) होना अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त बी एड की डिग्री आवश्यक है।

लेक्चरर

लेक्चरर कॉलेज अथवा विश्वविद्यालय में छात्रों को संबंधित विषय के लेक्चर देते हैं। इसके लिए उनके पास भाषा पर नियंत्रण व बोलने की क्षमता होनी आवश्यक है। उनको अपने संबंधित विषय पर पूरी सामयिक जानकारी होनी चाहिए।

योग्यता

लेक्चरर को पोस्ट ग्रेजुएट होने के अतिरिक्त विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से लेक्चररशिप की योग्यता का सर्टिफिकेट प्राप्त होना चाहिए।

रीडर

वह शिक्षक जिसका अधिकांश समय अनुसंधान क्रियाशालाओं में बीतता है और जो अनुसंधान करने वाले छात्रों को दिशा निर्देश देता है उसे रीडर कहा जाता है। सीनियर स्केल वाले लेक्चरर जो 8 वर्ष तक सीनियर स्केल में काम कर चुके हैं, उन्हें प्रोन्नत होने पर रीडर बनाया जाता है। उनके पास पी एच डी की डिग्री होनी चाहिए। उनकी अधिकतम आयु सीमा 45 वर्ष है।

प्रोफेसर

प्रोफेसर विश्वविद्यालय के विभागों , शैक्षिक कार्यों में व संगठनात्मक कार्यों में सहयोग देता है।सहयोगी अनुसंधानकर्ताओं को मार्गदर्शन देता है एवं स्वयं भी अनुसंधान में लगा रहता है।

उनका चयन उन प्रसिद्ध शिक्षाविदों में से होता है जिनका काफी काम प्रकाशित हो चुका हो। उन्हें अनुसंधान कार्यों में क्रियाशील होना एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं को 10 वर्ष का पढ़ाने का अनुभव होना आवश्यक है अथवा विश्वविद्यालय या राष्ट्रीय स्तर के संस्थान में अनुसंधान का अनुभव हो और साथ में डॉक्टरेट स्तर पर अनुसंधान मार्गदर्शन का अनुभव हो।

ट्यूशन द्वारा रोजगार

आज के समय में ट्यूशन सभी वर्ग के बच्चों के लिए एक जरूरत बन गई है प्रायः स्कूलों के अध्यापक बच्चों को ठीक प्रकार से नहीं समझाते अथवा बच्चों को पूरी कक्षा के बीच ठीक से समझ नहीं आता और उन्हें ट्यूशन की आवश्यकता पड़ती है।इसके अतिरिक्त अनेक नए विषय स्कूलों के पढ़ाए जाते हैं जैसे कंप्यूटर आदि जिन्हें अभिभावक व्यस्त जिंदगी होने के कारण नहीं पढ़ा पाते हैं।

बच्चों को ट्यूशन लगानी पड़ती है या कोचिंग सेंटर में जाकर कोचिंग लेनी पड़ती है। इसी बढ़ती मांग के कारण टयूशन के क्षेत्र में अध्यापकों की गिनती बढ़ती जा रही है। आज अच्छे स्कूलों के अध्यापक व कॉलेज के लेक्चरर भी प्राइवेट ट्यूशन लेते हैं। अनेक शिक्षक अपना कोचिंग सेंटर चलाकर स्कूल कॉलेज के अध्यापकों से कई गुना अधिक कमाई कर लेते हैं। कोचिंग सेंटर भी ट्यूशन का नया रूप है।

योग्यता

किसी भी विषय में ट्यूशन लेने के पूर्व शिक्षक को उस विषय में पूर्ण ज्ञान होना जरूरी है। ट्यूशन कई प्रकार से किए जा सकते हैं। जैसे छात्र के घर जाकर, अध्यापक के घर पर या कोचिंग सेंटर में जाकर। कुछ लोग स्कूलों का अध्यापन छोड़कर या स्कूल से रिटायर होने पर कोचिंग सेंटर चलाते हैं और अपने शिक्षण अनुभव का लाभ उठाते हैं। ट्यूशन का व्यवसाय तो पार्ट टाइम काम के रूप में किया जा सकता है। शिक्षित महिलाएं घर पर रहकर ट्यूशन द्वारा अच्छा कमा सकती हैं।

विशेष स्कूलों के शिक्षक

पहले जन्मजात, मानसिक एवं शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए गिनी चुनी संस्थाएं या स्कूल थे। परंतु आज इनकी संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है। ऐसे स्कूलों में विशेष योग्यता वाले अध्यापकों की आवश्यकता होती है। ऐसे शिक्षकों को बच्चों की समस्याओं को समझकर व्यवहार करना पड़ता है और उनके दैनिक क्रियाओं में भी सहयोग देना पड़ता है।

यह योग्यता

प्राइमरी स्कूल शिक्षकों को 12 वीं के बाद प्री स्कूल या किंडरगार्टन शिक्षण का डिप्लोमा या सर्टिफिकेट पाठ्यक्रम किया होना चाहिए। सेकेंडरी स्कूल के अध्यापकों को स्नातक पाठ्यक्रम के बाद बी एड की डिग्री आवश्यक है।

प्रोन्नति के बाद अध्यापकों के लिए अन्य क्षेत्र

अध्यापक प्रोन्नति के बाद स्कूल, कॉलेज या विश्वविद्यालय के अन्य प्रतिष्ठित पदों पर भी आसीन हो सकते हैं जैसे उपप्रधानाचार्य या प्रधानाचार्य, स्कूलों की प्रबंध समिति के सदस्य या विश्वविद्यालय के उप कुलपति बन सकते हैं।

अध्यापन प्रशिक्षण पाठ्यक्रम

प्रायः सभी विश्वविद्यालयों में बी एड( बैचलर ऑफ एजुकेशन) का डिप्लोमा या डिग्री पाठ्यक्रम उपलब्ध है। बी एड का कोर्स स्नातक डिग्री के पश्चात किया जा सकता है। बी एड के पश्चात एम एड का कोर्स किया जा सकता है। इसमें बी एड में प्रवेश के लिए कुछ स्थानों पर प्रवेश परीक्षा होती है।

निम्न संस्थानों से पाठ्यक्रम कर सकते

* लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ

*इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज

* अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़

*बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, बनारस

*कानपुर विश्वविद्यालय, कानपुर

*आगरा विश्वविद्यालय, आगरा

* अवध विश्वविद्यालय, फैजाबाद

*गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर

*जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय, नई दिल्ली

*दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली

* मुंबई विश्वविद्यालय, मुंबई

इस प्रकार हम कह सकते हैं की वास्तव में अध्यापन एक लचीला व्यवसाय है और अध्यापकों की बढ़ती मांग अध्यापकों के भविष्य को उज्जवल बना सकती है। इस व्यवसाय द्वारा आप कई बच्चों के भविष्य संवार सकते हैं।इस व्यवसाय को पूरी लगन से किया जाए तो आप प्रतिष्ठा के साथ धन अर्जित कर सकते हैं।

Prashant Dixit

Prashant Dixit

Next Story