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कोरोना वायरस और म्यूटेशन- पकड़ से बहुत दूर एक बहुरूपिया

कुछ वैज्ञानिकों को कोरोना जीनोम में 20 से ज्यादा म्यूटेशन दिखे हैं। हालांकि कुछ रिसर्चर 200 से अधिक म्यूटेशन की बात कर रहे हैं। फिलहाल जो स्थितियां उनमें बचाव ही एकमात्र उपाय है क्योंकि कोरोना वायरस जल्दी खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं।

राम केवी
Published on: 7 May 2020 3:57 AM GMT
कोरोना वायरस और म्यूटेशन- पकड़ से बहुत दूर एक बहुरूपिया
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रामकृष्ण वाजपेयी

कोरोला दिखता कैसा दिखता है, कब पहचान हुई, कब इसमें पहली गड़बड़ी आई और यह म्यूटेशन क्या है, जो कोरोना के बारे में बार-बार कहा जा रहा है यह म्यूटेट कर रहा है, आखिर यह है क्या?

कोरोनावायरस की पहचान 26 दिसंबर को चीन के एक सी फूड बाजार के आसपास के लोगों में निमोनिया की कई समस्याएं आने के बाद हुई। इसके बाद वैज्ञानिकों ने कोरोला का पहला जीनोम तैयार किया यह जीनोम सी फूड बाजार में काम करने वाले एक व्यक्ति के शरीर से निकाले गए वायरस से तैयार किया गया।

30 हजार लैटर्स है आरएनए के

जब वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे थे तो उन्होंने देखा कि कोरोना वायरस एक आयली मेम्ब्रेन है यानी कि तैलीय झिल्ली इस झिल्ली में अपने जैसी लाखों प्रतिकृति बनाने के लिए जेनेटिक निर्देश भरे हुए हैं। यह निर्देश आर एन ए के 30000 वर्णों में ए, सी, जी और यू के क्रम में इनकोडेड हैं।

जब व्यक्ति संक्रमित होता है तो संक्रमित कोशिकाएं इन्हें पढ़कर वायरस प्रोटीन बनाती है। 8 जनवरी को आरएनए में पहली गड़बड़ी पकड़ में आई। संक्रमित व्यक्ति की कोई भी कोशिका लाखों वायरस बना सकती है। इन सभी में मूल जीनोम की ही काफी तैयार होती है। जैसे रक्तबीज की कहानी आपने सुनी होगी कि रक्त की एक बूंद गिरने पर उसके जैसा दूसरा दैत्य तैयार हो जाता था। ठीक उसी तरह जैसे आप किसी दस्तावेज की फोटो कॉपी करते हैं।

कोरोना पर लिखे लैटर्स बदल रहे

उसी तरीके से कोरोना वायरस से संक्रमित होने वाला व्यक्ति और उसके शरीर की हर कोशिका कोरोना वायरस की कापियां बनाने लगती हैं और एक व्यक्ति के शरीर में करोड़ों वायरस हो सकते हैं। कई बार जीनोम की कॉपी बनाते समय कोशिका गड़बड़ी कर देती है। इससे वायरस के जीनोम में एक वर्ण का क्रम बदल जाता है या गड़बड़ा जाता है। इस गड़बड़ी को म्यूटेशन कहा जाता है।

जैसे आरएनए के 30000 वर्णों में एसी जी और यू के क्रम में लिखे होते हैं अब इसमें ए की आकृति गड़बड़ा सकती है या यू की आकृति गड़बड़ा सकती है क्रम भी बदल सकता है। अगर वह क्रम बदलता है तो इसे म्यूटेशन कहेंगे।

क्या धीमी है म्यूटेशन की प्रक्रिया

जब वायरस की शुरुआत हुई तो इसके म्यूटेशन की प्रक्रिया बहुत धीमी थी। वैज्ञानिकों का मानना है इसीलिए यह ज्यादा घातक नहीं हुआ। वुहान से निकले वायरस ने इंसानों को अपना शिकार बनाया और अध्ययन में यह आया कि ज्यादातर मामलों में 10 या उससे कम म्यूटेशन वाले कोरोना जीनोम ही मिले हैं।

इसको और विस्तार से समझने के लिए जब मरीज में वायरस का जीनोम देखा गया तो वह बिल्कुल पहले मरीज जैसा था लेकिन आरएनए का 186वां म्यूटेशन चेंज था। इसमें यू के बजाय सी हो गया था।

रिसर्चर ने अध्ययन किया तो पता चला कि जो अलग-अलग जिनोम हैं उनका पूर्वज एक था। इसी आधार पर यह कहा गया कि चीन में इस महामारी की शुरुआत दिसंबर 2019 के आसपास हुई। इसके बाद 27 फरवरी तक इस वायरस के दो और म्यूटेशन हुए अब इसके तहत आरएनए के दो और वर्ण यू में तब्दील हो गए।

अब तक कितने म्यूटेशन

अब सवाल आता है कि न्यूटेशन का असर कब दिखता है म्यूटेशन की प्रक्रिया में अक्सर ये होता है कि प्रोटीन की प्रक्रिया में बदलाव किये बिना ये जीन को बदल देता है। प्रोटीन में अमीनो अम्ल की एक लंबी चेन होती है। हर अमीनो अम्ल में तीन आनुवांशिक वर्ण होते हैं।

कुछ वैज्ञानिकों को कोरोना जीनोम में 20 से ज्यादा म्यूटेशन दिखे हैं। हालांकि कुछ रिसर्चर 200 से अधिक म्यूटेशन की बात कर रहे हैं। फिलहाल जो स्थितियां उनमें बचाव ही एकमात्र उपाय है क्योंकि कोरोना वायरस जल्दी खत्म होने के आसार नहीं दिख रहे हैं।

राम केवी

राम केवी

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